14 January, 2008

बस 90 दिन की सैलरी और नौकरी से छुट्टी !

सरकार श्रम कानूनों में सुधार के मूड में है। सरकार ऐसा फॉर्म्युला बना रही है, जिसके तहत कंपनियां अपने कर्मचारियों को पर्याप्त मुआवजा देने के बाद उनकी छुट्टी कर सकेंगी। मुआवजा 45 से 90 दिन तक की सैलरी के बराबर हो सकता है। श्रम मंत्रालय ने सीआईआई, फिक्की और एसोचैम जैसी इंडस्ट्री की प्रमुख प्रतिनिधि संस्थाओं से ऐसे मैक्सिमम कंपन्सेशन पैकेज बताने को कहा है, जो एम्प्लॉयर अपने कर्मचारियों को देने को तैयार हों।

श्रम राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ऑस्कर फर्नांडिस ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधि भी इसके समर्थन में हैं लेकिन चाहते हैं कि किसी कर्मचारी को नौकरी से हटाने पर दिया जाना वाला कंपन्सेशन 90 दिन की सैलरी के बराबर हो। इंडस्ट्रियों की प्रतिनिधि संस्थाएं 45 दिन का मुआवजा देने को तैयार हैं। मैंने कंपन्सेशन बढ़ाने को कहा है।

फर्नांडिस ने कहा कि एक बार ये श्रम सुधार लागू हो जाएं तो उद्योगों की उत्पादन क्षमता काफी बढ़ जाएगी। असंगठित क्षेत्र के कामगारों को भी फायदा होगा। देश में काम करने वाले लोगों में से सिर्फ 8 फीसदी ही ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में काम करते हैं। ये लोग भी महसूस करते हैं कि अगर अच्छा कंपन्सेशन पैकेज मिले तो नौकरी जाने पर भी घाटे में नहीं रहेंगे।

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