सरकारी अधिकारियों को जारी निलंबन आदेश और चार्जशीट का खुलासा सूचना का अधिकार (आरटीआई)के तहत हो सकता है। ये कोई निजी जानकारियां नहीं हैं। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने यह व्यवस्था दी है।
सीआईसी ने कहा कि चार्जशीट और निलंबन आदेश सार्वजनिक गतिविधियों के तौर पर जारी किए जाते हैं। अत: इनका आरटीआई आवेदकों को खुलासा किया जा सकता है।
यह मामला जयलक्ष्मी द्वारा लगाए गए आरटीआई आवेदन से संबंधित है। वे सिंडीकेट बैंक के उन अधिकारियों का नाम जानना चाहती थीं जिन्हें निलंबित किया गया था या जिन्हें चार्जशीट थमाई गई थी। बैंक ने उनका आवेदन खारिज कर दिया था। उसका कहना था कि इस आवेदन में कोई जनहित नहीं है। यह थर्ड पार्टी को सूचना है। इससे जांच और विभागीय कार्रवाई में बाधा पड़ेगी। लेकिन सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने ये तर्क नहीं माने।
सीआईसी ने कहा कि चार्जशीट और निलंबन आदेश सार्वजनिक गतिविधियों के तौर पर जारी किए जाते हैं। अत: इनका आरटीआई आवेदकों को खुलासा किया जा सकता है।
यह मामला जयलक्ष्मी द्वारा लगाए गए आरटीआई आवेदन से संबंधित है। वे सिंडीकेट बैंक के उन अधिकारियों का नाम जानना चाहती थीं जिन्हें निलंबित किया गया था या जिन्हें चार्जशीट थमाई गई थी। बैंक ने उनका आवेदन खारिज कर दिया था। उसका कहना था कि इस आवेदन में कोई जनहित नहीं है। यह थर्ड पार्टी को सूचना है। इससे जांच और विभागीय कार्रवाई में बाधा पड़ेगी। लेकिन सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने ये तर्क नहीं माने।