दुनिया भर में हर पांच में से एक श्रमिक या 60 करोड़ लोग अभी भी सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करते हैं जो मात्र उनके गुजारे भर के लिए होता है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा किए गए एक ताजा अध्ययन से यह बात सामने आई है कि दुनिया भर के श्रमिकों में से 22 प्रतिशत यानी 61.42 करोड़ श्रमिक अत्यधिक लंबे घंटों तक काम करते हैं। पचास से अधिक देशों में किए गए इस अध्ययन में दुनिया भर में श्रम अवधि से संबंधित मुद्दों-जैसे राष्ट्रीय कानून तथा नीतियां, श्रम के वास्तविक घंटों की प्रवृत्तियां, विभिन्न प्रकार के श्रमिकों तथा आर्थिक क्षेत्रों के विशेष अनुभव और श्रम अवधि पर भावी नीतियों के लिए इन सब के निहितार्थ का पुनरीक्षण किया गया है।
यह रिपोर्ट श्रम अवधि पर राष्ट्रीय कानूनों एवं नीतियों तथा वास्तविक श्रम घंटों पर पहला वैश्विक तुलनात्मक विश्लेषण है जो विकासशील तथा संक्रमणकालीन देशों पर केंद्रित है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की कार्य स्थितियां तथा रोजगार कार्यक्रम के वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी और इस अध्ययन के सह लेखक जान सी मेसेंजर के अनुसार एक अच्छी बात यह है कि विकासशील और संक्रमणकालीन देशों में साधारण काम के घंटों को नियमित करने में प्रगति हुई है, लेकिन कुल मिलाकर अध्ययन निष्कर्ष विशेषकर अत्यंत लंबे श्रम के घंटों के बारे में निश्चित रूप से चिंताजनक है।
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