29 January, 2008

वेतन हो सकता है तिगुना, केंद्रीय कर्मियों का

सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ने की आशंका दरकिनार करते हुए छठा वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों के लिए तीन गुना से भी ज्यादा वेतन वृद्धि की सिफारिश करने की तैयारी में है। इसी तरह उच्च पदों पर काबिज नौकरशाहों का आयोग खास ख्याल रखने वाला है। निचले स्तर के कर्मियों के पदनाम भी बदले जा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक छठे वेतन आयोग के पिटारे से कर्मचारियों की तनख्वाह में सवा तीन गुना बढ़ोतरी की सिफारिश निकलने के पूरे आसार हैं। यह वृद्धि संयुक्त सचिव से नीचे के स्तर पर पदस्थ सभी केंद्रीय कर्मियों के वेतन के लिए लागू होगी।

दैनिक जागरण की खबर के अनुसार, इसी तरह संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के स्तर के अधिकारियों को भी आयोग खुश करने में लगा है। आयोग नया वेतनमान जनवरी 2006 से लागू करने के पक्ष में है। वेतन आयोग की सिफारिशों पर अगर सरकार ने अमल किया तो संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी का मूल वेतन 60 हजार रुपये प्रतिमाह होगा। इसी तरह अतिरिक्त सचिव का मूल वेतन 70 हजार तक पहुंच जाएगा। आयोग की सिफारिश के मुताबिक सचिव स्तर के अधिकारी का मूल वेतन 75 हजार रुपये प्रतिमाह होने के आसार हैं। वहीं कैबिनेट सचिव का मासिक वेतन 80 हजार कर दिया जाएगा। इसके अलावा इन अधिकारियों के लिए मकान किराया भत्ता समेत अन्य तमाम सुविधाएं भी देने की सिफारिश आयोग ने की हैं। इनमें सीसीए और परिवहन की सुविधा शामिल हैं। इन पदों पर काबिज अधिकारियों के लिए एचआरए उनके मूल वेतन का 40 प्रतिशत से भी ज्यादा हो सकता है। इन पदों के लिए मौजूदा वेतनमानों के अनुसार संयुक्त सचिव से लेकर सचिव स्तर तक के पदों पर वेतन 40 हजार से 60 हजार तक है।

इसके अलावा वेतन आयोग केंद्र सरकार के तमाम विभागों में छोटे स्तर के कर्मचारियों के पदनाम बदलने की भी सिफारिश देने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। निजी क्षेत्रों की तर्ज पर ऐसा प्रयोग करने का मूड आयोग ने बनाया है। सरकारी दफ्तरों को निजी क्षेत्र की तरह मुस्तैद करने पर जोर दे रहा वेतन आयोग चाहता है कि चपरासी पद पर बैठे व्यक्ति को लोग कार्यालय सहायक (आफिस असिस्टेंट) कहें। इसी तरह आयोग निम्न श्रेणी लिपिक (एलडीसी) पद का नाम बदल कर जूनियर एक्जीक्यूटिव और उच्च श्रेणी लिपिक (यूडीसी) पद नाम बदल कर एक्जीक्यूटिव रखने के पक्ष में है। आयोग की सोच है कि पदनाम बदलने से निश्चित रूप से कामकाज के ढंग पर कुछ सकारात्मक असर होगा।

22 January, 2008

कर्मचारी को मौखिक सबूतों पर हटाया जा सकता है

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कोई नियोक्ता विश्वसनीय मौखिक सबूतों के आधार पर किसी कर्मचारी को दु‌र्व्यवहार का दोषी बताकर नौकरी से हटा सकता है।

न्यायालय की एक पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि यह जरूरी नहीं कि कंपनी की घरेलू जांच में भी वही मानक अपनाए जाएं जिनकी सिविल कोर्ट उम्मीद करता है।

न्यायालय ने अपने एक पुराने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि किसी को दोषी ठहराने के लिए यदि सीधा कोई सबूत न हो तो परिस्थितिजन्य साक्ष्य और मौखिक सबूत पर्याप्त हैं। यह कहते हुए उसने दो कर्मियों की बर्खास्तगी को सही ठहराया।

