उत्तर प्रदेश में लागू एसएटी रिजवी कमेटी की रिपोर्ट ने पदोन्नत और सीधे भर्ती होने वाले अफसरों के बीच दीवार खड़ी कर दी है। पदोन्नत अफसरों को अब पद और रुतबा तो मिलेगा पर वे सीधे भर्ती होने वाले अफसरों से काफी कम तनख्वाह पाएंगे। प्रदेश में छठवें वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू करने को गठित इस कमेटी की सिफारिश पर सरकार ने सीधी भर्ती और पदोन्नत अफसरों का वेतनमान अलग-अलग कर दिया है।
अब तक 8000-13500 वेतनमान से ही राजपत्रित अधिकारियों की शुरूआत होती थी। नायब तहसीलदार से तहसीलदार, आबकारी निरीक्षक से सहायक आबकारी आयुक्त के पद पर पदोन्नत होने वालों को यही वेतनमान मिलता था। सीधे भर्ती होने वाले भी इसी वेतनमान पर काम करते थे। अब पदोन्नत अफसर का वेतनमान 9300-34800 होगा जबकि सीधे भर्ती होने वाले अफसर का 15600-39100। अमर उजाला की ख़बर के अनुसार यह स्पष्ट है कि पदोन्नत अफसरों का मूल वेतन सीधी भर्ती वाले से 6300 रुपये कम (15600-9300) होगा। एसडीएम, एसपी, बीडीओ, पुस्तकालयाध्यक्ष, संख्याधिकारी, लेखाधिकारी, सहायक अभियंता का वेतनमान भी 8000-13500 है। इनका वेतनमान 15600-39100 हो जाएगा क्योंकि यह पद सीधे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से भरे जाते हैं।
तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के संगठन राजस्व (प्रशासनिक) अधिकारी संघ ने इस निर्णय का विरोध करते हुए 9300-34800 वेतनमान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष आशीष मिश्र का कहना है कि पदोन्नत अफसरों को भी 15600-39100 वेतनमान दिया जाए। बकौल मिश्र बीडीओ और तहसीलदार के कार्य क्षेत्र, दायित्व में काफी अंतर है। तहसीलदार की अपेक्षा बीडीओ का वेतन 68 प्रतिशत अधिक किया जाना न्यायोचित नहीं।
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