31 December, 2007

वापस लिया जा सकता है अस्थायी प्रमोशन

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने व्यवस्था दी है कि किसी कर्मचारी को अस्थायी पद पर दिया गया प्रमोशन बाद में वापस भी लिया जा सकता है। जस्टिस वीके बाली और जस्टिस एलके जोशी की बेंच ने यह व्यवस्था देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उस आदेश को खारिज करने से इनकार कर दिया, जिसमें एक कर्मचारी को पदावनत कर दिया गया था। बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता का प्रमोशन किसी खास काम के लिए अस्थायी तौर पर किया गया था। इसलिए इसे वापस लेना अवैध नहीं है।

मामला यह था कि निर्मला सिंह को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के हिंदी निदेशालय में ‘यूनेस्को दूत’ के संपादन के लिए अस्थायी तौर पर सृजित सीनियर प्रूफ रीडर के पद पर प्रमोशन दिया गया था। यह पद खत्म होने के बाद 1 मई, 2002 को उन्हें वापस जूनियर प्रूफ रीडर बना दिया गया। उन्हें इस पद के अनुरूप कम वेतनमान भी दिया जाने लगा। निर्मला सिंह ने इसे कैट में चुनौती दी थी। बेंच ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता ने आदेश की वैधानिकता पर सवाल कभी नहीं उठाया। उन्होंने ठोस आधार के बिना इसे सिर्फ पलटने की गुजारिश की। पदावनति का आदेश 2002 में जारी किया गया था, जबकि इसके खिलाफ याचिका 2007 में दायर की गई। याचिकाकर्ता के पास इतने लंबे वक्त तक इंतजार करने की कोई वजह नहीं थी। याचिका सिर्फ इसलिए दाखिल की गई क्योंकि इसके बाद मंत्रालय के आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती थी।

No comments:

Post a Comment