29 June, 2008

हड़ताल के दिन में बदलाव का आग्रह ठुकराया

वामदलों ने 20 अगस्त को केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रस्तावित राष्ट्रीय हड़ताल के दिन में परिवर्तन करने के कांग्रेस के आग्रह को ठुकरा दिया है। कांग्रेस चाहती है कि वाम दल राजीव गांधी के 64 वें जन्मदिवस के दिन देशव्यापी हड़ताल को टाल दें। वामदलों के सूत्रों के अनुसार विदेशमंत्री प्रणब मुखर्जी ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी से आग्रह किया था कि हड़ताल का कोई अन्य दिन निश्चित करने का प्रयास करें।

सूत्रों के अनुसार येचुरी ने विदेश मंत्री के संदेश को पार्टी से जुड़े सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) के नेताओं तक पहुंचा दिया था, लेकिन सीटू नेताओं ने इस आग्रह को ठुकरा दिया। सीटू के राष्ट्रीय अध्यक्ष तपन सेन ने ऐसे भी औपचारिक आग्रह से इंकार करते हुए कहा कि उनकोइस बारे में अन्य सूत्रों से ही पता चला है। सभी श्रम कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू करने की मांग को लेकर सात श्रम संगठनों ने इस हड़ताल का आयोजन किया है। श्रम संगठनों की मांग है कि न्यूनतम मजदूरी, काम के घंटों, सामाजिक सुरक्षा और उत्पीड़न से संबधित कानूनों को कड़ाई से लागू किया जाए। कांग्रेस कार्यकर्ता पूरे देश में 20 अगस्त को 'सद्भावना दिवस' के रूप में मनाते हैं।

वेतन आयोग की सिफारिश जनवरी 2006 की जगह जनवरी 2007 से लागू !?

छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करने के लिए बनी कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने सरकारी कर्मचारियों को सालाना चार प्रतिशत वेतन बढ़ोतरी देने की सिफारिश की है। कर्मचारियों को निराशा पहुंचाने वाली सबसे अहम बात है कि उन्हें एक जनवरी 2006 की जगह एक जनवरी 2007 से एरियर देने की सिफारिश की गई है। नए वेतनमान से निचले स्तर के कर्मचारियों को फायदा हुआ है जबकि संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को नुकसान हुआ है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों पर सभी वर्ग के कर्मचारियों को घोर आपत्ति थी। इन्हीं आपत्तियों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर दी है जिसे संभवत: 29 जून की बैठक के बाद पेश किया जाएगा। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बहुत परिवर्तन नहीं किया लेकिन उन बिंदुओं पर संशोधन कर दिया है जहां आपत्तियां थीं।

एक अहम सुझाव कर्मचारियों के सालाना वेतन वृद्धि को लेकर है। छठे वेतन आयोग ने 2.5 से 3.5 प्रतिशत तक वेतन बढ़ोतरी की सिफारिश की थी। अब समिति ने सभी के लिए कुल वेतन का 4 प्रतिशत बढ़ोतरी की सिफारिश की है। एक और अहम पहलू है वेतन आयोग की सिफारिश 1 जनवरी 2006 की जगह एक जनवरी 2007 से लागू होगी। छठे वेतन आयोग ने कुल 22 वेतनमान और चार पे-बैंड तय किए थे। समिति ने वेतनमानों की संख्या घटाकर 15 कर दी और पे-बैंडों की संख्या बढ़ाकर 10 कर दी। इससे वरिष्ठता और कनिष्ठता का जो बवाल खड़ा हो गया था वह दूर हो जाएगा।

27 June, 2008

सशस्त्र बलों के वेतन प्रस्ताव का ब्लूप्रिंट तैयार

देश के शीर्ष सैन्य नेतृत्व ने २६ जून को एक उच्चस्तरीय बैठक में सशस्त्र बलों के वेतन संबंधी प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए गहन विचार मंथन किया, जिसे कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष पेश किया जाएगा। रक्षा सूत्रों ने इस बैठक का ब्यौरा देने से इंकार करते हुए कहा, “बंद कमरे में हुए विचार-विमर्श को वहीं तक सीमित रखने का निर्णय लिया गया है”।

एक रक्षा अधिकारी ने कहा, “बेहतर होगा कि वेतन में संशोधन के मुद्दे पर कोई अटकलें नहीं लगाई जाएं क्योंकि इससे सशस्त्र बलों के हितों पर ही प्रतिकूल असर पड़ेगा”। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी के अलावा नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरीश मेहता, वायुसेना अध्यक्ष एयरचीफ मार्शल फली होमी मेजर और सेना उप प्रमुख लेफ्टीनेंट जनरल मिलन नायडू मौजूद थे, क्योंकि सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर रूस गए हुए हैं। एंटनी ने सैन्य प्रमुखों के साथ यह बैठक ऐसे समय की है जबकि सेना के अफसर छठे वेतन आयोग की नाकाफी सिफारिशों से खफा हैं और सेना छोड़ने वाले अधिकारियों का तांता लगा हुआ है। वेतन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद से बीच की रैंक के 120 से ज्यादा अफसर सेना छोड़ने की अर्जी दे चुके हैं और यह सिलसिला लगातार जारी है।

