19 December, 2007

चयन में दखल नहीं दे सकती हैं अदालतें

भारत की सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकारी अफसरों की प्रोन्नति की प्रक्रिया में अदालतों और न्यायाधिकरणों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

न्यायमूर्ति एके माथुर और न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू की पीठ ने कहा कि आकलन करने के लिए चयन समिति पर भरोसा किया जाना चाहिए और यह अपील करने का विषय नहीं है। न्यायालय ने कहा कि इस तरह का कोई आम नियम या सख्त दिशानिर्देश नहीं हो सकता है जिनका पालन चयन समितियां सालाना गोपनीय रिपोर्ट में अधिकारियों को वरीयता देते वक्त करें।

पीठ ने कहा कि एसीआर का निरीक्षण करने पर समिति इस नतीजे पर पहुंच सकती है कि कोई खास उम्मीदवार अच्छा है या बहुत अच्छा। ऐसे मामलों में अदालतों या न्यायाधिकरण को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

पीठ ने यह व्यवस्था कर्नाटक के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से दाखिल विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दी। इन अधिकारियों ने उन्हें आईएएस संवर्ग देने के लिए संघ लोक सेवा आयोग द्वारा अपनाई गई चयन प्रक्रिया को चुनौती दी थी। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने इससे पहले चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया था। न्यायाधिकरण की राय थी कि समिति ने कुछ अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचाने के लिए मनमाने तरीके से काम किया।

बहरहाल, यूपीएससी की याचिका पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने चयन प्रक्रिया को जायज ठहरा दिया था जिसके बाद अधिकारियों ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष याचिकाएं दाखिल की थीं।

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