09 April, 2008

वेतन आयोग की मार, अब बच्चों की शिक्षा पर

छठे वेतन आयोग की सिफारिशें आपकी जेब पर भारी पड़ने वाली हैं। टीचर्स की बढ़ी सैलरी का बोझ अपने ऊपर से हटाने के लिए पब्लिक स्कूलों की फीस काफी ज्यादा बढ़ रही है। यह बढ़ोतरी सिर्फ ट्यूशन फी में ही नहीं, बल्कि डेवेलपमेंट, मेंटिनेंस ट्रांसपोटेर्शन में भी होगी।

फेडरेशन ऑफ पब्लिक स्कूल के चेयरमैन आर. पी. मलिक का कहना है कि जितनी लोगों की तनख्वाह बढ़ेगी, उसी हिसाब से महंगाई भी बढ़ेगी और इसका असर स्कूल, शिक्षकों और पालकों पर भी पड़ेगा। उनका कहना है कि इस बार छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हो रही हैं, इसलिए सभी स्कूलों ने छात्रों की फीस 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला किया है।

कुछ स्कूलों ने 40 प्रतिशत तक फीस बढ़ा दी है। बाकी बढ़ाने वाले हैं। वैसे भी हर साल स्कूलों में 8 से 10 प्रतिशत तक फीस बढ़ती है। इस बार छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक सैलरी पैकेज काफी बढ़ाना पड़ेगा। ऐसे में बढ़े हुए खर्चों को निकालने के लिए बच्चों की फीस बढ़ानी पड़ेगी। बढ़ोतरी कितने प्रतिशत होगी इस बारे में स्केल का पता लग जाए तभी कुछ कहा जा सकता है।

डीपीएस, आर के पुरम की प्रिंसिपल श्यामा चोना कहती हैं कि वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक तनख्वाह बढेगी , तो फीस बढ़ेगी ही। मगर अभी हमारे पास इस संबंध में सीधी कोई सूचना नहीं आई है, इसलिए अभी कुछ कह नहीं सकते हैं, मगर फर्क तो जरूर पड़ेगा।

डॉन बॉस्को पब्लिक स्कूल, अलकनंदा में ग्यारहवीं में पढ़ने वाले एक स्टूडेंट की मां का कहना था कि इस बार तीन महीने की फीस और दो माह का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज मिलाकर उन्हें 10 हजार रुपये स्कूल में जमा कराने पड़े हैं, जबकि इससे पहले तक ग्यारहवीं क्लास के बच्चों को आठ हजार रुपये भुगतान करना पड़ता था। एक पब्लिक स्कूल में प्री प्राइमरी में पढ़ रही एक स्टूडेंट के पिता के अनुसार, उन्हें इस बार तीन महीने के लिए 3990 रुपये और ट्रांसपोर्टेशन के 600 रुपये जमा कराने पड़े हैं, जबकि पिछले सेशन में इस क्लास की फीस इतनी नहीं थी।

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