31 March, 2008

महंगाई भत्ता कम होने का वक्त आ गया!

इस बढ़ती मंहगाई के मौसम में अगर कोई खुशफहमी में है कि आयोग डीए में बढ़ोतरी की जमीन तैयार कर रहा है, तो ज़रा ध्यान दीजिये हकीकत यह है कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में डीए के लिए जो गणित बताई है, उससे महंगाई भत्ता बढ़ने की उम्मीद तो दूर उल्टे घटने का खतरा है। छठे वेतन आयोग की चली, तो डीए की गणना का हिसाब-किताब ही बदल जाएगा।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में महंगाई और महंगाई भत्ते पर काफी बारीकी से रोशनी डाली है। आयोग की यह सिफारिश बड़ी रोचक है कि सरकारी कर्मियों के उपभोग व खर्च का अलग से सर्वेक्षण कर एक मूल्य सूचकांक बनाना चाहिए और उसके आधार पर महंगाई की दर निकालकर महंगाई भत्ते का निर्धारण होना चाहिए। अभी तक महंगाई भत्ते का निर्धारण औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर होता रहा है। आयोग मानता है कि इस सूचकांक के लिए जिन परिवारों के बीच सर्वेक्षण किया जाता है, उनका खर्च व उपभोग का ढंग सरकारी कर्मियों के परिवारों से काफी भिन्न है। इसीलिए महंगाई की सही तस्वीर सामने नहीं आती। हो सकता है सरकार के गले यह बात उतर जाए और कर्मियों के लिए महंगाई अलग से नापी जाए।

महंगाई भत्ते की बात इतनी ही नहीं है। दैनिक जागरण लिखता है कि आयोग ने महंगाई नापने और भत्ता तय करने की जो नई और पेचीदा गणित सुझाई गई है, उसका सार यह है कि इसे नापने का पैमाना जल्दी-जल्दी बदलेगा। इस समय जिस पैमाने का इस्तेमाल हो रहा है, वह 1996 की कीमतों पर आधारित है। 1996 की तुलना में आज कीमतें काफी बढ़ी हैं, इसलिए महंगाई का आंकड़ा बड़ा दिखता है और भत्ता भी ज्यादा मिलता है। वेतन आयोग इसे सालाना आधार पर बदलना चाहता है। इससे महंगाई का आंकड़ा कम दिखेगा। नतीजतन सरकारी कर्मचारियों को आज जितना भत्ता दिया जा रहा है, उससे कम भत्ता देने की जरूरत होगी। अगर आयोग की यह बात सरकार को पते की लगी, तो फिर महंगाई भले ही बढ़ती रहे; लेकिन भाई सा'ब, महंगाई भत्ता कम होने का वक्त आ गया है।

30 March, 2008

डॉक्टर और वेतन आयोग

चर्चा गरम है कि डाक्टर प्राइवेट नौकरी की तरफ भाग सकते हैं। छठवें वेतन आयोग की सिफारिश में यह 'मामूली' वेतन वृद्धि सरकारी डाक्टरों को बांध नहीं सकेगी। अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा अस्पतालों और मरीजों की बेतहाशा भीड़ का। एक भुक्तभोगी हैं, जिन्हें किडनी का आपरेशन कराने की तारीख छह महीने से नहीं मिल रही। डॉक्टरों की कमी की वजह से एक सर्जन को इतने अधिक आपरेशन करने होते हैं कि वह चाहते हुए भी जल्दी तारीख नहीं दे सकता। बड़े अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की संख्या आवश्यकता से 25-30 प्रतिशत कम है। कहां हैं डाक्टर?

नवीन गौतम लिखते हैं कि अस्पताल प्रशासकों के मुताबिक मोटी तनख्वाह के बदले कुछ बड़े निजी अस्पताल चले गए, कुछ विदेश निकल गए और कुछ ने अपने नर्सिग होम खोल लिए। सऊदी अरब में एक भारतीय डाक्टर को कम से कम एक लाख रुपये महीना करमुक्त वेतन मिलता है। सरकारी संस्थानों में बीस-बीस साल नौकरी कर चुके पुराने डाक्टर जब नए खून को पैसे में लोटते देखते हैं, तो वे भी बाहर जाने की जुगत लगाते हैं। डाक्टरों के विदेश जाने की प्रवृत्ति का एक अच्छा उदाहरण एम्स है, जहां कुल 42 बैच से निकले 2129 छात्रों में 780 को विदेश बेहतर लगा। जब सरकार बाजार का मुकाबला नहीं कर सकती हैं, तो फिर वेतन की तुलना क्यों की जाती है?

सरकार एक मेडिकल छात्र पर औसतन 25 लाख रुपये खर्च करती है। देश में हर साल लगभग 20 हजार एमबीबीएस और इसके करीब आधे स्नातकोत्तर स्तर के डाक्टर तैयार होते हैं। निजी संस्थानों में एक छात्र को दो से पांच लाख रुपये प्रति वर्ष फीस देनी पड़ती है, जबकि एम्स में 1500 रुपये और मौलाना आजाद जैसे संस्थानों में विभिन्न मदों में प्रति वर्ष 3,670 रुपये शुल्क देने पड़ते हैं। बाकी खर्च सरकार वहन करती है।

