02 April, 2008

छठवें वेतन आयोग से वन सेवा के अधिकारी नाराज

छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से खफा भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अफसरों का कहना है कि आयोग ने उनका पे स्केल घटा दिया है। आईएएस और आईएफएस अफसरों के वेतन में अब तक सिर्फ 2-3 हजार रुपये का फर्क होता था लेकिन नए स्केल लागू होने के बाद यह गैप 15-18 हजार तक बढ़ जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि वनों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली इस सेवा केअफसरों को हतोत्साहित किए जाने के नकारात्मक परिणाम निकल सकते हैं।

आईएफएस एसोसिएशन के महासचिव एस.के. चड़ढा ने बताया कि 18-20 साल की सेवा पूरी कर आईएफएस अफसर वन संरक्षक बनता है। इस पद का सुपरटाइम स्केल अभी 16400 से शुरू होता है। लेकिन आयोग ने इस स्केल को घटाकर 15600 करने की सिफारिश की है। जबकि 14 साल की सेवा पूरी करने के बाद आईएएस अधिकारी का सुपरटाइम स्केल अभी 18400 है जिसे बढ़ाकर 39200 रुपये करने की सिफारिश की गई है। इससे दोनों सेवाओं के अफसरों के वेतन स्केल में दोगुने से भी ज्यादा का अन्तर हो गया है।

इसी तरह प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फारेस्ट (पीसीसीएफ) का मौजूदा स्केल 24050-26000 है। इस पद पर आईएफएस अफसर अपने कार्यकाल के अंतिम चार-पांच सालों में पहुंचते हैं। 2-3 साल की सेवा के बाद अफसर 26 हजार रुपये के स्केल तक पहुंच जाते हैं जो अभी भारत सरकार के सचिव के बराबर का स्केल है। लेकिन नई सिफारिशों में इस स्केल को बढ़ाकर 39200-67000 में रखा गया है तथा १३००० के पे ग्रेड का प्रावधान किया गया है। लेकिन 13 हजार के पे ग्रेड को पाने में अफसरों को कम से कम 12 साल इस पद पर कार्य करना होगा। जबकि जो अफसर इस पद पर पहुंचते हैं उनकी सर्विस के सिर्फ 4-5 साल ही बचे होते हैं। इसका परिणाम यह होगा कि इस सेवा के अफसर भविष्य में सचिवों की भांति 80 हजार रुपये तक का वेतनमान नहीं हासिल कर पाएंगे। जबकि अभी वे इस पद पर आने के बाद 3 साल के भीतर सचिव के बराबर वेतन पाने में सफल रहते हैं। एसोसिएशन का कहना है कि छठे वेतन आयोग ने सिर्फ आईएएस अफसरों का ध्यान रखा है।

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