31 May, 2008

पब्लिक सेक्टर के लिए वेतन संबंधी सिफारिशें सरकार को सौंपी गयीं

जगन्नाथ राव समिति ने शुक्रवार, ३० मई को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (Public Sector Units) के अधिकारियों के वेतनमान से संबंधित अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दीं। इनमें पीएसयू के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक तथा निदेशकों के लिए स्थिर वेतन की सिफारिश की गई है। समिति का गठन नवंबर 2006 में किया गया था।

रिपोर्ट में अलग-अलग वर्ग के उपक्रमों के चेयरमैन एवं एमडी का मूल वेतन 55 हजार रुपये से एक लाख रुपये तथा निदेशकों का मूल वेतन 50 हजार रुपये से 80 हजार रुपये तक रखने का सुझाव दिया गया है। निदेशक मंडल स्तर से नीचे के अधिकारियों का मूल वेतन 11 हजार 500 से 70 हजार रुपये प्रतिमाह के बीच रखने की सिफारिश की गई है। इसमें अधिकारियों को मूल वेतन के 20 प्रतिशत से लेकर दो-दो सौ प्रतिशत तक परिवर्तनशील वेतन देने की सिफारिश भी की गई है। यह कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करेगा।

केंद्रीय लोक उपक्रम एवं भारी उद्योग मंत्री संतोष मोहन देव ने बताया कि पीएसयू के कुल करीब ढाई लाख अधिकारियों के वेतन और भत्तों को प्रभावित करने वाली यह रिपोर्ट मंत्रिमंडल की स्वीकृति के बाद लागू की जा सकेगी। उन्होंने उम्मीद जाहिर की दिसंबर से पहले इस पर निर्णय कर लिया जाएगा। समिति ने नए वेतनमान एक जनवरी 2007 से लागू करने की सिफारिश की है।

इस रिपोर्ट में पहली बार उत्पादकता को प्रोत्साहित करने के प्रस्ताव शामिल किए गए हैं। समिति ने पहली बार पीएसयू को पांच श्रेणियों में बांटकर उनके अधिकारियों को 11 हजार रुपये से 25 सौ रुपये तक का जोखिम वेतन और अधिकारियों को कंपनी के शेयर आवंटित करने जैसे विकल्पों की भी सिफारिश की है।

पूरी रिपोर्ट के लिये यहाँ क्लिक करें। अधिक जानकारी यहाँ से ली जा सकती है।

29 May, 2008

किश्तों में मिलेगा, वेतन आयोग का फायदा!?

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद चाहती है कि सरकार को अपने कर्मचारियों को एरियर का भुगतान किस्तों में करना चाहिए। आकलन के मुताबिक छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करने पर सरकार को करीब 18000 करोड़ रुपये एरियर के रूप में देने होंगे। इसे एकमुश्त देने से मुद्रास्फीति ना बढ़े इसलिए परिषद ने कहा है कि एरियर का कुछ हिस्सा कर्मचारियों की भविष्य निधि में जमा करना चाहिए, जबकि बाकी को चरणों में दिया जाना चाहिए।

परिषद ने कहा है कि एरियर का नगदी में भुगतान करने से विभिन्न उत्पादों की मांग बढ़ेगी, जिससे मुद्रास्फीति की दर में वृध्दि हो सकती है। इसलिए सरकार को कर्मचारियों के बकाये का कुछ भाग उनकी भविष्य निधि में जमा करने और शेष को किस्तों में देने पर विचार करना चाहिए। परिषद के अध्यक्ष जाने माने विशेषज्ञ और पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर सी. रंगराजन हैं। उनका मानना है कि एक ही बार में बकाया देने से तैयार सामान और उपभोक्ता उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं। सरकार ने पिछले वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करते हुए चरणों में एरियर दिया था। इसलिए वह ऐसा ही फिर से कर सकती है।

महत्वपूर्ण आर्थिक मुद्दों पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सलाह देने वाली परिषद ने पहले कहा था कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और अच्छे मानसून के कारण चार महीनों बाद मुद्रास्फीति 5 से 5.5 के स्तर पर आ सकती है। विशेषज्ञों को डर है कि पहले ही आठ के ऊपर पहुंच चुकी मुद्रास्फीति तेल के दामों में प्रस्तावित वृध्दि के बाद 10 तक पहुंच सकती है। जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में बने छठे वेतन आयोग ने मार्च में अपनी रिपोर्ट में जमा की थी, जिसमें कर्मचारियों के वेतन में औसत 28 फीसदी की सिफारिश की गई थी, जो कि एक जनवरी 2006 से लागू होना है। आकलन के मुताबिक वेतन वृद्धि से 12 हजार करोड़ का बोझ सालाना पड़ेगा, जबकि 18060 करोड़ रुपये एरियर के रूप में देने होंगे।