कर्मचारी स्टीफन और उसके साथी को चोरी के आरोप में नौकरी से हटा दिया गया था। जांच अधिकारी के सामने प्रबंधन के कुछ गवाहों ने उनके खिलाफ बयान दिए। श्रम न्यायालय ने उनकी बर्खास्तगी को यह कहकर नाजायज ठहराया था कि जांच नियमानुसार नहीं की गई है लेकिन मद्रास उच्च न्यायालय ने इस निर्णय को यह कहते हुए पलट दिया कि प्रबंधन के गवाहों की गवाही विश्वसनीय है। तब इन कर्मचारियों ने इस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की। उच्चतम न्यायालय ने यह कहते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी कि इन कर्मचारियों ने प्रबंधन के गवाहों के बयान को न तो आंतरिक जांच के समय और न ही दोबारा पुष्टि के समय चुनौती दी थी।

17 January, 2008

ऊंची उड़ान के लिए कर्मचारी का रखें ध्यान

अगर किसी कंपनी को बेस्ट परफॉरमेंस की हसरत हो, उसे अपने कर्मचारियों को अच्छे उपकरण, संसाधन और स्वायत्तता देने में परहेज नहीं करना चाहिए। इकानॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) की स्टडी के नतीजे इसी तरफ इशारा कर रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएं और कारोबार के प्रदर्शन के बीच सीधा संबंध है। रिपोर्ट के मुताबिक अपने कर्मचारियों को सुविधाएं देने वाले संस्थान का प्रदर्शन बेहतर होगा। नॉर्थ अमेरिका स्थित इकानॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के डायरेक्टर (रिसर्च) एन. हॉलोवे ने कहा - इस स्टडी से साफ है कि कर्मचारियों को दी जाने वाली सुविधाओं और वित्तीय प्रदर्शन में सकारात्मक संबंध है। इसके तहत 1351 सीनियर इग्जेक्यूटिव का ऑनलाइन सर्वे किया गया। सर्वे में पाया गया कि कारोबार की सफलता और कर्मचारियों को मिलने वाले संसाधन के बीच सीधा संबंध है। इससे कर्मचारियों को सटीक फैसले लेने में मदद मिलती है और कारोबार नई ऊंचाईयों पर पहुंचता है।

स्टडी के मुताबिक, किसी भी संगठन के सबसे बड़े ऐसेट कर्मचारी होते हैं। लिहाजा कर्मचारियों के लिए कंपनी को टेक्नॉलजी आदि में निवेश करना चाहिए, ताकि उनकी क्षमता का बेहतर इस्तेमाल किया जा सके। साथ ही कर्मचारियों को प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिए।

सांगठनिक ढांचे उपयुक्त टेक्नॉलजी और दूसरे संसाधनों के जरिए कर्मचारी ऐसे काम करते हैं, जिससे कंपनी को मुनाफा होता है। स्टडी में पाया गया कि आधी कंपनियां आईटी से लैस नहीं हैं। ऐसे में इसके समय से व प्रभावी तरीके से फैसला लेना मुमकिन नहीं है। मसलन सिर्फ 53 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि उनके पास जरूरी आईटी अप्लायंसेज हैं और जबकि 52 फीसदी ने कहा कि उनके पास सिर्फ और सिर्फ जरूरी जानकारियां हैं।

15 January, 2008

बॉस से इज्जत, कर्मचारी की खुशी

एशियाई देशों में करवाए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत और चीन के कर्मचारी बॉस द्वारा इज्जत दिए जाने को वेतन से बड़ा प्रेरक तत्व मानते हैं और ऐसा किए जाने की स्थिति में उनकी उत्पादक क्षमता बढ़ जाती है।

समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार ‘मरसर’ नामक कम्पनी ने भारत, चीन, जापान, सिंगापूर और दक्षिण कोरिया में करवाए गए एक सर्वेक्षण में पाया कि भारत के कर्मचारी वेतन से ज्यादा नौकरी से होनी वाली व्यक्तिगत उन्नति और भविष्य में करियर पर पड़ने वाले प्रभाव को महत्व देते हैं।

मरसर के मानव संसाधन विभाग के प्रमुख राजन श्रीकांत के अनुसार, “सर्वेक्षण से यह साफ हो गया कि एशिया के कर्मचारी काम करने वाली जगहों पर इज्जत चाहते हैं।”

इसके उलट सिंगापूर और दक्षिण कोरिया में काम करने वालों के लिए वेतन ज्यादा मायने रखता है और जापान के कर्मचारियों के लिए यही सबसे बड़ा प्रेरक तत्व है।

श्रीकांत के अनुसार नियोक्ता अगर कर्मचारियों की बात सुनें और उन्हें इस बात का एहसास दिलाएं कि संस्था उनकी भूमिका को तवज्जो देती है तो यह कर्मचारियों को नौकरी में बनाए रखने में सहायक साबित हो सकता है।

14 January, 2008

बस 90 दिन की सैलरी और नौकरी से छुट्टी !

