
पीठ ने कहा कि यह फैसला देते हुए कोर्ट प्राकृतिक न्याय के नए सिद्धांत का विकास कर रहा है। उन्होंने कहा-‘‘पारदर्शिता के लिए जरूरी है कि सैन्यकर्मियों को छोड़कर सरकारी कर्मचारियों के एसीआर को तर्कसंगत अवधि के भीतर उन्हें अवश्य बता देना चाहिए और ऐसा फैसला देकर हमने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का विकास कर रहे हैं।’’ फैसले में कहा गया है कि ऐसा नहीं है कि किसी सरकारी कर्मचारी की वार्षिक रिपोर्ट में प्रतिकूल प्रविष्टि होने पर ही उसे सूचित किया जाए बल्कि उसे हर उस प्रविष्टि की जानकारी दी जानी चाहिए चाहे वह खराब, सामान्य अथवा बहुत अच्छी हो ताकि सक्षम अधिकारी के समक्ष वह अपना पक्ष रख सके। ऐसा नहीं होने पर यह निष्पक्षता की नीति का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रविष्टि करने वाले से ऊंचे अधिकारी को ही कर्मचारी के एसीआर पर आगे की सुनवाई करनी चाहिए।
दत्त की याचिका स्वीकार कर लिये जाने से उन्हें अधीक्षण अभियंता के पद पर पदोन्नति मिल जाएगी। हालांकि उनके अवकाश ग्रहण कर लेने के कारण उन्हें पेंशन बढ़ोतरी का लाभ के साथ ही बकाए राशि का आठ प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान मिल सकता है। उल्लेखनीय है कि दत्त को 22 फरवरी 1988 को कार्यकारी अभियंता के पद पर पदोन्नत किया गया था और उन्हें 21 फरवरी 1993 को अधीक्षण अभियंता के पद पर पदोन्नति किया जाना था। लेकिन इस पद पर पदोन्नति पाने के लिए उनके वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में बहुत अच्छी प्रविष्टि होनी चाहिए थी जबकि उनकी रिपोर्ट में एक अच्छी रिपोर्ट दर्ज होने के कारण उन्हें पदोन्नत नहीं किया गया।
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