दैनिक जागरण की खबर के अनुसार, इसी तरह संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के स्तर के अधिकारियों को भी आयोग खुश करने में लगा है। आयोग नया वेतनमान जनवरी 2006 से लागू करने के पक्ष में है। वेतन आयोग की सिफारिशों पर अगर सरकार ने अमल किया तो संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी का मूल वेतन 60 हजार रुपये प्रतिमाह होगा। इसी तरह अतिरिक्त सचिव का मूल वेतन 70 हजार तक पहुंच जाएगा। आयोग की सिफारिश के मुताबिक सचिव स्तर के अधिकारी का मूल वेतन 75 हजार रुपये प्रतिमाह होने के आसार हैं। वहीं कैबिनेट सचिव का मासिक वेतन 80 हजार कर दिया जाएगा। इसके अलावा इन अधिकारियों के लिए मकान किराया भत्ता समेत अन्य तमाम सुविधाएं भी देने की सिफारिश आयोग ने की हैं। इनमें सीसीए और परिवहन की सुविधा शामिल हैं। इन पदों पर काबिज अधिकारियों के लिए एचआरए उनके मूल वेतन का 40 प्रतिशत से भी ज्यादा हो सकता है। इन पदों के लिए मौजूदा वेतनमानों के अनुसार संयुक्त सचिव से लेकर सचिव स्तर तक के पदों पर वेतन 40 हजार से 60 हजार तक है।
इसके अलावा वेतन आयोग केंद्र सरकार के तमाम विभागों में छोटे स्तर के कर्मचारियों के पदनाम बदलने की भी सिफारिश देने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। निजी क्षेत्रों की तर्ज पर ऐसा प्रयोग करने का मूड आयोग ने बनाया है। सरकारी दफ्तरों को निजी क्षेत्र की तरह मुस्तैद करने पर जोर दे रहा वेतन आयोग चाहता है कि चपरासी पद पर बैठे व्यक्ति को लोग कार्यालय सहायक (आफिस असिस्टेंट) कहें। इसी तरह आयोग निम्न श्रेणी लिपिक (एलडीसी) पद का नाम बदल कर जूनियर एक्जीक्यूटिव और उच्च श्रेणी लिपिक (यूडीसी) पद नाम बदल कर एक्जीक्यूटिव रखने के पक्ष में है। आयोग की सोच है कि पदनाम बदलने से निश्चित रूप से कामकाज के ढंग पर कुछ सकारात्मक असर होगा।