निचले रैंक के सैन्य अधिकारी खासतौर से आक्रोश में हैं, क्योंकि दस साल बाद वेतन में संशोधन होने के बावजूद उनकी तनख्वाह 15 प्रतिशत ही बढ़ी है जबकि असैन्य अधिकारियों के वेतन में 40 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी हुई है। दूसरी ओर पूर्व सैनिकों के संगठन ने चेतावनी दी हुई है कि अगर फौजियों के वेतन में संशोधन की मांगों पर सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो वे देश के 300 जिलों में 6 जुलाई से विरोध प्रदर्शन शुरू कर देंगे।

26 June, 2008

नौकरी के दौरान तनाव,पुरुषों की तुलना में महिलायों को अधिक

कामकाजी पुरुषों व महिलाओं के बीच किए गए अध्ययन में पाया गया कि अवसाद के छह में से एक मामले का कारण नौकरी है। अध्ययन से पता चला है कि नौकरी के दौरान तनाव का सामना पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक करना पड़ता है। इसका कारण तुलनात्मक रूप से काम में उनका कम दक्ष होना है।

विक्टोरिया में काम करने वाले १,१०० कर्मचारियों पर २००३ में अध्ययन किया गया था जिससे यह आंकड़ा मिला था। नौकरी की बढ़ती मांग को देखते हुए कार्यालयों का माहौल तनावयुक्त होता जा रहा है। कामकाजी लोगों में कार्यस्थल पर तनाव के कारण अवसाद की सम्भावना बढ़ती जा रही है।

कार्यालय की ओर से तनाव के कारण मानसिक परेशानियों की गिरफ्त में आने वाले कर्मचारियों की मदद भी नहीं की जाती। यही कारण है कि ऐसे मामलों से जुड़ी जानकारी भी कम ही मिल पाती है। शोधकर्ता मेलबर्न विश्वविद्यालय के टोनी लामोन्टेग्न ने कहा, ॰कम दक्ष महिलाओं में काम का तनाव तुलनात्मक रूप से ज्यादा होता है।” वह कहते हैं, ॰स्पष्ट है कि लोग स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से ग्रस्त हैं और मानसिक बीमारी का एक महत्वपूर्ण कारण नौकरी है।” उनहोंने कहा, ॰हमें आशा है कि कार्यालय यदि अपने कर्मचारियों के साथ सहयोग करेंगे तो इस समस्या का बड़े पैमाने पर हल हो पाएगा। साथ ही कम दक्ष कर्मचारियों, खासकर महिला कर्मचारियों को इससे काफी मदद मिलेगी। इस अध्ययन से जुड़ी बातें पब्लिक हेल्थज् पत्रिका के नए अंक में विस्तार से दी गई है।

17 June, 2008

अगस्त में कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन !?

छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने 11 अप्रैल को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों के एक समूह का गठन किया था। इस कमेटी को जल्दी से जल्दी अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था। छठे वेतन आयोग की सदस्य सचिव सुषमा नाथ ही इस कमेटी की सदस्य सचिव हैं।

राष्ट्रीय सहारा के अनुसार रिपोर्ट में थोड़ा बहुत फेरबदल है। जिन लोगों को अपने पद के पे-बैंड से दिक्कत थी उन्हें मामूली सा सुधार दिया गया है। लेकिन जिस तरह की वृद्धि कर्मचारियों के संगठन मांग रहे थे वह उन्हें नहीं मिली है। सैनिकों का मिलिट्री अलाउंस बढ़ाकर 2000 रूपए किया जा रहा है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कम से कम 10 हजार रूपए तनख्वाह मांग रहे थे। कमेटी ने उनकी मांग तो नहीं मानी लेकिन सीसीए और एकाध भत्ता और देकर उन्हें दूसरे तरीके से लाभ दे दिया है। सेंट्रल सेकट्रियेट सर्विस (सीएसएस) के कर्मचारी वेतन आयोग की रिपोर्ट से आक्रोश में थे। उन्होंने धरना-प्रदर्शन भी किया लेकिन उनके हाथ भी एकाध पे-बैंड में परिवर्तन के अलावा कुछ नहीं लगने वाला। सूत्रों के अनुसार कमेटी की रिपोर्ट तैयार है। इसे संभवत: इसी महीने की 20 तारीख को वित्तमंत्री को सौंप दिया जाएगा। उसके बाद यदि आवश्यक हुआ तो ग्रुप आफ मिनिस्टर का गठन किया जाएगा अन्यथा जुलाई महीने से ही पे-कमीशन की रिपोर्ट लागू कर दी जाएगी ताकि अगस्त में कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन मिल सके।

