04 April, 2008

सेना की नाराजगी, वेतन आयोग के लिए

छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से नाखुश तीनों सशस्त्र बलों के शीर्ष अधिकारियों ने शुक्रवार, अप्रैल को आयोग के सदस्यों के समक्ष खुल कर अपनी भड़ास निकाली। आयोग के सदस्यों ने उन्हें यह कह कर शांत करने की कोशिश की कि भले रेलवे को छोड़ कुल केंद्रीय कर्मचारियों में सशस्त्र बलों के 40 फीसदी कर्मचारी हों पर उन पर खर्च 61 फीसदी किया जाएगा।

रक्षा मंत्री एके एंटनी द्वारा बुलाई गई इस बैठक में वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल फली होमी मेजर व थलसेना के डिप्टी चीफ समेत तमाम अधिकारियों का कहना था कि सैन्य अधिकारियों को सिविल व पुलिस अधिकारियों के मुकाबले कम करके आंका गया है जबकि इनका कार्य ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है। इसके अलावा कम अधिकारी ही ऊंचे स्तर पर पहुंच पाते हैं। इसके जवाब में आयोग का कहना था कि उन्होंने रैंक वेतन में ऐसी व्यवस्था की है कि पदोन्नत न होने के बावजूद वेतन बढ़ता रहे। इसके अलावा निचले स्तर पर सैनिकों को एक समय के बाद अ‌र्द्धसैनिक बलों में भेजने की भी सिफारिश की है। आयोग का कहना था कि अगर अलग-अलग सेवाएं समान पदों को लेकर इस तरह से तुलना करेंगी तो दिक्कत खड़ी हो जाएगी।

आयोग के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने पहली हार मिलिट्री सर्विस पे को मंजूरी दी है। इसे न केवल वेतन का भाग माना जाएगा बल्कि पेंशन तय करते हुए भी इसे आधार बनाया जाएगा। सैन्य अधिकारियों ने कहा कि सैनिकों के लिए यह कम से कम तीन हजार किया जाना चाहिए। आयोग ने सैनिकों के लिए एक हजार तो अधिकारियों के लिए छह हजार रुपये मिलिट्री सर्विस पे तय की है।

एंटनी ने बैठक में कहा कि आयोग के सदस्यों व सैन्य अधिकारियों के आमने-सामने अपनी बात रखने से अब स्थिति साफ हो रही है। अब आयोग की सिफारिशों में सुधार को लेकर जो संशोधन भेजे जाने हैं वह रक्षा मंत्रालय तैयार करके वित्त मंत्रालय के पास भेज देगा। माना जा रहा है कि वित्त मंत्रालय आयोग की सिफारिशों में कुछ सुधारों को स्वीकार कर सकता है।

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