30 September, 2008

रेल कर्मियों को इस साल 72 दिन का बोनस

रेल कर्मियों को इस साल 72 दिन का बोनस मिलेगा। रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने सोमवार को इस आशय की घोषणा की।

27 September, 2008

वेतन विसंगतियों पर IPS भी खफा

छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से भी ज्यादा पगार देने के सरकार के फैसले के बावजूद वेतन विसंगतियों को लेकर शिकायतें थम नहीं रही हैं। अब भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों की शिकायत यह है कि उनके वेतनमान निर्धारण में केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की अवहेलना की गई है। आईपीएस अधिकारियों के मुताबिक कैबिनेट के फैसले की तोड़-मरोड़ कर व्याख्या की गई है। IPS के कुछ वेतनमान इस तरह से प्रस्तुत किए गए हैं, जिनका वेतन आयोग और कैबिनेट के फैसले में कोई उल्लेख नहीं है। लिहाजा आईपीएस संघ इस पर खासा नाराज है। केंद्र सरकार को अपनी शिकायत भेज कर उसने इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई तक की मांग कर डाली है। 

शिकायत पत्र में आईपीएस अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि इस सिलसिले में आयोग की सिफारिशों की व्याख्या कुछ इस तरह से की गई है कि आईएएस और आईएफएस अधिकारियों को वेतन वृद्धि का लाभ कैबिनेट के फैसले से ज्यादा ही मिलेगा। इससे दूसरी सेवाओं के साथ अन्याय हो रहा है। यानी सिफारिशें लागू होने के बाद जहां दूसरी सेवाओं के अधिकारियों का मौजूदा मूल वेतन 15,100 रुपये प्रति माह से 47,230 रुपये मासिक हो रहा है, वहीं सिफारिश की गलत व्याख्या की वजह से आईएएस का यही मूल वेतन 48,390 रुपये प्रति माह पहुंच रहा है। मांग पत्र में कहा गया है कि आईएएस और आईएफएस को आईपीएस से ऊपर रखने को लेकर आयोग की सिफारिश का फायदा उठाते हुए यह कदम उठाया गया है। गौरतलब है कि वेतन आयोग ने आईएएस और आईएफएस के वर्चस्व को कायम रखने के लिए उनके वेतन बैंड में दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि का प्रावधान किया था। 

आईपीएस अधिकारियों का तर्क है कि अगर वरिष्ठ वेतनमान (एसटीएस) और कनिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (जेएजी) स्तरों पर IAS वर्ग को दो वेतन वृद्धि देनी भी है तो यह बढ़ोतरी उन्हें एसटीएस (6600 रुपये) के लिए पदोन्नति देते समय कर देनी चाहिए। लेकिन 7600 रुपये के वेतन ग्रेड के लिए उनकी पदोन्नति के समय उन्हें दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि देने से उन्हें इस स्तर पर चार वेतन वृद्धि हासिल हो जाएंगी जो कैबिनेट के फैसले के खिलाफ है। आईपीएस का आरोप है कि इससे निदेशक के पद पर आसीन आईएएस को पुलिस महानिदेशक से ज्यादा वेतन मिलने लगेगा, जबकि दोनों सुपर टाइम स्केल में आते हैं।
(जागरण से साभार)

नए वेतनमान स्वीकाने से फौज का इनकार!?

कड़े अनुशासन में चलने वाली फौज ने वेतनमान में विसंगतियां दूर न होने के चलते नए वेतनमान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। सशस्त्र सेना के तीनों बलों ने कड़ा रुख अपनाते हुए लेखा कार्यालय में संशोधित वेतन के मुताबिक बिल जमा नहीं कराए हैं। इसका साफ मतलब है कि उन्हें छठे वेतन आयोग व उसके बाद समीक्षा में तय किया गया वेतनमान स्वीकार्य नहीं है। 

