अस्थायी कर्मचारी के आश्रित परिवार पेंशन पाने के हकदार नहीं हैं। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण [कैट] ने एक रेल मजदूर की विधवा की याचिका पर यह फैसला सुनाया।
अधिकरण की सदस्य मीरा छिब्बर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कर्मचारी की विधवा को पेंशन देने का सवाल तब पैदा होता जबकि उसके पति को स्थायी कर दिया गया होता। अस्थायी कर्मचारी का दर्जा हासिल होने से परिजन पेंशन के हकदार नहीं हो सकते। यह फैसला कुन्नू राम की विधवा सुबालया देवी की याचिका पर सुनाया गया। उसने अनुरोध किया था कि रेलवे को उसकी पारिवारिक पेंशन जारी करने के निर्देश दिए जाएं।
सुबालया ने आरोप लगाया था कि कुन्नू से कनिष्ठ दो कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया जबकि उसे टेस्ट के लिए बुलाया ही नहीं गया। रेलवे ने इस याचिका का यह कहते हुए विरोध किया था कि दिहाड़ी मजदूरों को स्थायी कर्मचारी का दर्जा उनकी वरीयता के क्रम में नहीं दिया जाता। यह दर्जा दिया जाना पदों की उपलब्धता, मजदूर की योग्यता और अर्हता पर निर्भर करता है।
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