27 February, 2009

मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को केंद्र के समान वेतनमान अप्रैल से?

मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की पगार अब केंद्र के समान होने जा रही है। राज्य के करीब 4.75 लाख कर्मचारियों को केंद्र द्वारा मान्य छठे वेतन बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार वेतनमान देना तय हो चुका है। यह तोहफा प्रदेश के कर्मचारियों को 1 जनवरी 2006 से लागू माना जाएगा। इस संबंध में इसी हफ्ते आदेश जारी होने की सम्भावना है। सरकार एक सितम्बर 2008 से फरवरी 2009 के बीच के एरियर का नकद भुगतान करेगी। अपुष्ट जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश वित्त विभाग ने कर्मचारियों के वेतन संबंधी फाइल मुख्यमंत्री के लिए दस्तखत के लिए भेज दी है। नए वेतनमान अप्रैल से लागू हो सकता है।

छठे वेतनमान का लाभ देने पर सरकार पर अब ज्यादा बोझ नहीं आएगा। 20 फीसदी राशि एक सितम्बर 2008 से दी जा रही है, जबकि वेतनमान का पूरा लाभ देने पर उस पर करीब 25 प्रतिशत का बोझ आ रहा है। अंतरिम राहत का बीस प्रतिशत पहले से देने के कारण अब उस पर अधिकतम पांच प्रतिशत का ही बोझ आयेगा।

केंद्रीय कर्मचारियों का DA 6 फीसदी बढ़ा

लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 26 फरवरी को, केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारियों के महंगाई भत्ते (DA) में छह फीसदी की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी। केंद्र के इस फैसले से केंद्रीय खजाने पर 6,020 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अनुपस्थिति में विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत गृह मंत्री पी चिदंबरम ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि महंगाई भत्ते (DA) में की गई वृद्धि एक जनवरी 2009 से प्रभावी होगी। इसका भुगतान एक मार्च से किया जाएगा।

चिदंबरम के मुताबिक अगले वित्त वर्ष 2009-10 में 5149 करोड़ रुपये और जनवरी से लेकर कुल 15 महीनों के लिए 6020 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। देश में करीब 40 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 30 लाख पेंशनधारी हैं।

25 February, 2009

टाटा ने 90 फीसदी कर्मियों वापस लिये

केवल तीन माह में रिकार्ड पांच बंदियों का सामना कर चुकी देश की सबसे बड़ी व्यवसायिक वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स ने आर्डर की स्थिति में सुधार के कारण पिछले मात्र तीन हफ्तों में ही अपने जमशेदपुर संयंत्र के 90 फीसदी से अधिक छंटनीग्रस्त अस्थाई कामगारों को काम पर वापस बुला लिया है। संयंत्र के कुल 2400 अस्थाई कर्मियों में से अब मात्र डेढ़ से दो सौ ही बाहर हैं और उनकी भी जल्द ही वापसी हो सकती है। 

ट्रक, डंपर [ट्रिप्पर], ट्रेलर और अन्य मल्टी एक्सेल वाहनों का उत्पादन करने वाले इस संयंत्र में पांचवी बंदी के बाद दो फरवरी को दोबारा उत्पादन शुरू होने के साथ ही अस्थाई कामगारों की क्रमिक वापसी शुरू हो गई थी। सहयोगी कंपनी एचवी एक्सेल और एचवी ट्रांसमिशन के लगभग 900 छंटनीग्रस्त अस्थाई कामगारों में से भी एक तिहाई से अधिक की वापसी हो चुकी है।

ज्ञातव्य है कि उत्पादन के मार्च 2008 में प्रतिदिन 450 इकाई से गिर कर हाल में लगभग 100 इकाई प्रतिदिन से भी नीचे चले जाने के कारण संयंत्र को नवंबर और दिसंबर माह में दो-दो बार तथा जनवरी में एक बार बंद किया जा चुका है। मंदी जनित ऋण संकट के चलते मांग में आई गिरावट का हवाला देते हुए पिछले कुछ माह में संयंत्र के सभी अस्थाई कर्मियों को चरणबद्ध तरीके से काम से हटा दिया गया था।