29 March, 2008

सरकारी नौकरी छोड़ने के फायदे

छठे वेतन आयोग की एक और सिफारिश सरकार के लिए मुसीबत बन सकती है। सेवा निवृत्ति से पहले नौकरी छोड़ना केंद्रीय कर्मचारियों के लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन, इससे सरकारी कम्पनियों में काम करने वाले कर्मचारी मुश्किल से ही बचेंगे। छठे वेतन आयोग का सुझाव है कि 15 साल से ज्यादा लेकिन 20 साल से कम की सेवा के बाद खुद सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मचारियों को आखिरी वेतन का 80 गुना सेवानिवृत्ति लाभ के तौर पर दिया जाए। साथ ही उन्हें ‘सेवा आनुतोषिक’ (सर्विस ग्रैच्युटी) और ‘मृत्यु और सेवानिवृत्ति आनुतोषिक’ (डेथ-कम-रिटायरमेंट ग्रैच्युटी) जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी।

इसके साथ ही 20 साल की सेवा पूरी करके नौकरी छोड़ने वालों को आखिरी तनख्वाह का 50 फीसदी पेंशन मिलेगा। पहले इसके लिए 33 साल नौकरी करने की शर्त थी। जानकारों का मानना है कि इन सुविधाओं के चलते मध्यस्तरीय सरकारी कर्मचारी नौकरियां छोड़ेंगे। कुछ जानकार ऐसे भी हैं जिनकी राय में अब प्रतिभाशाली सरकारी कर्मचारी निजी नौकरियों की तरफ भागेंगे।

इस बात की काफी संभावना है कि वीआरएस और पेंशन से जुड़े वेतन आयोग के सुझाव मान लिए जाएंगे क्योंकि इससे कर्मचारी भी खुश होंगे और सरकारी क्षेत्र से लोगों को कम करने का सरकार का मकसद भी पूरा होगा। वैसे भी वेतन आयोग ने सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाकर 62 साल करने की मांग खारिज कर दी है।

ज्यादा होगा काम, अगर अलग केबिन मिले!

आफिस में हर कर्मचारी को काम करने के लिए अलग-अलग केबिन दिया जाए तो इससे ज्यादा काम निकल सकता है। एक शोध से साबित हुआ है कि अकेले में व्यक्ति ज्यादा रफ्तार से और सटीक काम करता है। इसके उलट, समूह में काम करने से व्यक्ति की कार्यक्षमता घटती है।

कालग्रेरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि एक जैसे माहौल में कई लोगों के एक साथ काम करने से कार्यस्थल पर एक-दूसरे के काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। इस शोध के मुताबिक अगर किसी कार्यक्षेत्र में कोई दो लोग अलग-अलग काम कर रहे हों तो भी उनके काम की क्षमता पर असर पड़ता है। डा. वेल्स ने कहा, 'कल्पना कीजिए कि आप काम कर रहे हों और ठीक आपके बगल में कोई दूसरा आदमी भी कुछ काम कर रहा हो। आप पाएंगे कि आपके काम की गति कम हुई है।' डा. वेल्स का कहना है कि दूसरे की मौजूदगी पहले व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। यह प्रभाव नकारात्मक होता है। इसका असर व्यक्ति की एकाग्रता भंग होने, काम की रफ्तार घटने और यहां तक कि काम से मन उचटने के रूप में सामने आ सकता है।

28 March, 2008

काफी नहीं है सरकारी नौकरशाहों का वेतन

छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को यदि नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि पैसे कमाना हो तो नौकरशाह की बजाय उद्यमी होना ज्यादा अच्छा है। आधिकारिक आयोग द्वारा सचिवों और मंत्रिमंडल सचिव के वेतनमान में जितनी बढ़ोतरी के सुझाव दिए गए हैं, वह मध्यम आकार की निजी क्षेत्र कंपनी के निदेशक को मिलने वाले वेतन के मुकाबले कुछ भी नहीं है। किसी कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी के समकक्ष आने वाले मंत्रिमंडल सचिव को 90000 रुपये प्रति माह का वेतनमान [सालाना करीब 10 लाख रुपये] देने की सिफारिश की गई है, जबकि अन्य सचिवों को वेतनमानों में भारी बढ़ोतरी के सुझाव के बावजूद 10 लाख रुपये से कम ही मिलेगा।

सचिव स्तर को अधिकारियों को 80000 रुपये प्रति माह का निर्धारित वेतन देने की सिफारिश की गई है और अन्य अधिकारियों को वेतन उनसे भी कम है, जिससे उनके और निजी क्षेत्र के हाई प्रोफाइल मुख्य कार्याधिकारियों के वेतनमानों बीच का फासला स्पष्ट होता है। कई पूर्व सरकारी अधिकारियों को अपनी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज में नौकरी देने वाले मुकेश अंबानी 25 करोड़ रुपये का वेतन सालाना लेते हैं, जबकि मीडिया मैग्नेट सन टीवी के कलानिधि मारन करीब 23 करोड़ रुपये सालाना कमाते हैं। सन टीवी की ही संयुक्त प्रबंध निदेशक कावेरी कलानिधि को 23 करोड़ रुपये का वेतन मिलता है। सुनील भारती मित्तल को करीब 15 करोड़ रुपये का वेतन मिलता है, जबकि प्रमुख फार्मा कंपनी डा रेड्डीज लैब्स के कार्यकारी अध्यक्ष अंजी रेड्डी को वेतन के तौर पर 14 करोड़ रुपये से थोड़ा ज्यादा मिलता है। निजी क्षेत्र की करीब 300 कार्यकारियों को एक करोड़ रुपये सालाना से ज्यादा का वेतन मिलता है और यह संख्या आने वाले दिनों बढ़ती हुई ही दिखती है।

भारत का निजी क्षेत्र भारी-भरकम वेतन [करोड़ों रुपये] पाने वाले उद्योगपतियों की सूची से भरा पड़ा है लेकिन सरकारी क्षेत्र की बात करें तो मंत्रिमंडल सचिव और समकक्ष थल, जल और वायु सेना प्रमुखों के अलावा कोई भी अधिकारी 10 लाख रुपये के स्तर को भी पार नहीं कर पाएगा।
साभार: जागरण

छठे वेतन आयोग से सेना नाख़ुश!