रक्षा बलों के इस कड़े रुख से उनकी मांगें न माने जाने पर 'काली दीवाली' मनाने की धमकी पर अमल शुरू हो गया है। हालांकि मुख्य एतराज मध्यम स्तर के अधिकारियों के वेतन में विसंगति को लेकर है, पर इस मसले पर पूरी फौज एकजुट नजर आ रही है। मध्यम स्तर के अधिकारियों को सिविल व अ‌र्द्धसैनिक बलों के अधिकारियों से कम वेतनमान दिया गया है, जबकि पहले उनका वेतनमान इनसे अधिक होता था। सरकार ने गुरुवार को सैद्धांतिक तौर पर बलों की इस मांग को मान लिया था कि पिछली बार मिले वेतन के आधार पर जवानों की पेंशन में 70 फीसदी वृद्धि बहाल होगी, पर बाकी मांगों पर चुप्पी साध रखी है। 

छठे वेतन आयोग ने अपनी सिफारिश में जवानों को 50 फीसदी पेंशन लाभ के साथ ही उन्हें अ‌र्द्घसैनिक बलों व केंद्रीय पुलिस बल में शामिल होने का विकल्प दिया है। लेकिन असल में रिटायरमेंट के बाद दूसरी नौकरी के विकल्प पर मुहर नहीं लगाई गई है। इस आक्रोश को सामने रखने के लिए ही चीफ्स आफ स्टाफ कमेटी के प्रमुख व नौसेनाध्यक्ष एडमिरल सुरीश मेहता व थल सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने गुरुवार को कैबिनेट सचिव के.एम. चंद्रशेखर से मुलाकात की थी। 

वित्त मंत्रालय बजट की कमी का रोना रो रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री के एक अक्टूबर को अमेरिका से लौटने के बाद ही इस संबंध में कोई फैसला संभव होगा। रक्षा बलों के कड़े रुख से साफ है कि इस दीवाली पर 50 लाख सिविल व अन्य कर्मी, अधिकारी नए वेतनमान की खुशी मनांएगे, पर 13 लाख रक्षा कर्मी व अधिकारी पुराने वेतन के साथ ही विरोध जताएंगे। इधर पूर्व सैनिक मूवमेंट के प्रमुख रिटायर्ड मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि इस जंग में पूर्व सैनिक भी अपने सेनाध्यक्षों के साथ हैं।

बोनस राशि कम देने पर श्रमिक संगठनों में उबाल

SAIL प्रबंधन द्वारा आईएसपी के स्थायी कर्मचारियों के लिए 6500 रुपये बोनस निर्धारित करने से बर्नपुर के यूनियनों में आया उबाल आंदोलन का रूप लेने लगा है। ISSCO में सक्रिय पांचों केन्द्रीय यूनियनों ने अपना विरोध जताते हुए शुक्रवार को SAIL, ISP प्रबंधन के मिहिर कुमार राउत को ज्ञापन सौंपा एवं मांग की कि जल्द से जल्द कर्मियों को 6500 रुपये की बजाय 7300 रुपये बोनस का भुगतान किया जाये।

मालूम हो कि पिछले वर्ष कर्मियों को 7000 रुपये का भुगतान किया गया था। लेकिन इस वर्ष 6500 रुपये बोनस निर्धारित करने से पांचों यूनियनों में खलबली मच गयी है। इतनी कम बोनस की राशि के निर्धारित होने से ही इंटक, एचएमएस, सीटू, एटक एवं बीएमएस के बैनर तले श्रमिकों ने आईएसपी के मुख्यालय में भारी संख्या में उपस्थित होकर आईएसपी के जीएम मिहिर कुमार राउत को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान मांग की गयी कि इस वर्ष की बोनस की राशि को बढ़ा कर 7300 किया जाय। इस संबंध में एचएमएस के बर्नपुर शाखा महासचिव मुमताज अहमद ने बताया कि विगत वर्ष कर्मचारियों की बोनस राशि 7000 थी। मगर उसे तीन किश्तों में दिया गया था। पहले 5400 रुपये उसके बाद उसी माह में ही 800 रुपये तथा दूसरे महीने में 800 रुपये दिये गये थे। मगर आईएसपी प्रबंधन के भूल के कारण सिर्फ 6200 रुपये का ही रिकार्ड SAIL के पास भेजा गया था। श्री अहमद ने कहा कि SAIL द्वारा इस वर्ष सभी इस्पात संयंत्र को 300 रुपये बढ़ा कर दिये गये है। श्री अहमद ने कहा कि हमारी मांगों के समर्थन में जो ज्ञापन सौंपा गया है। उसे प्रबंधन ने स्वीकार कर लिया है। इस मुद्दे पर सकारात्मक कदम उठा कर लिया है और फिर से नया रिकार्ड भेजने का आश्वासन दिया है। ज्ञापन सौंपे जाने के दौरान सीटू के महासचिव विमल दत्ता, इंटक के महासचिव हरजीत सिंह, बीएमएस के महासचिव रामहिलिस राय, एचएमएस के मुमताज अहमद, एटक के उत्पल सिन्हा ने भी मौजूद होकर कम बोनस की राशि का विरोध किया एवं इसे बढ़ाने की मांग की।