सरकार श्रम कानूनों में सुधार के मूड में है। सरकार ऐसा फॉर्म्युला बना रही है, जिसके तहत कंपनियां अपने कर्मचारियों को पर्याप्त मुआवजा देने के बाद उनकी छुट्टी कर सकेंगी। मुआवजा 45 से 90 दिन तक की सैलरी के बराबर हो सकता है। श्रम मंत्रालय ने सीआईआई, फिक्की और एसोचैम जैसी इंडस्ट्री की प्रमुख प्रतिनिधि संस्थाओं से ऐसे मैक्सिमम कंपन्सेशन पैकेज बताने को कहा है, जो एम्प्लॉयर अपने कर्मचारियों को देने को तैयार हों।

श्रम राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ऑस्कर फर्नांडिस ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधि भी इसके समर्थन में हैं लेकिन चाहते हैं कि किसी कर्मचारी को नौकरी से हटाने पर दिया जाना वाला कंपन्सेशन 90 दिन की सैलरी के बराबर हो। इंडस्ट्रियों की प्रतिनिधि संस्थाएं 45 दिन का मुआवजा देने को तैयार हैं। मैंने कंपन्सेशन बढ़ाने को कहा है।

फर्नांडिस ने कहा कि एक बार ये श्रम सुधार लागू हो जाएं तो उद्योगों की उत्पादन क्षमता काफी बढ़ जाएगी। असंगठित क्षेत्र के कामगारों को भी फायदा होगा। देश में काम करने वाले लोगों में से सिर्फ 8 फीसदी ही ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में काम करते हैं। ये लोग भी महसूस करते हैं कि अगर अच्छा कंपन्सेशन पैकेज मिले तो नौकरी जाने पर भी घाटे में नहीं रहेंगे।

09 January, 2008

अब कर्मचारी देंगे बॉस की रिपोर्ट! सावधान

अब आप अपने बॉस की पीठ पीछे शिकायत करने की बजाय कुछ और भी कर सकेंगे। कर्मचारियों को भी यह हक होगा कि वे अपने बॉस के काम का मूल्यांकन कर सकें।

आमतौर पर दफ्तरों में हर साल जनवरी से अप्रैल महीने में कर्मचारियों के काम का मूल्यांकन किया जाता है। भारतीय कंपनियों में अब दोतरफा मूल्यांकन की पद्धति लागू किए जाने पर विचार चल रहा है। इसके तहत अब कर्मचारी भी यह बता सकेंगे उन पर रौब जमाने वाले बॉस का काम उन्हे कैसा लगता है।

'लायनब्रिज इंडिया' के उपाध्यक्ष और महाप्रबंधक रॉबिन लॉयड ने बताया कि ऐसा कर हम टीम को और मजबूत बनाना चाहते है। आईटी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी 'एडोब' का मानना है कि जब कर्मचारी अच्छा काम नहीं करते है तो यह भी संभव है कि बॉस भी ढंग से काम नहीं कर रहा हो। कंपनी के मानव संसाधन विभाग (एचआर) की निदेशक अपर्णा बालाकुर ने कहा कि बॉस के बारे में कर्मचारियों की अलग-अलग राय हो सकती है। इस पद्धति से हमें उनके मूल्यांकन का रास्ता मिल जाएगा।

कुछ कंपनियों में तो एचआर के व्यक्ति की उपस्थिति में कर्मचारी और उनके बॉस के कामों का मूल्यांकन किया जाता है। उस दौरान यह भी चर्चा की जाती है कि बॉस की क्या-क्या कमियां है। सामान्यत: कंपनियों में बॉस के काम पर अपनी राय देने के लिए सर्वेक्षण किया जाता है, जिसमें कर्मचारियों से प्रश्नावली भरवाई जाती है। कई दफा हर कर्मचारी से अलग-अलग राय भी ली जाती है।