15 May, 2008

वेतन आयोग ने कहा: राशि बढ़ाने के लिए वेतन आयोग का इंतजार क्यों

सरकार ने देश के लिए प्राण न्यौछावर करने का जज्बा दिखाकर बहादुरी का पदक पाने वाले जांबाज फौजियों के मासिक ‘सम्मान भत्ते’ की राशि 100 प्रतिशत बढ़ाने की घोषणा कर दी है। रक्षा मंत्रालय की एक घोषणा में कहा गया है कि ‘परमवीर चक्र’ विजेता को अब 1500 के बजाए 3000 रूपए, ‘अशोक चक्र’ विजेता को 1400 के बजाए 2800 रुपए, ‘महावीर चक्र’ विजेता को 1200 के बजाए 2400 रुपए का मासिक सम्मान भत्ता दिया जाएगा। इसी तरह ‘कीर्ति चक्र’ विजेता का भत्ता 2100 रुपए, ‘वीर चक्र’ का 1700 रुपए तथा ‘शौर्य चक्र’ विजेता का भत्ता 1500 रुपए कर दिया गया है।

घोषणा के अनुसार विशिष्ट सेवा ऑर्डर, इंडियन मिलिटेरी ऑर्डर और विशिष्ट सेवा पदकों की राशि अब भी 2000 रुपए कर दी गई है, जो इससे पहले तक 50 से लेकर 200 रुपए तक हुआ करती थी। विशिष्ट सर्विस क्रॉस, मिलिटेरी क्रॉस, फ्लाइंग क्रॉस, सैन्य पदक और विशिष्ट फ्लाइंग पदक की राशि 1400 रुपए की गई है, जो पहले 50 से लेकर 200 रुपए तक थी।

सरकार ने सेना, नौसेना और वायु सेना पदक विजेताओं की सम्मान राशि में भी 500 रुपए की बढ़ोत्तरी करने का निर्णय लिया है। पदक दुबारा मिलने की स्थिति में यह राशि वही रहेगी जो मूल पदक के समय थी। सशस्त्र बलों ने छठे वेतन आयोग से मांग की थी कि बहादुरी के पदक विजेताओं के मासिक भत्ते में दस गुनी वृद्धि की जानी चाहिए, लेकिन वेतन आयोग ने टका सा जवाब सुनाते हुए कहा था कि यह राशि बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय वेतन आयोग का इंतजार क्यों करता रहा है, उसे राष्ट्रीय सम्मान पाने वालों की मानधन राशि अपने आप ही बढ़ा देनी चाहिए थी।

14 May, 2008

२० अगस्त को सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे

20 अगस्त को सात करोड़ से भी ज्यादा कर्मचारी एक दिन की हड़ताल करेंगे जिसमें रेल, हवाई सेवा, बैंकिंग, बीमा और अन्य आवश्यक सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। यह हड़ताल देश भर में आयोजित की जाएगी हांलाकि इसके असर से आपातकालीन सेवाओं जैसे अस्पताल या दमकल सेवाओं को मुक्त रखा गया है।

यह हड़ताल छठे वेतन आयोग की नकारात्मक सिफारिशों, ठेकेदारी की बढ़ती प्रवृत्ति, काम करने की जगहों पर स्थाई कर्मचरियों को नियुक्ति नहीं करने एवं बाहर से काम कराने (आउटसोर्सिंग) का विरोध जताने के लिए आयोजित की जा रही है।

13 May, 2008

कर्मचारियों को गोपनीय रिपोर्ट के बारे में बताना जरूरी

सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण तथा दूरगामी फैसले में उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार, १२ मई को कहा कि अधिकारियों द्वारा, अपने कर्मचारियों को वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) के बारे में अवश्य सूचित करना चाहिए ताकि वह उसके खिलाफ सक्षम अधिकारी के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत कर सके। न्यायमूर्ति एचके सेमा और न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू की पीठ ने देव दत्त की याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि कोई भी नियम अथवा सरकारी निर्देश अधिनियम 14 या संविधान के किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं कर सकता क्योंकि संविधान सर्वोपरि है। देव दत्त की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति काटजू ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के 26 नवम्बर 2001 के उस फैसले को दरकिनार कर दिया जिसमें उसने याचिकाकर्ता की याचिका को अस्वीकार करते हुए उसे सीमा सड़क इंजीनियरिंग सेवा में अधीक्षण अभियंता के पद पर पदोन्नति देना अस्वीकार कर दिया था।