25 September, 2008

सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतनमान पर राव समिति की रिपोर्ट मंजूर नहीं

 सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन पर सिफारिश देने के लिए गठित समिति के सुझावों पर हाल-फिलहाल में फैसला होने की संभावना टलती नजर आ रही है। इसका प्रमुख कारण यह है कि सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) के सर्वोच्च संगठन स्कोप (Standing Conference of Public Enterprises) ने ही समिति की सिफारिशों को कठघरे में ला दिया है। स्कोप ने कहा है कि न्यायाधीश एमजे राव की अध्यक्षता वाली समिति ने सभी वर्गो के कर्मचारियों और अधिकारियों को एक ही आधार पर वेतन वृद्धि का सुझाव दिया है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

स्कोप ने कहा है कि वैसे तो राव समिति की सिफारिशों को लागू करने से पीएसयू कर्मियों के वेतन में वृद्धि होगी,लेकिन वक्त की मांग को देखते हुए यह वृद्धि उपयोगी नहीं कही जा सकती है। मुद्दे को आगे ले जाते हुए स्कोप ने अपने सभी सदस्यों से सुझाव मंगवाए हैं। इन सुझावों के आधार पर संगठन लोक उपक्रम विभाग और भारी उद्योग मंत्रालय के साथ वेतन संशोधन पर नए सिरे बातचीत शुरू करने की योजना बना रहा है। स्कोप के मुताबिक आज के दौर में आय,कर्मचारियों की संख्या और भौगोलिक स्थिति के आधार पर ही वेतन वृद्धि कर देना पर्याप्त नहीं है। स्कोप इस बारे में सभी नवरत्न कंपनियों को 'ए प्लस' श्रेणी में रखने के पक्ष में है ताकि इनको अपने बेहतरीन कर्मचारियों को निजी क्षेत्रों के हाथों में चले जाने से रोकने में सहूलियत हो।

स्कोप का कहना है कि यह अर्थव्यवस्था के हित में है कि अच्छा प्रदर्शन करने वाली सरकारी कंपनियों और निजी क्षेत्र के वेतनमान में बहुत ज्यादा अंतर नहीं हो। राव समिति की सिफारिशों को लागू करने के बावजूद अंतर बना रहेगा। स्कोप का सुझाव है कि सरकार की वेतन वृद्धि की नीति इस प्रकार की होनी चाहिए कि व्यक्तिगत प्रदर्शन के आधार पर हमेशा ही इसमें बढ़ोतरी की संभावना बनी रहे। साथ ही सरकारी कंपनियों के प्रबंधन को यह अधिकार होना चाहिए कि वह वेतनमान में परिस्थितियों के मुताबिक संशोधन कर सके।

थोड़ी और जानकारी यहाँ

24 September, 2008

छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों और पेंशनरों को अंतरिम राहत का आदेश

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के कर्मचारियों और पेंशनरों को अंतरिम राहत देने के आदेश जारी कर दिए हैं। मीडिया सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने 18 सितम्बर 2008 के संकल्प के अनुसार कर्मचारियों और पेंशनरों को एक सितम्बर 2008 से क्रमश: 20 प्रतिशत और 10 प्रतिशत अंतरिम राहत स्वीकृत करने के आदेश जारी कर दिए हैं। वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार कर्मचारियों को सितम्बर 2008 का वेतन जो अक्टूबर माह में देय होगा उसके साथ मूल वेतन और महंगाई वेतन की 20 प्रतिशत राशि अंतरिम राहत के रूप में दी जाएगी। यह अंतरिम राहत किसी भी सेवा लाभ अर्थात मकान किराया भत्ता, प्रतिपूर्ति भत्तों, वेतन निर्धारण, अवकाश नकदीकरण, पेंशन, ग्रेच्यूटी आदि की संगणना के लिए वेतन भत्ते या मजदूरी के रूप में नहीं गिनी जाएगी।