13 June, 2008

रक्षा मंत्रालय की नौकरशाही ने, वेतन आयोग में फौज को नुमाइंदगी नहीं मिलने दी

छठे वेतन आयोग का गठन होने से पहले ही तीनों सेनाओं के प्रमुखों की समिति ने उसमें प्रतिनिधित्व की लिखित मांग की थी, जिसे रक्षा मंत्रालय की नौकरशाही ने दबा दिया था। यह खुलासा पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने किया है, जो उस समय तीनों सेनाओं के प्रमुखों की समिति के अध्यक्ष थे। उन्होंने सुझाव दिया है कि सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए रक्षा मंत्रालय से पूछा जाना चाहिए कि समिति के अध्यक्ष के पत्र पर बनी फाइल पर क्या बातें दर्ज हुई थीं और वेतन आयोग में प्रतिनिधित्व दिए जाने के सैन्य बलों के अनुरोध को खारिज करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने क्या सिफारिश की थी।

उल्लेखनीय है कि एडमिरल अरुण प्रकाश फरवरी 2005 से अक्टूबर 2006 तक तीनों सेनाओं के प्रमुखों की समिति के अध्यक्ष थे और उस समय रक्षा मंत्री प्रणव मुखर्जी थे। एडमिरल ने छठे वेतन आयोग से सशस्त्र बलों में उपजे असंतोष पर एक प्रतिष्ठित रक्षा पत्रिका में लिखे गए लेख के माध्यम से यह बात उजागर की है कि समिति के अध्यक्ष ने 12 अप्रैल 2006 को रक्षामंत्री को पत्र लिखा था और फौज की तरफ से किसी अधिकारी को वेतन आयोग में सदस्य बनाए जाने की मांग की थी। उस समय वेतन आयोग के गठन की घोषणा होने वाली थी।

बैंक कर्मी भी औद्योगिक हड़ताल में शामिल होंगे

केन्द्र सरकार की श्रम एवं जनविरोधी नीतियों के खिलाफ श्रमिक संगठनों के आह्वान पर 20 अगस्त की प्रस्तावित औद्योगिक हड़ताल में बैंक कर्मी भी शामिल होगें।

आल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव महेश मिश्रा ने एक विज्ञप्ति में बताया है कि एसोसिएशन की मंगलवार को कोलकाता में सम्पन्न बैठक के बाद हड़ताल की तैयारी के लिए 15 जून को जयपुर में राजस्थान प्रदेश बैक एम्पलाइज यूनियन की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है।

08 June, 2008

उत्तर प्रदेश में विभिन्न पदों के वेतनमान बढ़े

उत्तर प्रदेश सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारियों व कर्मचारियों के 50 फीसदी मंहगाई भत्ते को उनके मूल वेतन में जोड़ने का फैसला किया है। शेष 50 प्रतिशत भुगतान महंगाई भत्ते के रूप में होगा। बढ़ी हुई दर पर महंगाई भत्ता केवल उन्हीं सार्वजनिक उद्यमों के कर्मियों को अनुमन्य होगा जिनकी अपनी आंतरिक वित्तीय क्षमता आंतरिक व्यय भार वहन करने में सक्षम होगी।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार ने सचिवालय लेखा संवर्ग का संवर्गीय पुनर्गठन करने के साथ ही विभिन्न पदों के वेतनमान को उच्चीकृत किया है। नयी संस्तुतियों के अनुसार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के लैब टेक्नीशियन संवर्ग के सीनियर लैब टेक्नीशियन पद का वर्तमान वेतनमान 5000-8000 रुपए की जगह 5500-9000 रुपए कर दिया गया है। वक्फ आयुक्त कार्यालय के मुख्य वक्फ निरीक्षक और ज्येष्ठ वक्फ निरीक्षक के पद पर वर्तमान वेतनमान 5000-8000 रुपए और 4500-7000 रुपए के स्थान पर क्रमश:5500-9000 रुपए और 5000-8000 रुपए का उच्चीकृत वेतनमान अनुमन्य किया गया है।