भारतीय सेना की तरफ से छठें वेतन आयोग में वेतन बढ़ाने को लेकर सुगबुगाहटें तेज़ हो गई हो गई हैं। सेना के तीनों अंगों का मानना है कि वेतन आयोग ने उनके लिए जितना वेतन बढ़ाने की सिफ़ारिश की है, वो नाकाफी है। इसी सिलसिले में सैन्य बलों के तीनों प्रमुखों ने रक्षा मंत्री एके एंटनी से मुलाक़ात की है

माना जा रहा है कि सैन्य बलों के तीनों प्रमुखों ने रक्षा मंत्री एके एंटनी से कहा है कि ऐसी सिफारिशों से सेना में अफ़सरों की कमी दूर नहीं होगी और इस बढ़ोत्तरी के अलावा 40 से 60 प्रतिशत की और बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए.
सैन्य प्रमुखों ने कहा है कि सेना में अफ़सरों की संख्या में कमी को देखते हुए यह बढोत्तरी ज़रूरी है.

इंडियन डिफ़ेंस रिव्यु के संपादक कैप्टन भरत वर्मा का मानना है कि वेतन आयोग में बैठे लोग सेना की ज़रूरतों को नहीं समझते हैं, तभी सेना की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी हैं। वे कहते हैं, "एक अजीब सी बात है कि डिफ़ेंस का कोई भी व्यक्ति छठें वेतन आयोग में नहीं है। पता नहीं वहाँ बैठे लोग सेना के लोगों की तन्ख्वाहें कैसे तय कर रहे हैं." भरत वर्मा कहते हैं कि वेतन आयोग की सिफारिशों से मध्य श्रेणी के अफ़सरों और जवानों के मुकाबले ऊंचे ओहदे पर बैठे सैन्य अफ़सरों को ज़्यादा फ़ायदा होगा।

वेतन आयोग की रिपोर्ट में जहां सेना के जवान के विशेष सेना सेवा वेतन में 1000 रुपए प्रतिमाह की बढ़ोत्तरी की गई है वहीं अधिकारियों के विशेष सेना सेवा वेतन में 6000 रुपए प्रतिमाह की बढ़ोत्तरी की गई है। रिटायर्ड मेजर जनरल योगेश्वर बहल कहते हैं, "यह कोशिश की गई है कि ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारियों को खुश कर दिया जाए. सेना में क़रीब 11000- 12000 अफ़सरों की कमी है. लेफ्टिनेंट कर्नल और कर्नल को मुश्किल से चार या पांच हज़ार रुपए ज्यादा मिलेंगे. पिछले कुछ दिनों से जब से छठें वेतन आयोग के बारे में खबरें आ रही थी, कई सैन्य अधिकारी जो सेना छोड़ना चाहते थे, वे रुके हुए थे, लेकिन अब आयोग की रिपोर्ट के बाद उनमें रोष है."

भरत वर्मा तो यह तक कहते हैं कि इस वेतन आयोग में सेना छोड़ने वाले जवानों के करियर की तरफ ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया है। यानी सेना को सरकार से उम्मीदें बहुत हैं। सेवानिवृत्त अधिकारियों का कहना है कि अगर ये उम्मीदें पूरी न हुईं, तो भविष्य में देश के लिए कुर्बानी देने और तकलीफें झेलने के लिए तैयार लोगों को ढूंढने में हमें और मुश्किलें का सामना करना पड़ेगा.

साभार: बीबीसीहिंदी.कॉम

25 March, 2008

वेतन आयोग की रिपोर्ट: कुछ और तथ्य

वेतन आयोग की ६५८ पृष्ठ की रिपोर्ट यहाँ से लें। ३४० पृष्ठ का अनुलग्नक यहाँ से प्राप्त करें।

छठे
वेतन आयोग ने केंद्रीय कर्मचारियों के भत्तों में बहुत कुछ दिया है तो विशेष भत्ते की सुविधा वापस लेने की सिफारिश कर दी है। आयोग की नजर में एलटीसी के दौरान मिलने वाला दैनिक भत्ता भी खत्म कर दिया जाना चाहिए। वैसे आयोग ने शिक्षा, परिवहन, चिकित्सा आदि से जुड़े भत्तों में जबर्दस्त वृद्धि का सुझाव दिया है। डाकिये का साइकिल भत्ता दो गुना किया गया है तो बड़े बाबुओं के ट्रांसपोर्ट भत्ते में चार गुना की वृद्धि की गई है।

आयोग की राय है कि 'बी-1 और बी-2' श्रेणी के शहरों में नियुक्त कर्मचारियों को 20 फीसदी की दर से आवासीय भत्ता मिलना चाहिए जबकि बाकी शहरों व कस्बों के कर्मचारियों का आवासीय भत्ता 10 प्रतिशत की दर से मिलेगा। ए श्रेणी के कर्मचारियों के लिए आवास भत्ते में कोई बदलाव नहीं किया गया है। छोटे कर्मचारियों का साइकिल भत्ता, वाशिंग भत्ता, कैश हैंडलिंग भत्ता और रात्रि सेवा भत्ता को दोगुना करने की सिफारिश है।