अंतरिम वेतन की राशि का समायोजन पुनरीक्षित वेतनमान के एरियर्स से किया जाएगा। पेंशनरों को सितम्बर 2008 की पेंशन जो अक्टूबर में देय है उसमें मूल पेंशन और महंगाई पेंशन की 10 प्रतिशत राशि अंतरिम राहत में रूप में दी जाएगी।

17 September, 2008

केंद्र सरकार ने महिला कर्मचारियों को दोहरा तोहफा दिया

केंद्र सरकार ने अपनी महिला कर्मचारियों को दोहरा तोहफा दिया है। महिलाओं की मैटरनिटी अवकाश तो बढ़ाया गया ही है , साथ ही बच्चों की देख-भाल करने के लिए दो साल की सवेतन अवकाश देने का फैसला भी किया है। यह नियम 1 सितंबर से लागू होगा।

कुछ ख़ास बातें हैं:
  • महिला कर्मचारियों को 2 बच्चों के लिए 135 दिनों की जगह 180 दिनों की मैटरनिटी अवकाश मिलेगा
  • बच्चों की देख-भाल के लिए पूरे सेवाकाल में कभी भी दो साल (730 दिन) की सवेतन अवकाश ले सकेंगी।
  • शिशु लालन-पालन अवकाश में कर्मचारी की वरिष्ठता भी प्रभावित नहीं होगी।
  • एक बच्चा हो तो भी ले सकते हैं दो साल की छुट्टी। खास बात यह कि ये छुट्टियां मैटरनिटी अवकाश से अलग होंगी।
  • इस तरह अगर दोनों छुट्टियां साथ ली जाएं, तो एक साथ ढाई साल तक बच्चों के साथ रह सकती हैं।
  • महिलाएं ये छुट्टियां बच्चों के 18 साल के होने तक कभी भी ले सकेंगी। वजह कोई भी हो सकती है, बच्चों के इम्तिहान हों या उनकी बीमारी।

16 September, 2008

सितम्बर के वेतन के साथ अंतरिम राहत

मध्य प्रदेश शासन के कर्मचारियों तथा अधिकारियों को छठवें वेतनमान के अंतर्गत बीस प्रतिशत अंतरिम राहत सितम्बर के वेतन के साथ जुड़कर मिलेगी। वित्त विभाग ने इस सम्बंध में सोमवार को आदेश जारी कर दिए हैं। जारी आदेश में मूल वेतन तथा महंगाई वेतन की बीस प्रतिशत राशि अंतरिम राहत के रूप में दी जाएगी।

आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि अंतरिम राहत की यह राशि न तो वेतन के रूप में समझी जाएगी और न ही भत्ते या मजदूरी के रूप में। यह राशि किसी भी सेवा लाभ अर्थात मकान किराया भत्ता, प्रतिपूर्ति भत्तों, वेतन नियमन, अवकाश नदगीकरण, पेंशन एवं ग्रेच्युटी आदि की संगणना करने के लिए नहीं गिनी जाएगी। अंतरिम राहत की राशि का समायोजन पुनरीक्षित वेतनमान के एरियर से दिया जाएगा। यह राशि वेतन मद से विकलनीय होगी।

13 September, 2008

एरियर पर आयकर में कमी संभव!

सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर यह है कि उनके एरियर पर आयकर बोझ हल्का हो सकता है। इसके लिए विभाग ने आयकर की धारा 89-1 का विकल्प चुनने का अधिकार दिया है। लेकिन यह फैसला किसी भी कर्मचारी के लिए अपनी इच्छा पर ही आधारित होगा।

वहीं दूसरी ओर चालू वित्त वर्ष के दौरान पूरे अथवा 40 फीसदी एरियर पर टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) को लेकर आयकर विभाग को वर्ष 1999 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी एक फैसला हाथ लगा है। इस फैसले के जरिए पूरे एरियर को टैक्स के दायरे में लाने का पक्ष लिया गया है। जहां तक एरियर के मामले में टैक्स बोझ हल्का करने की बात है, उसके लिए धारा 89-1 का विकल्प सामने है। इसके तहत चालू वित्त वर्ष सहित पिछले तीन वित्त वर्ष के दौरान बगैर एरियर और एरियर सहित आयकर बोझ निकाला जाएगा।