पीठ ने कहा कि यह फैसला देते हुए कोर्ट प्राकृतिक न्याय के नए सिद्धांत का विकास कर रहा है। उन्होंने कहा-‘‘पारदर्शिता के लिए जरूरी है कि सैन्यकर्मियों को छोड़कर सरकारी कर्मचारियों के एसीआर को तर्कसंगत अवधि के भीतर उन्हें अवश्य बता देना चाहिए और ऐसा फैसला देकर हमने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का विकास कर रहे हैं।’’ फैसले में कहा गया है कि ऐसा नहीं है कि किसी सरकारी कर्मचारी की वार्षिक रिपोर्ट में प्रतिकूल प्रविष्टि होने पर ही उसे सूचित किया जाए बल्कि उसे हर उस प्रविष्टि की जानकारी दी जानी चाहिए चाहे वह खराब, सामान्य अथवा बहुत अच्छी हो ताकि सक्षम अधिकारी के समक्ष वह अपना पक्ष रख सके। ऐसा नहीं होने पर यह निष्पक्षता की नीति का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रविष्टि करने वाले से ऊंचे अधिकारी को ही कर्मचारी के एसीआर पर आगे की सुनवाई करनी चाहिए।

दत्त की याचिका स्वीकार कर लिये जाने से उन्हें अधीक्षण अभियंता के पद पर पदोन्नति मिल जाएगी। हालांकि उनके अवकाश ग्रहण कर लेने के कारण उन्हें पेंशन बढ़ोतरी का लाभ के साथ ही बकाए राशि का आठ प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान मिल सकता है। उल्लेखनीय है कि दत्त को 22 फरवरी 1988 को कार्यकारी अभियंता के पद पर पदोन्नत किया गया था और उन्हें 21 फरवरी 1993 को अधीक्षण अभियंता के पद पर पदोन्नति किया जाना था। लेकिन इस पद पर पदोन्नति पाने के लिए उनके वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में बहुत अच्छी प्रविष्टि होनी चाहिए थी जबकि उनकी रिपोर्ट में एक अच्छी रिपोर्ट दर्ज होने के कारण उन्हें पदोन्नत नहीं किया गया।

09 May, 2008

अफसरों को, सेना रास नहीं आ रही

बढ़ते तनाव, प्राइवेट सेक्टर की अपेक्षा बेहद कम तनख्वाह और सुविधाओं के चलते अब अफसरों को सेना रास नहीं आ रही है। इसकी बानगी तब देखने को मिली जब रक्षा मंत्री ऐ.के. एंटनी ने राज्यसभा में सेना छोड़ रहे अधिकारियों का ब्योरा दिया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 से 2007 के बीच कम से कम 2076 आर्मी अधिकारियों ने समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया। इस दौरान रक्षा सेवा में नौकरी छोड़ने का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है।

वायुसेना में इस दौरान समय से पहले सेवानिवृत्तियों और इस्तीफों की संख्या 793 थी जबकि नौसेना में यह आंकड़ा 780 तक पहुंचा गया। राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री ने ये बातें कहीं। उन्होंने बताया कि 2003 से 2007 के बीच 3474 आर्मी अधिकारियों ने समय से पहले रिटायरमेंट या इस्तीफे के लिए आवेदन किया था। इनमें से 2076 अधिकारियों को नौकरी छोड़ने की अनुमति दी गई। जबकि एयरफोर्स में कुल 1269 अधिकारियों ने नौकरी छोड़ने के लिए आवेदन किया था। वहीं, नेवी में नौकरी छोड़ने के इच्छुक अधिकारियों की संख्या 954 थी।

उन्होंने कहा कि रक्षा अधिकारियों ने नौकरी छोड़ने के पीछे कई कारण बताए हैं। बर्खास्तगी, बेहद संवेदनशील आधार, निम्न चिकित्सीय श्रेणी और न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता में असफल रहने के आधार पर सभी को नौकरी छोड़ने की अनुमति दी गई है। प्राइवेट सेक्टर में उच्च वेतनमान और अधिक सुविधाएं भी सैन्यकर्मियों के नौकरी छोड़ने का एक बड़ा कारण माना जा रहा है। सैन्य बलों में सेवा शर्तों को देखते हुए वेतनमान काफी कम है जबकि बदल रहे सामाजिक परिवेश और टूटते संयुक्त परिवार के कारण जवानों की मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर समस्याएं बढ़ रही हैं। ऐसे में कम आयु में अवकाश प्राप्त करने और पेंशन पर शेष जीवन का गुजारा कठिन हो जाता है।

