देश के शीर्ष सैन्य नेतृत्व ने २६ जून को एक उच्चस्तरीय बैठक में सशस्त्र बलों के वेतन संबंधी प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए गहन विचार मंथन किया, जिसे कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष पेश किया जाएगा। रक्षा सूत्रों ने इस बैठक का ब्यौरा देने से इंकार करते हुए कहा, “बंद कमरे में हुए विचार-विमर्श को वहीं तक सीमित रखने का निर्णय लिया गया है”।
एक रक्षा अधिकारी ने कहा, “बेहतर होगा कि वेतन में संशोधन के मुद्दे पर कोई अटकलें नहीं लगाई जाएं क्योंकि इससे सशस्त्र बलों के हितों पर ही प्रतिकूल असर पड़ेगा”। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी के अलावा नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरीश मेहता, वायुसेना अध्यक्ष एयरचीफ मार्शल फली होमी मेजर और सेना उप प्रमुख लेफ्टीनेंट जनरल मिलन नायडू मौजूद थे, क्योंकि सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर रूस गए हुए हैं। एंटनी ने सैन्य प्रमुखों के साथ यह बैठक ऐसे समय की है जबकि सेना के अफसर छठे वेतन आयोग की नाकाफी सिफारिशों से खफा हैं और सेना छोड़ने वाले अधिकारियों का तांता लगा हुआ है। वेतन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद से बीच की रैंक के 120 से ज्यादा अफसर सेना छोड़ने की अर्जी दे चुके हैं और यह सिलसिला लगातार जारी है।
निचले रैंक के सैन्य अधिकारी खासतौर से आक्रोश में हैं, क्योंकि दस साल बाद वेतन में संशोधन होने के बावजूद उनकी तनख्वाह 15 प्रतिशत ही बढ़ी है जबकि असैन्य अधिकारियों के वेतन में 40 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी हुई है। दूसरी ओर पूर्व सैनिकों के संगठन ने चेतावनी दी हुई है कि अगर फौजियों के वेतन में संशोधन की मांगों पर सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो वे देश के 300 जिलों में 6 जुलाई से विरोध प्रदर्शन शुरू कर देंगे।
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