सभी छोटे-बड़े कर्मचारियों के अवकाश यात्रा [एलटीसी] के दौरान मिलने वाले भत्ते पर आयोग ने नजर टेढ़ी की है। रिपोर्ट के मुताबिक इन कर्मचारियों को उनके वेतनमान व पद के अनुसार जो यात्रा भत्ता मिलता है, वही एलटीसी में भी मिलेगा, लेकिन दैनिक भत्ता अब नहीं दिया जाएगा। कर्मचारियों को विशेष ड्यूटी के नाम पर दिया जाने वाला विशेष भत्ता सुविधा खत्म करने की राय दी गई है।

केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों की फीस के रूप में जहां सिर्फ 50 रुपये मासिक प्रति बच्चा मिलता था, उसे अब बढ़ाकर एक हजार रुपये करने की सिफारिश की गई है। लेकिन यह सुविधा अब सिर्फ दो बच्चों पर ही मिल पाएगी। इसी तरह हास्टल में रहने वाले छात्रों के लिए प्रति माह मिलने वाली तीन सौ रुपये की राशि को बढ़ाकर तीन हजार रुपये करने का सुझाव है।

आयोग ने अपनी सिफारिश में साफ कर दिया है कि इन भत्तों पर मुद्रास्फीति की दर बढ़ने का कोई असर नहीं होगा। मुद्रास्फीति की दर में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि होने पर इनमें स्वाभाविक बढ़त हो जाया करेगी। आयोग ने कर्मचारियों को ट्रांसपोर्ट भत्ते का पूरा लाभ दिया है। चार गुना की वृद्धि के साथ इसे महंगाई की दर से सीधे जोड़ दिया है।

रिपोर्ट में डाक्टरों के नान प्रैक्टिस भत्ते [एनपीए] में पर्याप्त बढ़ोतरी की गई है। एनपीए मूल वेतन का 25 प्रतिशत की जगह पूरे वेतन का 25 प्रतिशत होगा, जबकि कुल अधिकतम वेतन 85 हजार रुपये तय किया गया है। जोखिम भत्ता [आरए] जो अब तक 20 रुपये से दो सौ रुपये मासिक था, उसकी जगह अब पांच, सात व 10 लाख रुपये का बीमा का लाभ दिया जाएगा। ऐसे कर्मचारियों के बेहतर स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

सरकारी दफ्तरों में बेहतर कार्य संस्कृति के लिए वेतन आयोग ने प्रदर्शन प्रोत्साहन योजना की सिफारिश की है। इस स्कीम को बोनस, मानदेय राशि और ओवरटाइम भत्ते के विकल्प के तौर पर लागू किए जाने का सुझाव दिया गया है। प्रदर्शन आधारित सालाना वेतन वृद्धि के लिए समूह ए पे बैंड-3 निर्धारित किया गया है। मेहनत से ड्यूटी करने वालों लिए इसमें 3.5 फीसदी तक की बढ़ोतरी का प्रावधान होगा।

वेतनमान में सालाना बढ़ोतरी की भी सिफारिश की गई है। कर्मचारियों को 2.5 फीसदी सालाना वृद्धि दिए जाने का सुझाव देते हुए आयोग ने कहा है कि वेतन में इस वार्षिक वृद्धि के क्रियान्वयन की तारीख एक जुलाई होनी चाहिए। यह वृद्धि उन्हें मिलेगी जिन्हें बेहतर काम करने वालों की श्रेणी में नहीं रखा गया है।

पेंशन की दर में आयोग ने कोई बढ़ोतरी नहीं सुझाई है लेकिन ग्रेच्युटी की सीमा 3.5 लाख रूपये कर दी है। पेंशन के लिए 33 साल तक नौकरी करने की शर्त भी खत्म करने की सिफारिश आयोग की रिपोर्ट में है। पेंशन के मामले में खास सिफारिश उन कर्मचारियों के लिए हैं जिनकी आयु 80 वर्ष और उससे ऊपर है। इन्हें अतिरिक्त पेंशन मिलेगी। फैमिली पेंशन और चिकित्सा लाभों में बेटियों के साथ होने वाला भेदभाव खत्म किया गया है।
वेतन आयोग ने कहा है कि चालू वेतनमानों और श्रेणियों के मामले में रक्षा बलों को असैनिक कर्मचारियों के बराबर माना जाएगा। लेकिन सेना में काम करने वालों को एक विशेष वेतन मिलेगा। जिसे मिलिट्री सर्विस पे कहा जाएगा। यह अलग-अलग पदों पर एक हजार, चार हजार दो सौ रुपये और छह हजार रुपये होगी। ब्रिगेडियर पद तक या इसके बराबर के पद वाले अधिकारियों को छह हजार रुपये प्रति माह से ज्यादा दिया जाएगा।

गर्भवती महिलाओं के लिए आयोग ने अवकाश की अवधि बढ़ाकर 180 दिन करने की राय दी है। एक नई स्वास्थ्य बीमा योजना भी आएगी जो मौजूदा सरकारी कर्मचारियों और पेंशन भोगियों के लिए तो यह ऐच्छिक होगी लेकिन नए कर्मचारियों के लिए यह योजना अनिवार्य होगी।

