28 April, 2008
स्वैच्छिक सेवानिवृति स्वत: अधिकार नहीं कर्मचारी का
जस्टिस एसबी सिन्हा और वीएस सिरपुरकर की बेंच ने National Textile Corporation (एनटीसी) की याचिका की सुनवाई करते हुए कहा, ‘कर्मचारी को सिर्फ इसलिए वीआरएस लेने का कानूनी हक नहीं मिल जाता कि उसे इसके एवज में कुछ अतिरिक्त वित्तीय लाभ हासिल होगा।’ कोर्ट ने यह भी कहा है कि वरस का दावा तभी किया जा सकता है, जब कर्मचारी सेवा में हो, न कि पेंशन पात्रता के बाद।
मामला यह था कि एनटीसी के कर्मचारी एमआर जाधव ने VRS योजना के तहत मई २००० में आवेदन किया था। एनटीसी ने वित्तीय समस्याओं का हवाला देते हुए सितंबर २००० में जाधव को स्वैच्छिक सेवालिवृति देने में असमर्थता जताई थी। जाधव ने २००१ में पेंशन पात्रता हासिल कर ली थी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जाधव के दावे को सही ठहराते हुए एनटीसी को उसे सेवानिवृति देने के निर्देश दिए थे। एनटीसी ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
27 April, 2008
रिटायर्ड कर्मचारी बैंकों के एजेंट बन सकेंगे
दैनिक जागरण में आयी ख़बर के अनुसार, दिशानिर्देश में केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बैंक शाखा से 15 किलोमीटर की दूरी के भीतर ही एजेंट्स काम करेंगे। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि भौगोलिक स्तर पर भारत इतना विशाल है कि हर जगह बैंक शाखा खोलना मुमकिन नहीं है। इसलिए हर गांव में बैंक सेवा पहुंचाने के लिए एजेंट्स की मदद लेनी होगी। सभी बैंकों को यह भी निर्देश दिया गया है कि एजेंट्स या Business Correspondent की नियुक्ति और उनके काम करने के तरीके को लेकर वे अपनी नीति बनाएंगे। बैंकों को यह भी कहा गया है कि अगर कामकाज को लेकर कोई समस्या उत्पन्न होती है तो इसकी जानकारी तत्काल शीर्ष स्तर पर दी जाएगी।
23 April, 2008
LTC में अब टूर पैकेज शामिल
गर्मियों में स्कूलों में छुट्टियाँ होने के कारण ज्यादातर कर्मचारी मई-जून में एलटीसी की सुविधा लेते हैं। जिसके चलते 30-40 फीसदी कर्मचारी गर्मियों में छुट्टियों पर चले जाते हैं। यह नई सुविधा जोड़े जाने से प्रतिशत और बढ़ेगा। केंद्र की इस पहल का लाभ राज्यों को भी मिलेगा। मूलत: राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों के लिए केंद्र के अनुरूप नियम बनाती हैं। कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी एक ताजा आदेश के अनुसार केंद्रीय कर्मचारी भारतीय पर्यटन विकास निगम (Indian Tourist Development Corporation) , राज्य पर्यटन विकास निगम (State Tourist Development Corporation) तथा भारतीय रेलवे कैटरिंग तथा पर्यटन विकास निगम (Indian Railway Catering and Tourist Development Corporation) द्वारा तैयार किए जाने वाले टूर पैकेजों को भी एलटीसी में शामिल करने की सहमति प्रदान की है। कर्मचारियों से कहा गया है कि वे इन संस्थानों के टूर पैकेज लेकर एलटीसी पर जा सकते हैं लेकिन क्लेम लेते वक्त उन्हें टूर पर जाने का आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
पिछले कुछ समय से सरकार कर्मचारियों के सैर सपाटे का विशेष ध्यान रख रही है। इसके तहत कर्मचारियों को एलटीसी में हवाई यात्रा की सुविधा भी प्रदान की जा चुकी है। निचले स्तर के कर्मचारी जो रेल में प्रथम श्रेणी की यात्रा के हकदार नहीं हैं, उन्हें यह सुविधा दी गई है कि वे प्रथम श्रेणी से यात्रा कर सकते हैं, बशर्ते की स्वीकृत किराए से बाकी राशि वह खुद वहन करें। इसके साथ ही पूर्व में कर्मचारियों को पीएफ की राशि से तीर्थाटन करने की अनुमति दी जा चुकी है। लेकिन इस सब प्रक्रिया में एक ही गड़बड़ यह होती है कि ज्यादातर कर्मचारी एलटीसी का पैकेज गर्मियों की दो महीनों की छुट्टियों के दौरान लेते हैं जिस कारण 30-40 फीसदी कर्मचारियों के एकाएक छुट्टी पर जाने से सरकारी कामकाज प्रभावित होता है।
