कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) 1995 में सरकार के योगदान बढ़ाने के एक प्रमुख संसदीय समिति की सिफारिश को सरकार ने नामंजूर कर दिया है। समिति ने सुझाव दिया था कि सरकारी योगदान में भारी बढ़त कर इसे कम से कम नियोक्ता के योगदान के आधा तक किया जाए।
ईपीएस 1995 ऐसी योजना है, जिसमें कर्मचारियों और नियोक्ता को योगदान करना पड़ता है। फिलहाल सेवानिवृत्ति के लिए बचत करने की जो व्यवस्था है, उसमें गैर-सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों को अपने वेतन का 12 फीसदी हिस्सा कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में जमा करना पड़ता है। फंड में इसके बराबर राशि ही नियोक्ता भी जमा करता है। हालांकि नियोक्ता की यह 12 फीसदी राशि दो हिस्सों में विभाजित होती है। इस राशि में से 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (अधिकतम 540 रुपए प्रति माह) और शेष राशि ईपीएफ में चली जाती है। ईपीएस के तहत सदस्य यानी कर्मचारी से कोई योगदान नहीं लिया जाता। सरकार कर्मचारी के पेंशन फंड में 1.16 फीसदी राशि देती है।
इकोनोमिक टाइम्स में आयी ख़बर कहती है कि श्रम मामलों पर गठित संसद की स्थायी समिति ने इस बात पर गौर किया कि पिछले 14 साल से पेंशन योजना में न तो नियोक्ता का योगदान बढ़ रहा है, न ही सरकार का। अपनी 39वीं रिपोर्ट में समिति ने साफ तौर पर यह सुझाव दिया है कि योगदान के फॉर्मूले में समय-समय पर संशोधन होना चाहिए और सरकार का योगदान नियोक्ता का कम से कम आधा तो होना ही चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब यह जानने का प्रयास किया गया कि ईपीएस में योगदान के मामले में सरकार संशोधन करने में विफल क्यों रही तो मंत्रालय के अधिकारियों का कहना था कि सरकारी योगदान बढ़ाने फिलहाल उन्हें कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। इसकी जगह मंत्रालय का तर्क था कि प्रतिशत योगदान में संशोधन न होने के बावजूद पेंशन योजना में सरकार का योगदान बढ़ रहा है।
ईपीएस 1995 पर विपरीत असर पड़ने की संभावना से ही सरकार ने ईपीएफ योजना के तहत कवर होने वाले वेतन की सीमा 6,500 रुपए में कोई संशोधन नहीं किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'ईपीएफ के वेतन की सीमा बढ़ाने से ईपीएस योजना पर गहरा असर पड़ सकता है। इस तरह जब तक पेंशन योजना के प्रभाव को पूरी तरह से संभाला नहीं जा सकता, वेतन सीमा बढ़ाना उपयुक्त नहीं होगा।' अपने जवाब में सरकार ने कहा है, 'जून, 2001 से पेंशन पात्रता वेतन सीमा 5,000 रुपए से बढ़ाकर 6,500 रुपए करके सरकार ने पहले ही अपनी देनदारी करीब 10,000 करोड़ रुपए बढ़ा दी है और जब भी फिर उपयुक्त परिस्थिति आएगी वेतन की सीमा और बढ़ाई जा सकती है।'
कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के तीन सबऑर्डिनेट कानूनों में से एक ईपीएस भी है जो 16 नवंबर 1995 से लागू हुआ है। मंत्रालय के एक दूसरे संगठन कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) ने कर्मचारियों के बदलते स्तर को स्वीकारते हुए अपनी योजना के कवरेज की वेतन सीमा बढ़ाकर 10,000 रुपए कर दी है, लेकिन ईपीएफओ ने अभी तक ऐसा नहीं किया है।
(समाचार अंश: इकोनोमिक टाइम्स से साभार)
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जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....
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