अनुदानित अरबी-फारसी मदरसों में लिपिक पद के वर्तमान वेतनमान 2750-4400 रुपए के स्थान पर 3050-4590 रुपए का वेतनमान किया गया है। राजकीय मेडिकल कालेज कानपुर के एनाटॉमी विभाग के जूनियर आर्टिस्ट के पद को मृत घोषित करते हुए इस पद पर कार्यरत कर्मचारी को वर्तमान में मिल रहे वेतनमान 2750-4400 रुपए के स्थान पर 3200-4900 रुपए का वेतनमान स्वीकार किया गया है। सचिवालय के लेखा संवर्ग के पदों के पदनाम व वेतनमान के स्थान पर सहायक समीक्षा अधिकारी (लेखा), समीक्षा अधिकारी (लेखा), अनुभाग अधिकारी (लेखा) तथा अनु सचिव (लेखा) पदनाम करते हुए उन पदों पर क्रमश: 5400-7000 रुपए,6500-10500रुपए, 6500-10500 रुपए (चार साल की संतोषजनक सेवा पर नॉन फंक्शनल वेतनमान के रूप में 8000-13500 रुपए का वेतनमान) तथा 10000-15200 रुपए का वेतनमान अनुमन्य किया गया है।

05 June, 2008

शैक्षिक विशेषज्ञों का रिटायरमेंट 65 में

देश में मेडिकल स्टाफ की कमी दूर करने के लिए सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य सेवाओं में शैक्षिक विशेषज्ञों के रिटायरमेंट की आयु 62 साल से बढ़ाकर 65 साल कर दी है। प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला किया गया। शैक्षिक गतिविधियों में संलग्न विशेषज्ञों के मामले में यह आयु बढ़ायी गई है न कि प्रशासनिक पदों पर मौजूद लोगों के लिए।

प्रशासनिक पदों पर मौजूद केंद्रीय स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकारियों के पास शैक्षिक पदों पर नियुक्ति पाने का विकल्प होगा, बशर्ते वे 65 साल तक सेवा करना चाहते हैं।

जैसा काम वैसा वेतन

केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) की दूसरी वेतन समीक्षा समिति ने सिफारिश की है कि सरकारी कंपनियों को उनकी उत्पादकता और प्रदर्शन के आधार पर अपने वेतन निर्धारित करने चाहिए। इस दिशा में समिति ने 216 सरकारी कंपनियों को 5 श्रेणी में बांटा है। इन श्रेणियों में इंडियन ऑयल, ओएनजीसी, एनटीपीसी और भारत संचार निगम लिमिटेड जैसी 11 केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियों को उनके प्रदर्शन के हिसाब से उच्च वरीयता दी गई है। ये सिफारिशें दूसरी केंद्रीय पीएसयू की समीक्षा समिति की रिपोर्ट में दी गई हैं जो सरकार को सौंपी गईं।

सिफारिशें क्रियान्वित होती हैं तो 1973 में 9 कंपनियों को दिए गए नवरत्न के दर्जे में बढोतरी होगी और इनकी संख्या 16 हो जाएगी। दूसरा वर्गीकरण मिनी नवरत्न कंपनियों का है जिसमें वर्तमान में 54 कंपनियां है। नवरत्न या मिनी नवरत्न कंपनियों का दर्जा उन कंपनियों को दिया जाता है जिनका प्रदर्शन बेहतर होता है। इस दर्जे को पाने के बाद कंपनियों को वित्तीय और कार्यकारी स्वायत्तता दी जाती है। इसके क्रियान्वित हो जाने पर कर्मचारियों को राजनीतिक स्वतंत्रता तो नहीं मिलेगी लेकिन उनकी जेबें जरूर भर जाएंगी।

कुल आय, श्रम-शक्ति का आकार और भौगोलिक विस्तार ही इस नई श्रेणी के वर्गीकरण का आधार है। इस वर्गीकरण में इन कंपनियों को 0 से 100 अंक निर्धारित किए गए हैं। इंडियन ऑयल और ओएनजीसी जैसी कंपनियां जिनका नाम फॉरच्युन 500 में शुमार है को सर्वाधिक 99 अंक दिए गए हैं। वर्तमान में इन कंपनियों की चार श्रेणियां हैं। इस वर्गीकरण का आधार वर्ष 1997 का प्रस्ताव था। इसके तहत रियायत संरचना और बोर्ड स्तरीय कार्यकारियों को समाहित किया गया था।

इस समीक्षा समिति का मानना है कि वेतन पैनल की रिपोर्ट न्यायसंगत नहीं है क्योंकि इसके अंतर्गत एक ही श्रेणी की कंपनियों के आकार और प्रदर्शन में काफी अंतर है। मिसाल के तौर पर इंडियन ऑयल जिसकी वर्ष 2006-07 में कुल आय 2,18,934 करोड़ रुपये रही को मुंबई रेल विकास कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ रखा गया है जिसकी वार्षिक आय 17 करोड रुपये रही थी। इसके बावजूद वर्तमान तंत्र के अनुसार अगर कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है तो उसे ऊपर की श्रेणी में प्रोन्नति मिल जाती है लेकिन अगर कोई कंपनी खराब प्रदर्शन करती है तो उसका स्थान नही बदलता है।

रिपोर्ट यहाँ देखी जा सकती है।