22 April, 2008
प्रधानमंत्री, उचित वेतनमान के पक्ष में
लोक सेवा दिवस के मौके पर नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में सोमवार, २१ अप्रैल को वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि मैं चाहूंगा कि प्रशासनिक और रक्षा सेवाओं को उचित तरीके रिवार्ड मिले। उन्होंने कहा कि मेरा यह भी मानना है कि जब तक हम अपनी जनता के बेहतर हित में कुशलतापूर्वक काम करते रहेंगे, करदाता हममें किसी को भी बेहतर पारिश्रमिक देने में अनिच्छा नहीं दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मियों की शिकायतों को सुनने और उन्हें दूर करने के लिए सरकार द्वारा पहले ही एक प्रणाली शुरू की जा चुकी है।
गौरतलब है कि वेतन आयोग की सिफारिशों की आलोचना को देखते हुए सरकार ने कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय आधिकारिक समिति के गठन की पिछले सप्ताह घोषणा की थी। सिंह ने काम में सुधार के साथ कार्य की शर्तो में सुधार की वकालत करते हुए कहा सरकार अपने सभी कर्मचारियों के कल्याण के लिए समान रूप से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि साथ ही मैं लोक सेवकों से उच्च स्तर के अनुशासन और मर्यादा की अपेक्षा करूंगा।
21 April, 2008
छठे वेतन आयोग द्वारा दिए सुझावों के क्रियान्वयन हेतु, प्रकोष्ठ गठित
मीडिया में आयी जानकारी के अनुसार आधा दर्जन सदस्यों यह इकाई, व्यय विभाग में बनायी जाएगी। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कार्यान्वयन प्रकोष्ठ की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। खबरों पर भरोसा किया जाए तो प्रकोष्ठ की स्थापना के जरिये सरकार यह संदेश देने की कोशिश में है कि उसकी दिलचस्पी वेतन अयोग की 'संशोधित' सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू करने में है। न कि राजनैतिक फायदे के लिए इसे चुनावों तक टालने में।
पिछले हफ्ते एक दर्जन सचिवों की समिति गठित करने के कैबिनेट के फैसले को कर्मचारी और अधिकारी मान रहे थे कि समिति का रास्ता सरकार ने सिफारिशों पर उठे बवंडर से फौरी तौर पर बचने के लिए अपनाया था। आईपीएस एसोसिएशन ने तो साफ कह दिया था कि इस तरह की समिति किसी सकारात्मक नतीजे पर नहीं पहुंचती है। कर्मचारियों की शिकायतें जस की तस बनी रह जाती हैं। अब कार्यान्वयन प्रकोष्ठ स्थापित कर सरकार यही शंका दूर करने की कोशिश में है। सरकार यह संदेश देना चाहती है कि प्रकोष्ठ को अपना काम पूरा करने के लिए भले ही छह महीने का समय दिया गया हो लेकिन वह संशोधित रिपोर्ट मिलते ही इसे जल्द से जल्द से निपटाने में जुटेगा।
एक अधिकारी के अनुसार वेतन आयोग की रिपोर्ट की विसंगतिया दूर करने में ही अभी लंबी चौड़ी कवायद होनी है। अमल करने की बात तो अभी कोसों दूर है। गौरतलब है कि आईपीएस, आईएफएस, आईआईएस और सेना के अधिकारियों ने पहले कह दिया है कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली प्रोसेसिंग समिति को उनकी हर दलील सुननी पड़ेगी।
19 April, 2008
कोल इंडिया ने अंतरिम राहत का आदेश दिया