सरकार की कार्य क्षमता बढ़ाने और बेहतर काम के लिए छठे वेतन आयोग ने उपलब्ध प्रतिभावान लोगों को सीधे भर्ती में लिए जाने का सुझाव दिया है। आयोग का मानना है हाई डिमांड के पदों पर इस तरह की भर्ती करने से सरकार को उस क्षेत्र में उपलब्ध योग्यतम प्रतिभाओं का लाभ मिल सकेगा। सेवानिवृत्ति आयु सीमा बढ़ाने से इनकार करते हुए आयोग ने युवा प्रतिभाओं का लाभ उठाने का सुझाव दिया है।

आयोग की रिपोर्ट में प्रतिभा को खरीदने की खुले बाजार की होड़ में सरकार को भी शरीक होकर योग्यतम प्रतिभा लाने की सलाह दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तकनीकी अथवा विशेषज्ञता वाले हाईडिमांड के सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड व हायर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड के पदों को चिह्नित किया जाए। इसके बाद इन पदों पर सरकार के भीतर अथवा बाहर से लाए गए योग्य लोगों की भर्ती की जाए। इन पदों पर यूपीएससी के जरिये प्रतिनियुक्ति की जा सकती है। इससे फर्क नहीं पड़ेगा कि वह व्यक्ति सरकारी कर्मचारी है या बाहर का।

यदि कोई सरकारी कर्मचारी इस पद लिए आवेदन करता है तो उसे आवेदन करते समय विकल्प चुनना होगा कि क्या वह सामान्य वेतनमान में ही काम करता रहेगा और प्रतिनियुक्ति की अवधि पूरी होने के बाद वापस अपने मूल कैडर में लौट जाएगा अथवा उसे बाजार भाव के मुताबिक वेतन चाहिए। यदि सरकारी कर्मचारी बाजार भाव से वेतन लेना चाहता है तो उसे आवेदन करने से पहले सरकार से अपने सारे नाते तोड़ने होंगे। या तो उसे नौकरी से इस्तीफा देना होगा अथवा सेवानिवृत्ति लेनी होगी और एक बाहरी व्यक्ति की तरह आवेदन करना पड़ेगा। बाहरी व्यक्ति की नियुक्ति निश्चित अवधि के लिए ठेके पर की जाएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे उपलब्ध प्रतिभावान लोगों की उच्च पदों पर नियुक्ति हो सकेगी और उन लोगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा जो योग्य हैं व इसमें आना चाहते हैं।

वेतन आयोग की ६५८ पृष्ठ की रिपोर्ट यहाँ से लें। ३४० पृष्ठ का अनुलग्नक यहाँ से प्राप्त करें।

24 March, 2008

छठे वेतन आयोग ने क्या- क्या दिया?

छठे वेतन आयोग ने केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के लिए नए वेतनमानों की सिफारिश करते हुए न्यूनतम वेतनमान 6,660 रुपए और अधिकतम 80,000 रुपए मासिक तय किया है। न्यायमूर्ति बी. एन. श्रीकृष्ण की अध्यक्षता वाले छठे वेतन आयोग ने नए वेतनमानों को 1 जनवरी 2006 से लागू करने की सिफारिश अपनी रिपोर्ट में दी है।

