कंपनियों को अपने मुनाफे के आधार पर कर्मचारियों को बोनस देना पड़ सकता है। श्रमिक संगठनों के इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है कि कंपनी का जितना मुनाफा बढ़े, उसी अनुपात में कर्मचारियों को बोनस भी बढ़कर मिलना चाहिए। इस बारे में जल्द ही वित्त मंत्रालय व कार्मिक मंत्रालय से बातचीत की जाएगी।
श्रम मंत्री ऑस्कर फर्नांडिस ने कहा कि प्रस्ताव में यह बात साफ तौर कर कही गई है कि अगर किसी वजह से कंपनी को घाटा हो गया, तो उसे बोनस बढ़ाने की जरूरत नहीं होगी। मगर ऐसी हालत में भी कर्मचारियों को बोनस जरूर देना होगा। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियों में अधिकारियों और कर्मचारियों की परफॉर्मेंस देखते हुए बोनस दिया जाता है। मगर ऐसी कंपनियों की संख्या काफी कम है।
कंपनी मामलों के एक्सपर्ट व एडवोकेट प्रदीप मित्तल का कहना है कि बोनस एक्ट के तहत कंपनियों को अपने कर्मचारियों व अधिकारियों को सालाना बेसिक सैलरी का कम से कम 8.33 फीसदी देना होता है। एक्सग्रेशिया यानी अनुग्रह राशि के रूप में कंपनियां अतिरिक्त रूप से इसमें जितना मर्जी जोड़ सकती हैं। ज्यादातर कंपनियां अपने अधिकारियों को मोटी राशि बोनस के रूप दे रही हैं, मगर कर्मचारियों को नियत राशि बोनस के रूप में दी जा रही है।
सीपीआई के सेक्रेटरी डी. राजा इस प्रस्ताव से इत्तिफाक रखते हैं। उनका कहना है कि अगर केंद्र सरकार इस तरह का कोई प्रस्ताव लाती है, तो उसका स्वागत किया जाएगा। जो कर्मचारी कंपनियों की तरक्की में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं, उनको मुनाफे में कुछ तो मिलना चाहिए।
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