प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद चाहती है कि सरकार को अपने कर्मचारियों को एरियर का भुगतान किस्तों में करना चाहिए। आकलन के मुताबिक छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करने पर सरकार को करीब 18000 करोड़ रुपये एरियर के रूप में देने होंगे। इसे एकमुश्त देने से मुद्रास्फीति ना बढ़े इसलिए परिषद ने कहा है कि एरियर का कुछ हिस्सा कर्मचारियों की भविष्य निधि में जमा करना चाहिए, जबकि बाकी को चरणों में दिया जाना चाहिए।
परिषद ने कहा है कि एरियर का नगदी में भुगतान करने से विभिन्न उत्पादों की मांग बढ़ेगी, जिससे मुद्रास्फीति की दर में वृध्दि हो सकती है। इसलिए सरकार को कर्मचारियों के बकाये का कुछ भाग उनकी भविष्य निधि में जमा करने और शेष को किस्तों में देने पर विचार करना चाहिए। परिषद के अध्यक्ष जाने माने विशेषज्ञ और पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर सी. रंगराजन हैं। उनका मानना है कि एक ही बार में बकाया देने से तैयार सामान और उपभोक्ता उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं। सरकार ने पिछले वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करते हुए चरणों में एरियर दिया था। इसलिए वह ऐसा ही फिर से कर सकती है।
महत्वपूर्ण आर्थिक मुद्दों पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सलाह देने वाली परिषद ने पहले कहा था कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और अच्छे मानसून के कारण चार महीनों बाद मुद्रास्फीति 5 से 5.5 के स्तर पर आ सकती है। विशेषज्ञों को डर है कि पहले ही आठ के ऊपर पहुंच चुकी मुद्रास्फीति तेल के दामों में प्रस्तावित वृध्दि के बाद 10 तक पहुंच सकती है। जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में बने छठे वेतन आयोग ने मार्च में अपनी रिपोर्ट में जमा की थी, जिसमें कर्मचारियों के वेतन में औसत 28 फीसदी की सिफारिश की गई थी, जो कि एक जनवरी 2006 से लागू होना है। आकलन के मुताबिक वेतन वृद्धि से 12 हजार करोड़ का बोझ सालाना पड़ेगा, जबकि 18060 करोड़ रुपये एरियर के रूप में देने होंगे।
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