इन सभी सालों के लिए एरियर सहित टैक्स बोझ में एरियर रहित टैक्स बोझ को घटा दिया जाएगा। चालू वित्त वर्ष के दौरान हासिल अंतर में पिछले तीन सालों के अंतर को जोड़कर घटा दिया जाएगा। इससे प्राप्त राशि को चालू वित्त वर्ष में देय समग्र टैक्स में घटाया जाएगा। यही देय टैक्स होगा।

यह रास्ता इसलिए अपनाया जा रहा है क्योंकि बीते सालों में सरकारी नहीं अदा की गई देय राशि पर ब्याज लागू न किया जाए, अन्यथा इसे कर्मचारियों के साथ अन्याय माना जाएगा। इस प्रकार की गणना से बहुत से कर्मचारी आयकर दर के ऊंचे स्लैब में जाने और अधिभार यानी सरचार्ज देने से बचने की संभावना बनेगी।

वहीं दूसरी ओर आयकर विभाग के हाथ सुप्रीम कोर्ट की ओर से 26 अक्टूबर, 1999 को जारी एक फैसला हाथ लगा है। इसके मुताबिक पेबल यानी देय राशि की व्याख्या आयकर कानून की मंशा के मुताबिक ही की गई है। मतलब यह एरियर चाहे वह किसी खास वर्ष में अदा किया गया हो अथवा नहीं, उसी खास वर्ष के दौरान ही कर दायरे में ही आएगा।
(दैनिक हिन्दुस्तान में विकास द्विवेदी की शब्दश: रिपोर्ट)

11 September, 2008

दिल्ली नगर निगम, छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर रहा

दिल्ली नगर निगम अपने अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए छठे वेतन आयोग की सिफारिशें पहली सितम्बर 2008 से लागू कर रहा है। स्थायी समिति के अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने स्थायी समिति की बैठक में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम पूरे भारत में पहला ऐसा स्थानीय निकाय है जो छठे वेतन आयोग की सिफारिशें सबसे पहले लागू करने जा रहा है।

श्री गुप्ता ने बताया कि ये सिफारिशें एक जनवरी 2006 से लागू होगी लेकिन इस साल बकाया राशि का 40 फीसद ही दिया जाएगा। जबकि अगले साल बाकी रकम दी जाएगी।

10 September, 2008

फिलहाल 20 प्रतिशत अंतरिम राहत

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को एक सितम्बर से छठा वेतनमान देने का निर्णय मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। कर्मचारियों का वेतनमान जब तक फाइनल नहीं होगा तब तक उन्हें वेतन व महंगाई भत्तो का बीस फीसदी अंतरिम राहत दिया जाएगा। अंतरिम राहत सितम्बर का अक्टूबर माह में मिलने वाले वेतन में ही दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कर्मचारियों को छठा वेतनमान देने का मामला आनन फानन में एक्स एजेंडा के रूप में लाया गया। छठे वेतनमान के संबंध में राज्य सरकार की पूरी तैयारी न होने के कारण एक मुश्त बीस फीसदी अंतरिम राहत देने का निर्णय लिया गया।

08 September, 2008

निजी स्कूलों ने 20 से 30 प्रतिशत तक फीस बढ़ाने की तैयारी कर ली

निजी स्कूलों की मनमानी से त्रस्त अभिभावकों के लिए एक और बुरी खबर। छठा वेतन आयोग लागू होने की सम्भावनाओं को देखते हुए निजी स्कूलों ने 20 से 30 प्रतिशत तक फीस बढ़ाने की तैयारी कर ली है। केन्द्रीय माघ्यमिक शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध निजी स्कूलों की संस्था सोसायटी फॉर अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स की बैठक में भी इस बारे में चर्चा हो चुकी है। फीस बढ़ती है तो अभिभावकों पर 300 से हजार रूपए तक मासिक भार बढ़ जाएगा, क्यों कि स्कूलों की मासिक फीस 1000 से 3000 रूपए तक है।

