सरकार ने छठे वेतन आयोग की संशोधित सिफारिशों को मानते हुए कर्मचारियों के वेतन में औसतन 21 फीसदी तक बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। वेतन वृद्धि एक जनवरी 2006 से लागू होगी और बढ़ा हुया वेतन सितंबर माह से मिलेगा। 31 अगस्त 2008 तक एरियर की एक बड़ी किश्त भी कर्मचारियों की जेब मोटी करेगी। केंद्र सरकार के फैसले के मुताबिक एरियर की राशि दो किस्तों में मिलेगी। चालीस फीसदी राशि मौजूदा वित्त वर्ष 2008-09 में और बाकी साठ प्रतिशत अगले वित्त वर्ष 2009-10 में निकाली जा सकेगी। वेतन के साथ जुड़ने वाले भत्ते अगले माह से ही दिए जाएंगे। वेतन आयोग रिपोर्ट में मौजूद प्रशासकीय सुधार से जुड़ी सिफारिशों को सरकार ने फिलहाल नहीं छुआ है।
१४ अगस्त को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने छठे वेतन आयोग की संशोधित सिफारिशों को मंजूरी दे दी। लाल किले से प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के संबोधन के कुछ हिस्से में कर्मियों के फायदे की कुछ व लुभावनी घोषणाएं भी हो सकती हैं। अंदाजे लगाए जा रहे हैं कि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने पर प्रधानमंत्री कुछ संकेत दे सकते हैं। सिफारिशों की समीक्षा करने वाली सचिवों की समिति के सुझावों से अतिरिक्त सरकार ने अपनी तरफ से अहम फैसले किए हैं। ऐसे ही एक फैसले के तहत राज्यों के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के लिए वही वेतनमान कर दिया गया है जिसमें मुख्य सचिव आते हैं। इससे पुलिस के मुखिया का वेतन 80 हजार रुपये प्रति माह होगा।
नाराज चल रहे निम्न श्रेणी कर्मचारियों का ख्याल सरकार ने खूब रखा है। सबसे निचले स्तर के कर्मचारी का मूल वेतन सात हजार रुपये मासिक कर दिया गया है जो भत्ते जोड़कर दस हजार रुपये पार कर जाएगा। वेतन आयोग ने इस स्तर के लिए 6660 रुपये मासिक वेतन की सिफारिश की थी। कर्मचारियों की वार्षिक वेतन बढ़ोतरी अब ढाई की बजाय तीन प्रतिशत करने का फैसला किया गया है। 'सुनिश्चित कैरियर प्रगति स्कीम' के तहत कर्मचारियों को कम से कम तीन पदोन्नति अनिवार्य रूप से हासिल होगी। यह असैन्य कर्मचारियों को सेवा काल के 10, 20 और 30 साल पूरे करने पर मिलेगी। सबसे निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए परिवहन भत्ते में भी वृद्धि को लेकर समिति का सुझाव मान लिया गया। अब ए-1 व ए श्रेणी के शहरों में परिवहन भत्ता 400 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये कर दिया गया है। छोटे शहरों में यह भत्ता 300 रुपये से बढ़ाकर 400 रुपये कर दिया गया है।
कैबिनेट ने समिति के उस सुझाव को जस का तस मान लिया है जिसमें मध्य स्तर के पुलिस और असैन्य अधिकारियों को पे बैंड-4 में शुमार करने की सिफारिश है। छठे वेतन आयोग की सिफारिश में एक और अहम संशोधन के तहत सरकार ने तय किया है कि चार साल की सेवा के बाद बी समूह के अधिकारियों को ए समूह का वेतनमान दिए जाने पर रोक नहीं लगेगी। बल्कि दोनों समूह के अधिकारियों को पे-बैंड-2 की जगह ज्यादा वेतनमान वाले पे-बैंड-3 में रखा गया है। बीस वर्ष की नौकरी पूरी कर चुके डाक्टरों को संयुक्त सचिव के बराबर का पद (वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड) दिया जाएगा।
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