राज्य सरकार ने 1 जनवरी 2006 से 31 अगस्त 2008 तक की बकाया राशि तीन किस्तों में तथा 1 सितंबर 2008 से वेतन के साथ नगद भुगतान का निर्णय लिया था। आचार संहिता लागू होने से पहले 2 मार्च को मंत्रिमंडल ने भी इस संबंध में निर्णय लिया था। वहीं, छठा वेतनमान लागू करने के लिए कर्मचारी संगठन राज्य सरकार और चुनाव आयोग पर दबाव बनाए हुए थे। आदेश जारी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी गई थी। आयोग की अनुमति मिलने के बाद बेमुद्दत हड़ताल की चेतावनी को वापस ले लिया गया है।
23 March, 2009
चुनाव आयोग ने छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को छठा वेतनमान की हरी झंडी दी
चुनाव आयोग ने छत्तीसगढ़ राज्य के कर्मचारियों को छठा वेतनमान देने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इसके साथ ही राज्य के दो लाख कर्मचारियों को अप्रैल का वेतन छठे वेतनमान की अनुशंसाओं के मुताबिक मिलेगा। सहायक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अरविंद दीक्षित ने मीडिया को बताया हैकि राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों को 1 जनवरी 2006 से छठे वेतनमान की अनुशंसाएँ लागू करने के संबंध में आयोग से अनुमति माँगी थी। इस पर मुहर लगाते हुए आयोग ने कहा है कि राज्य शासन के प्रस्ताव पर कोई आपत्ति नहीं है।
राज्य सरकार ने 1 जनवरी 2006 से 31 अगस्त 2008 तक की बकाया राशि तीन किस्तों में तथा 1 सितंबर 2008 से वेतन के साथ नगद भुगतान का निर्णय लिया था। आचार संहिता लागू होने से पहले 2 मार्च को मंत्रिमंडल ने भी इस संबंध में निर्णय लिया था। वहीं, छठा वेतनमान लागू करने के लिए कर्मचारी संगठन राज्य सरकार और चुनाव आयोग पर दबाव बनाए हुए थे। आदेश जारी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी गई थी। आयोग की अनुमति मिलने के बाद बेमुद्दत हड़ताल की चेतावनी को वापस ले लिया गया है।
राज्य सरकार ने 1 जनवरी 2006 से 31 अगस्त 2008 तक की बकाया राशि तीन किस्तों में तथा 1 सितंबर 2008 से वेतन के साथ नगद भुगतान का निर्णय लिया था। आचार संहिता लागू होने से पहले 2 मार्च को मंत्रिमंडल ने भी इस संबंध में निर्णय लिया था। वहीं, छठा वेतनमान लागू करने के लिए कर्मचारी संगठन राज्य सरकार और चुनाव आयोग पर दबाव बनाए हुए थे। आदेश जारी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी गई थी। आयोग की अनुमति मिलने के बाद बेमुद्दत हड़ताल की चेतावनी को वापस ले लिया गया है।
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