मीडिया में आयी जानकारी के अनुसार आधा दर्जन सदस्यों यह इकाई, व्यय विभाग में बनायी जाएगी। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कार्यान्वयन प्रकोष्ठ की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। खबरों पर भरोसा किया जाए तो प्रकोष्ठ की स्थापना के जरिये सरकार यह संदेश देने की कोशिश में है कि उसकी दिलचस्पी वेतन अयोग की 'संशोधित' सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू करने में है। न कि राजनैतिक फायदे के लिए इसे चुनावों तक टालने में।
पिछले हफ्ते एक दर्जन सचिवों की समिति गठित करने के कैबिनेट के फैसले को कर्मचारी और अधिकारी मान रहे थे कि समिति का रास्ता सरकार ने सिफारिशों पर उठे बवंडर से फौरी तौर पर बचने के लिए अपनाया था। आईपीएस एसोसिएशन ने तो साफ कह दिया था कि इस तरह की समिति किसी सकारात्मक नतीजे पर नहीं पहुंचती है। कर्मचारियों की शिकायतें जस की तस बनी रह जाती हैं। अब कार्यान्वयन प्रकोष्ठ स्थापित कर सरकार यही शंका दूर करने की कोशिश में है। सरकार यह संदेश देना चाहती है कि प्रकोष्ठ को अपना काम पूरा करने के लिए भले ही छह महीने का समय दिया गया हो लेकिन वह संशोधित रिपोर्ट मिलते ही इसे जल्द से जल्द से निपटाने में जुटेगा।
एक अधिकारी के अनुसार वेतन आयोग की रिपोर्ट की विसंगतिया दूर करने में ही अभी लंबी चौड़ी कवायद होनी है। अमल करने की बात तो अभी कोसों दूर है। गौरतलब है कि आईपीएस, आईएफएस, आईआईएस और सेना के अधिकारियों ने पहले कह दिया है कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली प्रोसेसिंग समिति को उनकी हर दलील सुननी पड़ेगी।
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