कई निजी स्कूल अपने शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकार के समान वेतन देते हैं। इन स्कूलों का तर्क है कि नया वेतन आयोग लागू होते ही इन्हें अपने शिक्षकों को भी नया वेतनमान देना होगा। कई स्कूलों ने इसी आधार पर सत्र के बीच ही फीस बढ़ाने का नोटिस अभिभावकों को थमा दिया है। सरकार के हिसाब से वेतनमान देने वाले निजी स्कूल मुट्ठी भर हैं, लेकिन फीस बढ़ाने में कोई भी स्कूल पीछे नहीं रहने वाला है। निजी स्कूलों में फीस वृद्धि पर राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्थगनादेश दे रखा है। निजी स्कूल इसी का फायदा उठा कर फीस में वृद्धि कर लेना चाहते हैं। वैसे इन स्कूलों को दस प्रतिशत तक प्रतिवर्ष फीस बढ़ाने की छूट मिली हुई है।

फीस वृद्धि की सबसे बड़ी मार निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों पर पड़ेगी। सरकारी कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ मिल रहा है, इसलिए वे इसे सहन कर लेंगे, लेकिन इन छह लाख सरकारी कर्मचारियों को छोड़ दें तो अन्य सभी लोग निजी क्षेत्र मे काम कर रहे हैं, जिनके लिए कोई वेतन आयोग नहीं है। फीस में यह वृद्धि सिर्फ स्कूलों में ही नहीं निजी कॉलेजों में भी होगी, क्योंकि अनुदानित कॉलेजों को तो सरकार के हिसाब से वेतनमान देना होता है, गैर अनुदानित कॉलेजों पर भी यूजीसी वेतनमान देने की बंदिश होती है। अनुदानित कॉलेजों के लिए सरकार ने पहले ही अनुदान में कटौती की हुई है।

05 September, 2008

कर्मचारियों को एक बच्चे की पढाई पर अब 1000 रुपये महीना भत्ता

छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से भी एक कदम आगे बढकर बढे वेतन और भत्ते देने का सिलसिला जारी रखते हुये केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को उनके बच्चों की पढाई पर दिया जाने वाला शिक्षा भत्ता 40 रुपये से बढाकर 1000 रुपये महीना कर दिया है। शिक्षा भत्ता अधिकतम दो बच्चों के लिये मिलेगा। सरकार ने इस संबंध में नये आदेश जारी कर दिये हैं। बच्चों की नर्सरी से लेकर 12वीं कक्षा तक की पढाई पर कर्मचारियों को अब प्रत्येक बच्चे के लिये अधिकतम 1000 रुपये महीना शिक्षा भत्ता मिलेगा। सरकार ने बच्चों का शिक्षा भत्ता और स्कूल की ट्यूशन फीस के एवज में दी जानी वाली राशि दोंनों को मिलाकर 'चिल्ड्रन एजूकेशन एलाउंस स्कीम' बना दी है1 योजना एक सितंबर 2008 से लागू मानी जायेगी। छठे वेतन आयोग ने भी यही सिफारिश की थी।

पति, पत्नी दोंनों सरकारी कर्मचारी होने की स्थिति में किसी एक को ही बच्चों के शिक्षा भत्ते का लाभ मिलेगा। पढाई के दौरान बच्चों की हास्टल सुविधा के मामले में अधिकतम 3000 रुपये हास्टल सहायता दी जायेगी। यह सुविधा भी दो बच्चों के लिये ही होगी1 लेकिन हास्टल सुविधा के साथ शिक्षा भत्ता नहीं मिलेगा। नये आदेश के मुताबिक नये वेतन ढांचे में जब जब महंगाई भत्ता बढकर 50 प्रतिशत तक पहुंच जायेगा शिक्षा शुल्क भत्ते में अपने आप ही 25 प्रतिशत वृद्धि हो जायेगी। शिक्षा भत्ता पाने के लिये कर्मचारी को शिक्षा खर्च की स्वप्रमाणित मूल रसीद कार्यालय में देनी होगी उसी के आधार पर राशि जारी कर दी जायेगी।

