02 January, 2009

विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के वेतन में भारी उछाल

विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को नए साल में बढ़ी तनख्वाह का भारी भरकम उपहार मिला है। रीडर की तनख्वाह जबरदस्त उछाल के साथ 75 हजार रुपये के पार हो गई है, जबकि प्रारंभिक स्तर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों को एक IAS से भी ज्यादा वेतन मिलेगा। एक अनुमान के मुताबिक शिक्षकों की तनख्वाह में 14 से लेकर 33 हजार रुपये प्रतिमाह तक का इजाफा हुआ है। केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के लिए नए वेतनमान से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है और शिक्षक फरवरी में नए वेतनमान की उम्मीद कर रहे हैं।

अब विश्वविद्यालयों और कॉलिजों में पदों को नया नाम देकर इनकी संख्या तीन तक सीमित कर दी गई है। लेक्चरर को असिस्टेंट प्रोफ़ेसर और रीडर को असोसिएट प्रोफेसर के नाम से जाना जाएगा जबकि तीसरा पद प्रोफेसर का ही होगा। सबसे अधिक फायदा रीडर को हुआ है। 

1-1-2006 को रीडर के रूप में या रीडर ग्रेड में तीन साल पूरे करने वाले शिक्षक अपने आप ही असोसिएट प्रोफ़ेसर बन जाएंगे। नवभारत टाइम्स में भूपेंद्र की रिपोर्ट है कि उन्हें 37,400-67,000 (ग्रेड पे 9,000 के साथ) का वेतनमान मिलेगा। एक अनुमान के मुताबिक तीन साल रीडर के रूप में कार्य करने वाले पीएचडी धारक शिक्षक को 76 हजार रुपये के आसपास मिलेंगे, जबकि अभी तक उन्हें 42 से 44 हजार रुपये तक मिलते थे। विश्वविद्यालयों में प्रारंभिक स्तर पर  15,600-39,100 (ग्रेड पे 6,000 के साथ) मिलेंगे और यह राशि 42 हजार के आसपास होगी। जबकि पहले प्रारंभिक स्तर पर लगभग 28,000 रुपये मिलते थे। प्रारंभिक स्तर पर आईएएस के लिए निर्धारित वेतनमान 15,600-39,100 (5400 ग्रेड पे के साथ) है, जो इस स्तर पर शिक्षक से कम है।

कॉलिजों में प्रोफेसरशिप की लंबी मांग अब पूरी हो गई है। हालांकि प्रोफेसर खुश नहीं है क्योंकि उनको भी रीडर का पे बैंड दिया गया है। फर्क इतना ही प्रोफेसर का ग्रेड पे 9,000 की जगह 10,000 कर दिया गया है। इसके अलावा 10 साल की नौकरी के बाद कुछ प्रोफेसरों को 12,000 रुपये ग्रेड पे देने की बात कही गई है।  

2 comments:

  1. शर्मनाक है… क्यों है, इसके कई कारण गिनाये जा सकते हैं, जो कि टिप्पणी में देना सम्भव नहीं… एक पूरी पोस्ट लिखनी पड़ेगी… वैसे भी जो कुछ विश्वविद्यालयों में चल रहा है और उनका क्या स्तर है, उसे सभी जानते हैं…

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  2. वेतन की यह लूट है, जितना चाहे लूट.
    अंधा-बहरा यह सिस्टम, शीघ्र जायेगा टूट.
    शीघ्र जायेगा टूट, बोझ कब तक ढोयेगा.
    मूर्ख राज-नेताओं संग शिक्षक रोयेगा.
    कह साधक ईन्डिया मे अधर्म की पूरी छूट है.
    जितना चाहे लूट, वेतन की यह लूट है.

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