रिपोर्ट के अन्य अहम बिंदु इस प्रकार हैं-

1. केन्द्र सरकार के अधिकारियों में सचिव और केबिनेट सचिव को अलग-अलग वेतनमान दिए गए हैं। केबिनेट सचिव के लिए 90,000 रुपए मासिक (निर्धारित) वेतन तय किया गया है।
2. रिपोर्ट में कहा गया है कि ए-1 श्रेणी के शहरों के लिए आवास भत्ता मौजूदा दर 30 प्रतिशत पर ही रहेगा। लेकिन ए, बी-1 और बी-2 श्रेणी के शहरों में यह भत्ता बढ़ाकर 20 प्रतिशत तथा सी श्रेणी तथा अन्य शहर जो किसी श्रेणी में नहीं आते उनके लिए आवास भत्ता 10 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है।
3. रिपोर्ट के मुताबिक छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक नए वेतनमान लागू करने से 2008-09 में सरकार पर 12,561 करोड़ रुपए का बोझ आएगा।
4। आयोग ने कहा है कि यदि उसके द्वारा सुझाए गए उपायों को लागू किया गया, तो 4586 करोड़ रुपए की बचत होगी और सरकार पर 7,975 करोड़ रुपए का ही बोझ पड़ेगा। आयोग के अनुसार ‘अरियर्स’ के
भुगतान पर 18,060 करोड़ रुपए की एकबारगी अदायगी का अतिरिक्त बोझ सरकार को उठाना पड़ेगा।
5. रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा सेवाओं के लिए भी नागरिक सेवाओं के वेतनमानों के समान ही ग्रेड मान्य होंगे, लेकिन सेनाओं में ब्रिगेडियर की रैंक तक सभी अधिकारियों को 6,000 रुपए और नर्सिंग सेवाओं के अधिकारियों को 4,200 रुपए तथा अधिकारियों से नीचे की सभी रैंक के कर्मियों को 1000 रुपए प्रतिमाह अलग से सैन्य सेवा वेतन के रुप में दिए जाएंगे।
6. आवास और महंगाई भत्ते जैसे दूसरे भत्तों की गणना में सैन्य सेवा वेतन शामिल होगा, लेकिन सालाना वेतन वृद्धि में यह शामिल नहीं होगा।
7. सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा के महानिदेशक को सर्वोच्च वेतनमान 80,000 रुपए (निर्धारित) में रखा गया है।
8. रक्षा सेनाओं में अधिकारी से नीचे के रैंक के लिए केवल दो ट्रेड समूह रखे गए हैं। इससे पहले के वाई और जेड ट्रेड समूह को मिला दिया गया है। एक्स समूह में आने वाले ट्रेड समूह के कर्मचारियों को 1400 रुपए महीने का अतिरिक्त वेतन दिया जाएगा।
9. पेंशन का भुगतान अंतिम पूर्ण वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर किया जाएगा और इसमें पूर्ण पेंशन भुगतान के लिए 33 साल की नौकरी की शर्त भी नहीं होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 से 20 साल की सेवा के बाद नौकरी छोड़ने वालों को उदार सेवानिवृति पैकेज दिया जाएगा।
10. सेवानिवृत्ति के बाद 80 वर्ष, 85 वर्ष, 90, 95 और 100 साल की उम्र तक पहुंचने वाले पेंशनरों और पारिवारिक पेंशनभोगियों को अधिक दर पर पेशन दी जाएगी।
11. एकमुश्त पेंशन लेने के लिए नए सिरे से निर्धारण करने की भी सिफारिश रिपोर्ट में की गई है।
12. किसी सरकारी कर्मचारी की नौकरी पर रहते अचानक किसी घटना में मृत्यु की स्थिति में उसके परिवार को 10 साल की अवधि के लिए बढ़ी दर पर पेंशन का भुगतान किया जाएगा।
13. केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतनमान ग्रेड भी 35 से घटाकर 20 कर दिए गए हैं। इन 20 ग्रेडों को चार अलग अलग वेतन बैंड पीबी-1, पीबी-2,पीबी-3 और पीबी-4 में बांटा गया हैं। वेतन बैंड के साथ पद के हिसाब से अलग-अलग ग्रेड वेतन भी रखी गई है। इससे ऊपर शीर्ष वेतनमान सचिव के लिए और इससे भी ऊपर एक अलग वेतनमान केबिनेट सचिव के लिए रखा गया है।
14. इस तरह नए वेतनमान के हिसाब से सरकारी नौकरी में सबसे निचले पद पर भर्ती के समय पीबी-1 के लिए 4,860 रुप का बैंक वेतन और 1800 रुपए की ग्रेड वेतन सहित कुल वेतनमान 6,660 रुपए होगा।
15. इसके ऊपर महंगाई और आवास भत्ता अलग से देय होगा और सालाना वेतनवृद्धि भी इसी वेतनमान के हिसाब से तय की जाएगी। वेतन बैंड और उसके साथ लागू वेतन ग्रेड को मिलाकर उसका ढ़ाई प्रतिशत सालाना वेतनवृद्धि के रुप में लिया जाएगा।
16. रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी मामलों में सालाना वेतनवृद्धि का समय एक जुलाई होगा। किसी भी स्केल में छह महीने अथवा इससे अधिक रहने वाले कर्मचारी एक जुलाई को सालाना वेतनवृद्धि के योग्य होंगे।
17. किसी भी श्रेणी के कर्मचारियों की पदोन्नति होने पर उसी वेतन बैंड में नए पद के हिसाब से ग्रेड वेतन बदल जाएगी।

22 March, 2008

कोयला कर्मियों को होली का तोहफा

साऊथ ईस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड ने अपने 80 हजार कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के रूप मे कर्मचारी समूह ग्रेच्युटी योजना लागू कर होली का तोहफा दिया है।

एसईईएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक बीके सिन्हा ने बताया कि लाईफ इंश्योरेंस कार्पोरेशन आफ इंडिया के साथ कल रायपुर में कर्मचारी समूह ग्रेच्युटी योजना पर समझौता हुआ। कोल इंडिया के अध्यक्ष पार्थो एस भट्टाचार्य की उपस्थिति मे एलआईसी को योजना लागू करने तीन सौ करोड़ रूपयों का चेक प्रदान किया गया।

उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत सभी कर्मचारी निर्धारित सेवा अवधि तक की ग्रेच्युटी पाने के पात्र हो गये हैं। वर्तमान नियमों के अनुसार किसी भी कर्मचारी को सेवाधि पूर्णता के बीच किसी भी समय सम्पूर्ण विकलांग होने या मृत्यु पर ग्रेच्युटी की राशि की गणना उस समय तक पूरी की गई सेवा वर्ष के आधार पर की जाती रही है।

21 March, 2008

कोल इंडिया बनाएगी प्रोन्नति स्कीम

कोल इंडिया अधिकारियों की प्रोन्नति के लिए एक विशेष स्कीम बनाएगी। इसी के तहत सभी अधिकारियों को प्रोन्नति दी जाएगी। यह आश्वासन कोल इंडिया के अध्यक्ष पार्थो भट्टाचार्य ने बुधवार, १९ मार्च को कोलकाता में मिलने गए कोल माइंस आफिसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के प्रतिनिधिमंडल को दिया। प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान कई मांगें रखी।

