छठे वेतन आयोग का गठन होने से पहले ही तीनों सेनाओं के प्रमुखों की समिति ने उसमें प्रतिनिधित्व की लिखित मांग की थी, जिसे रक्षा मंत्रालय की नौकरशाही ने दबा दिया था। यह खुलासा पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने किया है, जो उस समय तीनों सेनाओं के प्रमुखों की समिति के अध्यक्ष थे। उन्होंने सुझाव दिया है कि सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए रक्षा मंत्रालय से पूछा जाना चाहिए कि समिति के अध्यक्ष के पत्र पर बनी फाइल पर क्या बातें दर्ज हुई थीं और वेतन आयोग में प्रतिनिधित्व दिए जाने के सैन्य बलों के अनुरोध को खारिज करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने क्या सिफारिश की थी।
उल्लेखनीय है कि एडमिरल अरुण प्रकाश फरवरी 2005 से अक्टूबर 2006 तक तीनों सेनाओं के प्रमुखों की समिति के अध्यक्ष थे और उस समय रक्षा मंत्री प्रणव मुखर्जी थे। एडमिरल ने छठे वेतन आयोग से सशस्त्र बलों में उपजे असंतोष पर एक प्रतिष्ठित रक्षा पत्रिका में लिखे गए लेख के माध्यम से यह बात उजागर की है कि समिति के अध्यक्ष ने 12 अप्रैल 2006 को रक्षामंत्री को पत्र लिखा था और फौज की तरफ से किसी अधिकारी को वेतन आयोग में सदस्य बनाए जाने की मांग की थी। उस समय वेतन आयोग के गठन की घोषणा होने वाली थी।
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