24 February, 2009

कर्मचारी पेंशन स्कीम में सरकारी योगदान बढ़ाने की सिफारिश नामंजूर

कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) 1995 में सरकार के योगदान बढ़ाने के एक प्रमुख संसदीय समिति की सिफारिश को सरकार ने नामंजूर कर दिया है। समिति ने सुझाव दिया था कि सरकारी योगदान में भारी बढ़त कर इसे कम से कम नियोक्ता के योगदान के आधा तक किया जाए।

ईपीएस 1995 ऐसी योजना है, जिसमें कर्मचारियों और नियोक्ता को योगदान करना पड़ता है। फिलहाल सेवानिवृत्ति के लिए बचत करने की जो व्यवस्था है, उसमें गैर-सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों को अपने वेतन का 12 फीसदी हिस्सा कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में जमा करना पड़ता है। फंड में इसके बराबर राशि ही नियोक्ता भी जमा करता है। हालांकि नियोक्ता की यह 12 फीसदी राशि दो हिस्सों में विभाजित होती है। इस राशि में से 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (अधिकतम 540 रुपए प्रति माह) और शेष राशि ईपीएफ में चली जाती है। ईपीएस के तहत सदस्य यानी कर्मचारी से कोई योगदान नहीं लिया जाता। सरकार कर्मचारी के पेंशन फंड में 1.16 फीसदी राशि देती है।

इकोनोमिक टाइम्स में आयी ख़बर कहती है कि श्रम मामलों पर गठित संसद की स्थायी समिति ने इस बात पर गौर किया कि पिछले 14 साल से पेंशन योजना में न तो नियोक्ता का योगदान बढ़ रहा है, न ही सरकार का। अपनी 39वीं रिपोर्ट में समिति ने साफ तौर पर यह सुझाव दिया है कि योगदान के फॉर्मूले में समय-समय पर संशोधन होना चाहिए और सरकार का योगदान नियोक्ता का कम से कम आधा तो होना ही चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब यह जानने का प्रयास किया गया कि ईपीएस में योगदान के मामले में सरकार संशोधन करने में विफल क्यों रही तो मंत्रालय के अधिकारियों का कहना था कि सरकारी योगदान बढ़ाने फिलहाल उन्हें कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। इसकी जगह मंत्रालय का तर्क था कि प्रतिशत योगदान में संशोधन होने के बावजूद पेंशन योजना में सरकार का योगदान बढ़ रहा है।

ईपीएस 1995 पर विपरीत असर पड़ने की संभावना से ही सरकार ने ईपीएफ योजना के तहत कवर होने वाले वेतन की सीमा 6,500 रुपए में कोई संशोधन नहीं किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'ईपीएफ के वेतन की सीमा बढ़ाने से ईपीएस योजना पर गहरा असर पड़ सकता है। इस तरह जब तक पेंशन योजना के प्रभाव को पूरी तरह से संभाला नहीं जा सकता, वेतन सीमा बढ़ाना उपयुक्त नहीं होगा।' अपने जवाब में सरकार ने कहा है, 'जून, 2001 से पेंशन पात्रता वेतन सीमा 5,000 रुपए से बढ़ाकर 6,500 रुपए करके सरकार ने पहले ही अपनी देनदारी करीब 10,000 करोड़ रुपए बढ़ा दी है और जब भी फिर उपयुक्त परिस्थिति आएगी वेतन की सीमा और बढ़ाई जा सकती है।'

कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के तीन सबऑर्डिनेट कानूनों में से एक ईपीएस भी है जो 16 नवंबर 1995 से लागू हुआ है। मंत्रालय के एक दूसरे संगठन कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) ने कर्मचारियों के बदलते स्तर को स्वीकारते हुए अपनी योजना के कवरेज की वेतन सीमा बढ़ाकर 10,000 रुपए कर दी है, लेकिन ईपीएफओ ने अभी तक ऐसा नहीं किया है।
(समाचार अंश: इकोनोमिक टाइम्स से साभार)