प्रोन्नति के सवाल पर श्री भट्टचार्य ने कहा कि इस मुद्दे पर शीघ्र ही एक विशेष स्कीम बनाई जाएगी। उसी के तहत अधिकारियों को प्रोन्नति दी जाएगी। कोलकाता से लौटे एसोसिएशन के केंद्रीय महासचिव केपी सिंह ने बताया कि अब ई वन से लेकर ई पांच तक के अधिकारियों का डीपीसी अप्रैल में तैयार कर लिया जाएगा। इसके बाद उन्हें प्रोन्नति दे दी जाएगी। प्रतिनिधिमंडल ने कोल इंडिया अध्यक्ष से कहा कि ई तीन में पांच तथा ई पांच में सात वर्षो से कार्यरत अधिकारियों को तत्काल प्रोन्नति दी जाए, जिससे प्रोन्नति में जो ठहराव आया है, वह दूर हो जाए। इस मुद्दे पर भी कोल इंडिया अध्यक्ष ने शीघ्र निर्णय लेने का आश्वासन दिया। श्री सिंह ने बताया कि सीएमडी मीट में कलस्टर प्रोन्नति को हरी झंडी दे दी गई है। पहले इस पर रोक लगाई गई थी। इससे कई अधिकारियों की प्रोन्नति का रास्ता साफ हो जाएगा।

दी झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन ने कोल इंडिया अध्यक्ष को पत्र लिखकर मांग की है कि कर्मचारियों को अंतरिम राहत नहीं चाहिए। अंतरिम राहत के स्थान पर एडहाक पेमेंट का भुगतान किया जाए। इसके अलावा कोयला उद्योग के अधिसंख्य कर्मचारी दस वर्षो के वेतन समझौते के पक्ष में हैं। इसलिए प्रबंधन दस वर्षो का वेतन समझौता करने के साथ ही कर्मचारियों का न्यूनतम वेतनमान 27 हजार रुपये करे। यदि ऐसा नहीं होता है तो कोयला कर्मचारियों के साथ अन्याय होगा।

14 March, 2008

कर्मचारियों के लिए खुशखबरी

केन्द्र सरकार के लाखों कर्मचारियों के लिए इंतजार की घड़ियां अब खत्म होने वाली हैं क्योंकि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल की तैयारी जोरों पर है। आयोग की रिपोर्ट इसी महीने के अंत तक आएगी। कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर जल्दी ही आ सकती है। केन्द्र सरकार अपने कर्मचारियों की तनख्वाह में 33 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकती है। यह बढ़ोतरी छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर होगी।

मीडिया मैं आयी खबरों के मुताबिक केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन में 25-33 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह बढ़ोतरी पहली जनवरी 2006 से प्रभावी मानी जाएगी। हालांकि अंतरिम राहत मिलने के कोई आसार नहीं हैं।

वेतन आयोग की सिफारिशें ऐसे समय में लागू करने की बात की जा रही है जब पहले से ही किसानों को कर्ज माफी की घोषणा और सामाजिक योजनाओं पर भारी खर्च का प्रावधान है। केन्द्र सरकार यह कहकर सरकारी खजाने पर दबाव की आशंका को खारिज कर सकती है कि कर से आमदनी लक्ष्य से कहीं ज्यादा है। साथ ही वित्तीय घाटे भी नियंत्रण में हैं। लेकिन जानकारों की मानें तो पांचवे वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल से सरकारी खजाने पर जो दबाव पड़ा था उससे उबरने में केन्द्र को कई साल लगे।

ध्यान रहे कि वेतन आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने पहले ही अपने बजट में अतिरिक्त खर्च का प्रावधान कर दिया है जबकि बाकी विभागों के लिए केन्द्र सरकार बाद में संसद में मंजूरी मांग सकती है। मोटे तौर पर केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सालाना वेतन बिल 13 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ सकता है। वहीं ढाई साल से ज्यादा बकाए के मद में भुगतान करने के लिए 35 से 40 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त इंतजाम 2008-09 में करना पड़ सकता है। सरकार बकाए वेतन का भुगतान किस्तों में करने का विकल्प दे सकती है। इससे एक ही बार में खजाने पर बोझ नहीं बढ़ेगा।

हालांकि राज्य सरकारें केन्द्र के वेतन आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने के लिए बाध्य नहीं है। लेकिन जानकारों का कहना है कि राज्य सरकारों को अपने कर्मचारियों के वेतन में केन्द्र के बराबर बढ़ोतरी करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

10 March, 2008

कोल इंडिया में 50 फीसदी डीए, मूल वेतन में जुडा

कोल इंडिया ने कोयला कर्मियों को होली का तोहफा देते हुए 50 फीसदी डीए मर्जर को हरी झंडी दे दी है। इससे कोल इंडिया के सभी अधिकारी लाभान्वित होंगे। यही नहीं, अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर लगने वाले परक्यूजिट टैक्स का भुगतान अब कोल इंडिया स्वयं करेगी। यह निर्णय शनिवार को कोल इंडिया के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। बोर्ड ने चिकित्सा सुविधा के लिए बनाई गई स्कीम को भी अपनी मंजूरी दे दी है। बोर्ड ने इसे पहली जनवरी 2007 से लागू करने का निर्णय लिया है।

केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय ने गत 26 फरवरी को यह आदेश जारी किया था कि सार्वजनिक क्षेत्र के अतंर्गत लाभ कमाने वाली कंपनियां अपने अधिकारियों को 50 फीसदी डीए मर्जर को लागू कर सकती हैं, लेकिन इसके लिए बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की मंजूरी लेनी होगी।

मंत्रालय ने यह शर्त भी जोड़ दी थी कि इसके लिए केंद्र सरकार कोई बजटरी सपोर्ट नहीं करेगी। मंत्रालय के आदेश जारी किए जाने के बाद कोल इंडिया के अधिकारी इसको लागू करने के लिए लगातार दबाव बना रहे थे। कोल माइंस आफिसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के केंद्रीय महासचिव केपी सिंह ने बताया कि कोल इंडिया ने इसे लागू कर अधिकारियों के हित में काफी अच्छा काम किया है। इसका लाभ अधिकारियों को सभी प्रकार की सुविधाओं में मिलेगा। बोर्ड ने इसे पहली जनवरी 2007 से लागू करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा परक्यूजिट टैक्स को लेकर भी कर्मचारी तथा अधिकारी लगातार कोल इंडिया पर दबाव बनाए हुए थे।