योजना के तहत बच्चों की ट्यूशन फीस, दाखिला खर्च, प्रयोगशाला, कृषि, इलेक्ट्रानिक्स, संगीत तथा किसी अन्य विषय के लिये मांगी गई विशेष फीस का भी भुगतान शामिल होगा। किसी एक कक्षा के लिये पुस्तक और कापियों का एक सेट, वर्दी के दो सेट, एक जोडी जूते सभी कुछ इस शिक्षा भत्ते योजना के तहत मिलेगा। यह सब एक बच्चे के लिये अधिकतम सालाना 12000 रुपये की सीमा में ही होगा। योजना के तहत कर्मचारी हर तीन महीने में रकम पाने के लिये अपना दावा कर सकेंगे। प्रत्येक तिमाही में 3000 रुपये से अधिक अथवा कम राशि का दावा किया जा सकता है लेकिन सालभर में यह राशि 12000 रुपये से अधिक नहीं होगा।

अपडेट, 26 सितम्बर: अविनाश जी के आग्रह पर लिंक जोड़ी गयी

04 September, 2008

नए वेतनमान के एरियर्स की कुल राशि पर, इसी साल ही टैक्स कट जायेगा!

केंद्र सरकार के जो कर्मचारी अगले महीने अपने एरियर का 40 प्रतिशत पाने की आस में हैं, उनके लिए बुरी खबर है। सरकार ने इस राशि के साथ ही इस साल के एरियर की पूरी रकम पर टैक्स लगाने का फैसला किया है। यानी कर्मचारियों को बाकी 60 प्रतिशत एरियर अगले साल (वर्तमान वित्त वर्ष) में मिलेगा, लेकिन उनका टैक्स फिलहाल कट जाएगा।

सरकार के इस फैसले से ज्यादातर कर्मचारियों के 40 प्रतिशत बकाया की राशि टैक्स में ही कट जाएगी। इस फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान वरिष्ठ नौकरशाहों को होगा, क्योंकि उन्हें टैक्स के साथ सरचार्ज भी अदा करना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि सरचार्ज 10 लाख या इससे ज्यादा की आय पर लगता है।

अपडेट-1: नवभारत टाइम्स की ख़बर आयी है कि केंद्रीय कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी के बाद उनकी बकाया (एरियर) राशि पर पूरा इनकम टैक्स काटने पर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। प्रस्ताव है कि इसी साल पूरी बकाया राशि पर इनकम टैक्स लिया जाए। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के उच्चाधिकारी के अनुसार अभी इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है। उम्मीद है कि अगले महीने तक इस पर निर्णय ले लिया जाएगा। इसके बाद सीबीडीटी नोटिस जारी करेगी।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार कोशिश यह की जा रही है कि बकाया राशि की पहली किस्त दीपावली से पहले केंदीय कर्मचारियों को दे दी जाए। दूसरी किस्त अप्रैल या मई में दी जाए। पूरी बकाया राशि पर इनकम टैक्स काटने पर यह समस्या सामने आ रही है कि इनकम टैक्स की दर औसतन 30 फीसदी की होगी। अगर बकाया राशि में 30 फीसदी का इनकम टैक्स काट दिया जाए, तो कर्मचारियों पहली किस्त में अनुमान से काफी कम राशि मिलेगी।

इनकम टैक्स विशेषज्ञ रघु मारवाह का कहना है आयकर कानून के तहत सरकार चाहे तो बकाया राशि पर पूरा इनकम टैक्स ले सकती है। बेशक यह राशि एक साल या चार साल बाद कर्मचारियों को दी जाए।

अपडेट-2: दैनिक भास्कर की ख़बर है - केंद्र ने बुधवार को स्पष्ट कहा है कि छठे वेतन आयोग के तहत इस वित्त वर्ष में मिलने वाले 40 फीसदी एरियर पर ही आयकर काटा जाएगा। एक वर्ग पूरे एरियर पर आयकर काटे जाने की बात कर रहा था। इसलिए एरियर पर आयकर को लेकर कर्मचारियों में संशय की स्थिति बन गई थी। सरकार द्वारा पिछले माह जारी अधिसूचना के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में केंद्रीय कर्मचारियों को बकाया वेतन का 40 फीसदी भुगतान किया जाना है। बाकी राशि अगले वित्त वर्ष दी जाएगी।