23 February, 2009

ईपीएफ ब्याज दर 8.5 फीसदी पर यथावत

ईपीएफ पर ज्यादा ब्याज की उम्मीद कर रहे कर्मचारियों को इस खबर से निश्चित तौर पर झटका लगेगा। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है। केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने वर्ष 2008-09 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर 8.5 फीसदी ही रखने की सिफारिश की है। पिछले साल भी कर्मचारी भविष्य निधि पर 8.5 प्रतिशत ब्याज दिया गया था। वर्ष 2005-06 में 9.5 प्रतिशत ब्याज दिया था।

सरकार भविष्य निधि पर ब्याज दर की घोषणा आम तौर पर दिसंबर के अंत तक कर देती है, लेकिन कर्मचारी संगठनों के विरोध के कारण निर्णय लेने में देरी हुई। कर्मचारी संगठनों ने ब्याज दर 9.5 प्रतिशत करने की मांग की थी। बैठक में श्रमिक संगठनों ने श्रम मंत्री के इस फैसले का विरोध किया, पर ऑस्कर ने आर्थिक सुस्ती का हवाला देते हुए कहा कि फिलहाल सरकार पर ज्यादा बोझ न डाला जाए।

17 February, 2009

आज स्टेट बैंक के सहयोगी बैंकों में हड़ताल

भारतीय स्टेट बैंक के 6 सहयोगी बैंकों के ग्राहक आज परेशानी उठाने के लिए तैयार रहें। इस दिन देश भर में इन बैंकों के 60 हजार तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मियों के बराबर लाभ नहीं मिलने व सहयोगी बैंकों पर विलय की तलवार लटकाए रखने के खिलाफ यह फैसला किया है। State Bank of India के सहयोगी बैंकों में स्टेट बैंक आफ पटियाला, स्टेट बैंक आफ बीकानेर व जयपुर, स्टेट बैंक आफ हैदराबाद, स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक आफ मैसूर तथा स्टेट बैंक आफ इंदौर शामिल हैं। एक सहयोगी बैंक स्टेट बैंक आफ सौराष्ट्र का पिछले साल SBI में विलय किया जा चुका है।

State Sector Bank Employees Association  के महासचिव नरेश गौर के अनुसार स्टेट बैंक प्रबंधन के साथ वार्ता विफल होने के बाद हड़ताल का आह्वान किया गया है। All India State Bank of Indore Officers Co-ordination Commitee के सदस्य अलोक खरे के अनुसार कर्ज व ब्याज संबंधी लाभों में भेदभाव के खिलाफ कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे हैं।



16 February, 2009

कोयला कर्मचारियों के वेतन समझौते पर रोक लगाने की माँग

कोयला उद्योग कामगार संघर्ष समन्वय समिति के संरक्षक पीओ जोश ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से कामगारों के जेबीसीसीआइ-8 पर रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि कोल इंडिया में चुनाव होना चाहिए। कामगारों द्वारा चुनकर आने वाले को ही समझौता करने का अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने गत 24 जनवरी को हुए समझौते को गैर संवैधानिक एवं गलत करार दिया। लिखे पत्र के साथ प्रमाण के तौर पर कई दस्तावेज भी दिये हैं। जोश ने लिखा है कि कोल इंडिया ने किसी भी श्रमिक संगठन को मान्यता नहीं दी है। यहां लोकतांत्रिक तौर पर यूनियनों का कभी चुनाव नहीं हुआ। ऐसे में गलत लोगों द्वारा यह समझौता किया गया है। यह समझौता कामगारों की भावना के अनुरूप भी नहीं है। सवा चार लाख में करीब साढ़े तीन लाख कामगार दस साल का समझौता चाहते हैं।

उन्होंने चेयरमैन को भी हस्ताक्षरयुक्त पत्र भेजा है। उनके द्वारा पूर्व में किये गये कई समझौते लागू ही नहीं हो पाये हैं। प्रबंधन के साथ मिलकर मन मुताबिक समझौता करते हैं। ऐसे में इसकी कोई अहमियत नहीं है। जेबीसीसीआइ का गठन सरकार करती है। इसके बाद भी पूरी बैठक में कोई सरकारी अधिकारी मौजूद नहीं होता। समझौता के वक्त सिर्फ औपचारिकता निभाने के लिए वह आ जाते हैं। 