परक्यूजिट टैक्स कर्मियों के आवासों पर लगने वाला कर है, जिसे बोलचाल की भाषा मैं हाउस पर्क कहा जाता है। कोल इंडिया इसे स्वयं वहन करेगी। साथ ही अधिकारियों की चिकित्सा सुविधा में निर्णय लेते हुए बोर्ड ने कहा है कि अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के बाद कंपनी पांच लाख रुपये तक चिकित्सा सुविधा प्रदान करेगी। इसके साथ ही सामान्य रूप से होने वाली बीमारियों में मिलने वाले पेंशन की समतुल्य राशि का वहन करेगी, लेकिन इसके लिए अधिकारियों को सेवानिवृत्त होने के बाद 40 हजार रुपये जमा करने होंगे। श्री सिंह ने बताया कि यह कोयला उद्योग के कर्मचारियों के लिए काफी लाभकारी है। सेवानिवृत्त होने के बाद अधिकारी किसी भी अस्पताल में इलाज करवा सकते हैं। इस सुविधा के लिए लंबे समय से लड़ाई लड़ी जा रही थी, लेकिन अब जाकर यह यह सपना साकार हुआ है।

01 March, 2008

टैक्स स्लैब में परिवर्तन

वित्तीय वर्ष 2008-09 के लिए व्यक्तिगत आयकर दाताओं के लिए छूट की सीमा एक लाख दस हजार से बढ़ाकर डेढ़ लाख रूपए कर दी है। आयकर दाताओं को आयकर की छूट सीमा बढ़ने की तुलना में ज्यादा फायदा कर की दरें कम होने से होगा।

महिला आयकरदाताओं के लिए छूट की सीमा एक लाख 45 हजार से बढ़ाकर एक लाख 80 हजार तथा वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट की सीमा एक लाख 95 हजार से बढ़ाकर सवा दो लाख रूपए कर दी गई है। आयकर छूट की सीमा डेढ़ लाख करने से व्यक्तिगत आयकरदाताओं को चार हजार रूपए, महिला आयकरदाताओं को साढ़े छह हजार रूपए तथा वरिष्ठ नागरिक आयकरदाताओं को छह हजार रूपए का फायदा कर बचत के रूप में होगा। इन सभी आयकरदाताओं को इससे ज्यादा फायदा डेढ़ लाख से तीन लाख तक की आय पर कर की दर घटाकर दस फीसद करने से होगा।

पहले जिन लोगों की आय एक लाख दस हजार से डेढ़ लाख के बीच थी उन पर ही दस फीसद का कर लगता था। डेढ़ से ढाई लाख की आय पर कर की दर 20 फीसद तथा ढाई से दस लाख तक की आय पर 30 फीसद थी। दस लाख से ऊपर की आय वालों को 30 फीसद कर के अलावा दस फीसद का सरचार्ज और तीन फीसद का सेस भी देना होता था। अब जिन लोगों की आय तीन लाख रूपए तक होगी उन्हें डेढ़ लाख रूपए तक तो कोई कर नहीं देना होगा। साथ ही डेढ़ से तीन लाख रूपए तक की आय पर दस फीसद की दर से 15000 रूपए का कर देना होगा। पहले तीन लाख रूपए की आय पर कर की राशि 39000 रूपए बैठती थी।

एक लाख दस हजार से डेढ़ लाख तक की राशि दस फीसद के हिसाब से चार हजार रूपये, डेढ़ से ढाई लाख के बीच की एक लाख की राशि पर 20 फीसद के हिसाब से बीस हजार रूपए तथा ढाई से तीन लाख के बीच के पचास हजार रूपए पर 30 फीसद के हिसाब से पंद्रह हजार रूपए कर के रूप में बनते थे। इस तरह यह राशि कुल मिलाकर 39 हजार रूपए बनती थी। इसी तरह कर की दर कम होने से तीन लाख रूपए सालाना आय वाले व्यक्ति को कम से कम 24000 हजार रूपए की बचत होगी। फायदे की यह गणना तीन प्रतिशत के सेस (उपकर) के बिना की गई है।

उपकर वह कर है जो कर में सरचार्ज की राशि को शामिल करके आने वाली राशि पर लगाया जाता है। सरचार्ज वह कर है जो कर पर लगाया जाता है। जिन लोगों की आय दस लाख रूपए से अधिक है उनकी एक लाख की आय पर 30 हजार रूपए का आयकर, 30 फीसद की दर से, 30 हजार पर दस फीसद का सरचार्ज 3000 हजार रूपए तथा 33000 हजार रूपए (कर जमा सरचार्ज) पर तीन फीसद का सेस 990 रूपए देय होगा।

बजट प्रस्तावों के तहत 1।5 से 3.0 लाख रूपए के बीच की आय पर 10 प्रतिशत, 3 से 5 लाख रूपए की आय पर 20 प्रतिशत एवं 5 से 10 लाख रूपए की आय पर 30 प्रतिशत का आयकर देना होगा। 10 लाख से अधिक आय वाले व्यक्तियों को गत वर्ष की तरह दस फीसद का सरचार्ज और तीन फीसद का उपकर (सेस) भी देना होगा।