निजी स्कूलों की मनमानी से त्रस्त अभिभावकों के लिए एक और बुरी खबर। छठा वेतन आयोग लागू होने की सम्भावनाओं को देखते हुए निजी स्कूलों ने 20 से 30 प्रतिशत तक फीस बढ़ाने की तैयारी कर ली है। केन्द्रीय माघ्यमिक शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध निजी स्कूलों की संस्था सोसायटी फॉर अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स की बैठक में भी इस बारे में चर्चा हो चुकी है। फीस बढ़ती है तो अभिभावकों पर 300 से हजार रूपए तक मासिक भार बढ़ जाएगा, क्यों कि स्कूलों की मासिक फीस 1000 से 3000 रूपए तक है।
कई निजी स्कूल अपने शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकार के समान वेतन देते हैं। इन स्कूलों का तर्क है कि नया वेतन आयोग लागू होते ही इन्हें अपने शिक्षकों को भी नया वेतनमान देना होगा। कई स्कूलों ने इसी आधार पर सत्र के बीच ही फीस बढ़ाने का नोटिस अभिभावकों को थमा दिया है। सरकार के हिसाब से वेतनमान देने वाले निजी स्कूल मुट्ठी भर हैं, लेकिन फीस बढ़ाने में कोई भी स्कूल पीछे नहीं रहने वाला है। निजी स्कूलों में फीस वृद्धि पर राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्थगनादेश दे रखा है। निजी स्कूल इसी का फायदा उठा कर फीस में वृद्धि कर लेना चाहते हैं। वैसे इन स्कूलों को दस प्रतिशत तक प्रतिवर्ष फीस बढ़ाने की छूट मिली हुई है।
फीस वृद्धि की सबसे बड़ी मार निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों पर पड़ेगी। सरकारी कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ मिल रहा है, इसलिए वे इसे सहन कर लेंगे, लेकिन इन छह लाख सरकारी कर्मचारियों को छोड़ दें तो अन्य सभी लोग निजी क्षेत्र मे काम कर रहे हैं, जिनके लिए कोई वेतन आयोग नहीं है। फीस में यह वृद्धि सिर्फ स्कूलों में ही नहीं निजी कॉलेजों में भी होगी, क्योंकि अनुदानित कॉलेजों को तो सरकार के हिसाब से वेतनमान देना होता है, गैर अनुदानित कॉलेजों पर भी यूजीसी वेतनमान देने की बंदिश होती है। अनुदानित कॉलेजों के लिए सरकार ने पहले ही अनुदान में कटौती की हुई है।
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