उनके अनुसार प्रबंधन पहले केवल मूल वेतन पर ही मिनिमम गारण्टेड बेनिफिट का आफर दे रहा था लेकिन उसने पिछली बैठक में बेसिक व डीए पर एमजीबी का आफर दिया। यह एक अच्छा संकेत है और यूनियन नेताओं की बड़ी जीत है। यूनियन नेताओं के अनुसार मैनेजमेंट पिछली बैठक में यूनियन की मांग के काफी करीब पहुंच गया था। अब उस पर और थोड़ा दबाव बनाने की जरूरत है। यदि वह 30 प्रतिशत मिनिमम गारण्टेड बेनिफिट देने के लिए इस बैठक में सहमत हो जाता है तो बात बन सकती है जिसकी संभावना ज्यादा नजर आ रही है।
कुछ यूनियन नेताओं का अयह भी कहना है कि वे अफसरों के वेतन पुनर्निर्धारण का भी इंतजार कर रहे थे। यदि अफसरों का वेतन पुनर्निर्धारण हो जाता तो उनके न्यूनतम मूल वेतन के आधार पर कर्मियों के लिए भी दबाव बनाना ज्यादा कारगार रहता। अब तक अफसरों का वेज रिवीजन नहीं होने से वे बहुत ज्यादा दबाव बनाने की स्थिति में नहीं हैं।
कुछ यूनियन नेताओं का अयह भी कहना है कि वे अफसरों के वेतन पुनर्निर्धारण का भी इंतजार कर रहे थे। यदि अफसरों का वेतन पुनर्निर्धारण हो जाता तो उनके न्यूनतम मूल वेतन के आधार पर कर्मियों के लिए भी दबाव बनाना ज्यादा कारगार रहता। अब तक अफसरों का वेज रिवीजन नहीं होने से वे बहुत ज्यादा दबाव बनाने की स्थिति में नहीं हैं।
पिछले वेतन पुनर्निर्धारण में अफसरों व कर्मियों के बीच वेतन ढ़ाँचे में बहुत ज्यादा अंतर हो गया था। कर्मी उम्मीद कर रहे हैं कि इस वेज रिवीजन में उस अंतर की कुछ हद तक भरपाई हो सकेगी। वैसे प्रबंधन ने पिछली बैठक में जो प्रस्ताव दिया था उसके हिसाब से गणना करने पर न्यूनतम मूल वेतन 8102 रुपए होता है। इस बेसिक को यूनियन नेता और कितना बढ़वा पाते हैं यह मंगलवार की बैठक में ही स्पष्ट हो सकेगा। यूनियन नेताओं की उम्मीदों के विपरीत अगर बैठक बेनतीजा समाप्त हुई तो कर्मियों को फिर एक बार निराश होना पड़ेगा। वरना अफवाहों पर ध्यान दिया जाये तो 22 जून से भुगतान की भी बातें चल रहीं!
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