हरियाणा श्रम कल्याण बोर्ड की बैठक के फैसले

हरियाणा में श्रम कल्याण बोर्ड,  श्रमिकों को मकान खरीदने व मकान निर्माण के लिए एक लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त कर्ज उपलब्ध करवाएगा। कर्ज की यह राशि 100 किस्तों में वसूल की जाएगी। इसके साथ ही श्रमिकों को दो बेटियों की शादी के लिए अब 10 हजार रुपए के बजाय 21 हजार रुपए की राशि प्रदान की जाएगी। श्रम व रोजगार मंत्री ए.सी. चौधरी की अध्यक्षता में हुई श्रम कल्याण बोर्ड की बैठक में यह फैसले लिए गए। मृतक श्रमिकों की विधवाओं को दी जाने वाली अनुदान की राशि 20 हजार रुपए से बढ़ा कर 50 हजार रुपए कर दी गई है। विकलांग श्रमिकों को वित्तीय सहायता की राशि 10 हजार से बढ़ा कर 15 हजार कर दी गई है। इसके साथ ही श्रमिकों को साइकिल खरीदने के लिए एक हजार रुपए की राशि देने का भी निर्णय लिया गया है।

श्रमिक महिलाओं को 5 हजार रुपए मातृत्व लाभ के तौर पर दिए जाएंगे। श्रमिक की मृत्यु पर 500 रुपए की अंत्येष्टि सहायता भी दी जाएगी। साकेत अस्पताल से दंत चिकित्सा, कृत्रिम अंगों व तिपहिया साइकिलों की खरीद के लिए 1200 रुपए की मदद दी जाएगी। श्रमिकों के बच्चों को हारट्रोन से मान्यता प्राप्त संस्थान से कम्प्यूटर का प्रशिक्षण हासिल करने के लिए 2 से 9 हजार रुपए तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी। पांचवीं से आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाली तीन लड़कियों तक स्कूल वर्दी, किताब व कापियों की खरीद के लिए हरेक को दो-दो हजार की मदद मिलेगी। आठवीं से पोस्ट ग्रेजुएट तक हर साल दो हजार से ले कर 12 हजार रुपए तक का वजीफा देने का भी फैसला किया गया है।

11 February, 2009

रिजर्व बैंक के कर्मचारी 20 फरवरी को देश भर में एक दिन की हड़ताल पर

नई पेंशन योजना को बहाल करने समेत अपनी तमाम मांगों को लेकर रिजर्व बैंक के कर्मचारी 20 फरवरी को देश भर में एक दिन की हड़ताल पर करेंगे। सीजीएम से लेकर चौथे दर्जे के कर्मचारियों के काम न करने से इस दिन केंद्रीय बैंक द्वारा किए जाने वाले भुगतानों पर असर पड़ेगा।

अखिल भारतीय रिजर्व बैंक कर्मचारी संघ के सचिव के के शर्मा ने इस हड़ताल की मुख्य वजह वित्ता मंत्रालय की ओर से केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक आंतरिक सर्कुलर को बताया है। इसमें नवंबर 1997 से पूर्व सेवानिवृत्ति पाने वालों से नई पेंशन योजना को वापस लेने की बात कही गई है। सर्कुलर में आरबीआई के रिटायर हो चुके कर्मचारियों की पेंशन में भारी कमी की घोषणा की गई है। पिछले साल अक्टूबर में भी केंद्रीय बैंक के कर्मचारियों ने इसी मुद्दे पर देशव्यापी हड़ताल की थी।

10 February, 2009

बिहार में कर्मचारियों की हड़ताल खत्म

बिहार में सरकारी कर्मचारियों की पिछले 34 दिनों से चल रही हड़ताल समाप्त हो गई है। सरकारी सूत्रों ने 9 फरवरी को यह जानकारी दी।

फिलहाल अभी यह नहीं पता चल पाया है कि सरकार व कर्मचारियों के बीच क्या फैसला हुआ, जिस आधार पर हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की गई है।