06 May, 2008

केन्द्र ने किया एलटीसी नियमों में संशोधन, सभी कर सकेंगे हवाई यात्रा

जब मंत्री विदेश दौरों में अव्वल रहें तो फिर उसके संतरी को भी हवाई सैर-सपाटे का लाभ क्यों नहीं मिले? शायद यही सोचकर केंद्र सरकार ने अपने सभी स्तर के कर्मचारियों को अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी) में हवाई जहाज से सैर सपाटे की मंजूरी प्रदान कर दी है। गर्मियों की छुट्टियों से ठीक पहले सरकार के इस फैसले से अब केंद्र सरकार का चपरासी पदनाम का कर्मचारी भी, सपरिवार हवाई यात्रा का लुत्फ उठाएगा लेकिन यह सुविधा सिर्फ पूर्वोत्तर राज्यों के सैर सपाटे के लिए ही मिलेगी। नए आदेश से ग्रुप बी, सी और डी में आने वाले लगभग 35 लाख कर्मचारियों को हवाई यात्रा का लाभ मिलेगा।

अभी तक एलटीसी के तहत निदेशक और उसके ऊपर के स्तर के अधिकारियों को ही हवाई सफर की सुविधा दी गई थी। चार साल में एक बार मिलने वाली इस सुविधा में आने-जाने के खर्च के साथ कुछ दैनिक भत्ता भी दिया जाता है। आदेश के अनुसार दो साल में होमटाउन के लिए मिलने वाली एक यात्रा को भी कर्मचारी पूर्वोत्तर की एलटीसी में बदल सकते हैं। कार्मिक मंत्रालय के सहायक सचिव ए. के. चतुर्वेदी द्वारा जारी किए गए इस आदेश के अनुसार एलटीसी में हवाई यात्रा की सुविधा का दायरा बढ़ाने के लिए सीसीएस (एलटीसी) नियम 1998 में संशोधन किया गया है।

आदेश के अनुसार ग्रुप ए और बी के तहत आने वाले कोई भी कर्मचारी अपनी तैनाती के स्थान से पूर्वोत्तर की सैर के लिए सीधे हवाई जहाज से यात्रा कर सकते हैं लेकिन ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों के लिए प्रावधान रखा गया है कि वे गुवाहाटी और कोलकात्ता से पूर्वोत्तर के किसी भी पर्यटन स्थलों के लिए हवाई यात्रा कर सकते हैं। जो गुवाहाटी या कोलकात्ता में तैनात है उसके लिए तो ठीक है बाकी कर्मचारियों को वहां तक यात्रा ट्रेन से करनी होगी। दरअसल, ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों को एलटीसी के तहत भत्ते की राशि कम मिलती है इसलिए यह प्रावधान किया गया है लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि ग्रुप डी में आने वाला चपरासी या उसके स्तर का कोई कर्मचारी गुवाहाटी या कलकत्ते से ही सही अपने परिजनों के साथ हवाई यात्रा करने का अवसर तो पा सकेगा। ग्रुप डी के कर्मचारी और उसके परिजनों के लिए हवाई यात्रा अभी तक एक सपना ही होती है।

सैन्य बलों के वेतन पर फैसला आज

छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से नाराज तीनों सेनाओं के अधिकारियों और जवानों को कुछ राहत मिल सकती है। कैबिनेट सचिव के. एम. चंद्रशेखर ने इस समस्या के समाधान के लिए उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में सरकार द्वारा वेतन संबंधी समस्याओं के लिए गठित सचिवों की उच्चस्तरीय समिति के सदस्य भी शरीक होंगे और तीनों सेनाओं का पक्ष रखने के लिए नौसेनाध्यक्ष एडमिरल सुरिश मेहता, सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर और वायुसेनाध्यक्ष फलीएच मेजर भी उपस्थित होंगे।

अमर उजाला के अनुसार, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में यह बैठक पहले सोमवार, ५ मई को ही होनी थी लेकिन अपरिहार्य कारणों से इसे मंगलवार, ६ मई तक के लिए टाल दिया गया। इस क्रम में तीनों सेनाओं ने पहले ही सैन्य बलों के वेतन, भत्तों और सिविल अधिकारियों की तुलना में सैन्य अधिकारियों के साथ हो रहे भेदभाव से संबंधित शिकायतों को रक्षा मंत्रालय को सौंप दिया है। इसमें अधिकारी वर्ग से नीचे के जवानों के वेतन आदि के साथ न्याय करने, मध्यक्रम के अधिकारियों का स्तर सुधारने और सिविल और सैन्य अधिकारियों के बीच बढ़ रही दूरी कम करने की सिफारिश प्रमुख है। अवकाश प्राप्त करने के बाद सैन्य अधिकारियों और जवानों को मिलने वाली पेंशन और सुविधाओं को दुरुस्त करने की भी अपील की गई है। इसलिए इस बैठक के नतीजों का सैन्य अधिकारियों को भी बेसब्री से इंतजार है।