03 September, 2008

सशस्त्र बल छठे केंद्रीय वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के इच्छुक नहीं

सशस्त्र बलों ने रक्षा मंत्री एके एंटनी को सूचित कर दिया है कि उनके दर्जे की बहाली और वेतन ढांचे में समानता लाने के लिये ‘विसंगतियों’ को हटाये बिना वे छठे केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की रिपोर्ट ‘लागू करने के प्रति इच्छुक नहीं’ हैं। रक्षा मंत्रालय के शीर्ष सूत्रों के अनुसार सैन्य प्रमुखों की समिति (सीआ॓एससी) के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने रक्षा मंत्री एके एंटनी और शीर्ष अधिकारियों के समक्ष विसंगतियों के बारे में एक प्रस्तुतीकरण दिया क्योंकि इन्हें अधिकारियों के लिए आई सीपीसी रिपोर्ट की अधिसूचना में रखा गया है। हालांकि अधिकारियों के अधीनस्थ कर्मियों के लिए वेतनमान में बढ़ोत्तरी पर संतोष जताया गया है।

समाचारों में कहा गया है कि प्रस्तुतीकरण देखने के बाद
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सशस्त्र बलों को भरोसा दिलाया है कि वह ‘विसंगितयों’ को सरकार के समक्ष रखेंगे और उन्हें दूर करने के लिए विचार करेंगे। सीआ॓एससी के अध्यक्ष और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरेश मेहता की रक्षा मंत्री एके एंटनी के साथ गत शुक्रवार शाम हुई बैठक के चलते यह प्रस्तुतीकरण दिया गया। ‘विसंगतियां’ दूर नहीं होने के कारण सरकारी आदेश पर रोक चाहने के लिए सीपीसी की रिपोर्ट अधिसूचित किये जाने के कुछ ही घंटे पहले मेहता ने एंटनी से मुलाकात की थी।

01 September, 2008

संशोधित वेतन ढांचा लागू होते ही बच्चों के शिक्षा भत्तों में होगी बढ़ोत्तरी

बच्चों की पढ़ाई पर भारी खर्च का बोझ उठाते केंद्र सरकार कर्मचारियों को संशोधित वेतन ढांचा लागू होते ही काफी राहत मिल जाएगी। संशोधित वेतन ढांचा 1 सितम्बर से लागू होने जा रहा है। जहां एक ओर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन औसतन 21 फीसदी तक बढ़ जाएंगे, वहीं बच्चों का शिक्षा भत्ता और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। संशोधित वेतन ढांचे पर अधिसूचना जारी हो चुकी है। जारी अधिसूचना के मुताबिक केंद्र सरकार के कर्मचारी चिल्ड्रेन एजुकेशन एलाउंस के तहत प्रति माह हर बच्चे पर खर्च की गई अधिकतम 1000 रुपये की राशि ले सकेंगे। हालांकि यह अधिकतम दो बच्चों तक सीमित है। इसके अलावा प्रत्येक बच्चे पर हास्टल सब्सिडी की सीमा मौजूदा 300 रुपये से बढ़ाकर 3000 रुपये प्रति माह कर दी गई है।

अधिसूचना में कहा गया है कि इसके अलावा संशोधित वेतन ढांचे पर महंगाई भत्ता मूल वेतन का 50 फीसदी होते ही उक्त पुनर्भुगतान स्वत: ही 25 फीसदी तक बढ़ जाएंगे। मान लें कि एक कर्मचारी को 1000 रुपये मिल रहा है तो उसे प्रति बच्चा हर महीने 1250 रुपये मिलेगा और महंगाई भत्ता मूल वेतन का 50 फीसदी होते ही हास्टल सब्सिडी बढ़कर 3750 रुपये पहुंच जाएगी। संशोधित वेतन ढांचा 1 सितम्बर से लागू हो जाएगा जिसका मतलब है कि कर्मचारियों को सितंबर से बढ़ा हुआ वेतन मिलना शुरू हो जाएगा।

बकाया राशि का 40 फीसदी हिस्से का अगले महीने भुगतान कर दिया जाएगा। हालांकि यह संबंधित विभागों द्वारा बकाया राशि की गणना के लिए लगने वाले समय पर निर्भर करेगा।