बैंककर्मियों के वेतन वृद्धि को लेकर छाई अनिश्चितता खत्म हो गई है। देश के लगभग 46 कामर्शियल बैंकों के लाखों कर्मचारियों की वेतन वृद्धि का रास्ता साफ करते हुए 27 अप्रैल को भारतीय बैंक संघ (आईबीए) और बैंक कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के बीच सहमति बन गई है। मुंबई में कई घंटे और कई दौर की बातचीत के बाद बैंक प्रबंधन ने वेतन वृद्धि और पेंशन विकल्प देने के सुझाव को स्वीकार कर लिया है।
इस समझौते पर आईबीए और कर्मचारी यूनियनों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। इससे बैंकों की वेतन लागत में 17.5 फीसदी की वृद्धि होगी। दूसरी तरफ बैंककर्मियों के वेतन में औसतन 3 हजार से 4 हजार रुपये प्रति महीने की वृद्धि संभावित है। यह वृद्धि नंवबर, 2007 से लागू मानी जाएगी।
बैंकों का मैनेजमेंट नंवबर, 2007 से अप्रैल, 2010 तक की अवधि के लिए वेतन वृद्धि को कुछ किश्तों में देने को तैयार हो गया है। ताजा फैसले के चलते कामर्शियल बैंकों पर सालाना 4 हजार 816 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। इसके अलावा जिन बैंककर्मियों ने पहले पेंशन विकल्प का चुनाव नहीं किया था, उन्हें एक बार फिर से पेंशन विकल्प का चयन करने की सुविधा देने का फैसला किया गया है। पेंशन विकल्प देने के चलते बैंकों पर 6 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। लेकिन इसमें 1800 करोड़ रुपये का अंशदान बैंककर्मियों की तरफ से किया जाएगा। पेंशन विकल्प से लगभग 2.66 लाख बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों को फायदा होगा।
बैंककर्मचारियों और आईबीए के बीच किया गया यह समझौता पांच वर्षो के लिए लागू होगा। इसके बाद फिर से नए सिरे से वेतन वृद्धि पर विचार-विमर्श किया जाएगा। कर्मचारियों को नया वेतन मई, 2010 से मिलने लगेगा। इससे दस लाख बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों को फायदा होने की उम्मीद है। यह समझौता सरकारी क्षेत्र के 26, निजी क्षेत्र के 12 और 8 विदेशी बैंकों पर लागू होगा।
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