इस राशि को सैलरी सीट में अलग से दर्शाने का निर्देश भी दिया गया है। जुलाई 06 से मार्च 08 तक के एरियर का भुगतान दो किस्त में करने को कहा गया है। पहला दुर्गा पूजा से पहले एवं दूसरा 31 जनवरी 09 तक। भुगतान की तिथि बाद में घोषित करने की बात कही गयी है। दी जाने वाली राशि पर दो फीसदी की दर से सीएमपीएफ-पीएफ काटने की बात भी कही गयी है। ग्रेच्युटी और लीव बेनीफीट एवं अन्य वैधानिक कटौती भी की जायेगी। इस राशि पर अन्य भत्तों की गणना नहीं होगी। यह राशि एनसीडब्ल्यूए-8 के फाइनल एग्रीमेंट के बाद एडजस्ट भी की जायेगी। उक्त आदेश के आलोक में सीसीएल के डीजीएम धु्रव कुमार ने सभी सीजीएम, जीएम एवं संबंधित अधिकारी को सूचित कर दिया है।
कोयला कामगारों के वेतन समझौते की अवधि भी बढ़ती गयी। शुरू में यह चार साल की अवधि के लिए ही होता था। शुरुआती तीन समझौतों तक यह जारी रहा। इसके बाद श्रमिक प्रतिनिधि की सहमति से प्रबंधन ने इसकी अवधि बढ़ाकर साढ़े चार वर्ष कर दी। तुरंत बाद इसकी अवधि बढ़ाकर पांच वर्ष कर दी गयी। सातवें वेतन समझौते से प्रबंधन दस साल का एग्रीमेंट करने का प्रयास कर रहा है। हालांकि श्रमिक प्रतिनिधि इस पर सहमत नहीं हो रहे हैं। प्रतिनिधियों का कहना है कि कम अवधि का वेतन समझौता कामगार हित में होता है। इस बार प्रबंधन के साथ कुछ कामगार भी दस साल का वेतन समझौता चाह रहे हैं। हालांकि श्रमिक संगठन पांच साल के समझौते का अल्टीमेटम भी दे चुके हैं।
12 April, 2008
वेतन आयोग सिफारिशों की छानबीन
कैबिनेट सचिव के।एम. चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली सचिवों की अधिकार संपन्न समिति छठे वेतन आयोग की सिफारिशों की छानबीन कर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी, जिसके बाद मंत्रिमंडल अंतिम निर्णय लेगा। न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्ण की अध्यक्षता वाले छठे वेतन आयोग ने गत 24 मार्च को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
सचिवों की समिति तय करेगी कि वेतन आयोग की सिफारिशों को किस तरह लागू किया जाए। समिति आयोग की सिफारिशों की पड़ताल के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी जिसके बाद मामला फिर मंत्रिमंडल के समक्ष आएगा। सरकार छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू करना चाहेगी।
09 April, 2008
सेना और पुलिस ने वेतन आयोग की कई विसंगतियाँ दूर कराईं
देश में सेना, रेलवे यूनियन और सीएसएस ऐसोसिएशन तीनों की ताकत का लोहा सब मानते हैं, इसलिए इन तीनों की सुन ली गई है। हालांकि सेना की तरफ से रक्षा मंत्री एके एंटनी ने जो प्रस्ताव दिया है उसके हिसाब से वेतनमान में संशोधन अलग से होना है। सेना अधिकारियों की धमकी और रक्षा मंत्री की वकालत के बाद वित्त मंत्रालय ने अंतिम वर्ष ट्रेनिंग ले रहे प्री-कमीशन अधिकारियों को भी पीबी-3 यानी ग्रुप-ए सेवा के बराबर रख दिया है। अब उन्हें 15600-5400 अर्थात कुल 21000 हजार रूपए वेतनमान मिलेगा। ट्रेनिंग के दौरान उन्हें 6000 रूपए सेना भत्ता नहीं दिया जाएगा। उन्हें 8000 रूपए प्रतिमाह स्टाइपेंड देने की सिफारिश की गई थी।
वेतन आयोग ने ऑनरेरी कैप्टन को 2900 के पे-बैंड में रखा था जिससे उनमें भारी रोष था। इन समूह के अधिकारियों को 2600 रूपए की बढ़ोतरी देते हुए अधिकारियों को 5700 के पे-बैंड में रख दिया गया है। अब इनका वेतनमान 29970 रूपए होगा। इसके अतिरिक्त सभी को 6000 रूपए का सेना भत्ता मिलेगा। लेफ्टिनेंट, सब-लेफ्टिनेंट और फ्लाइंग अधिकारी के वेतनमानों में संशोधन किया गया है। 14360 के वेतनमान को 15600, 14880 को 15990, 15400 को 15990, 15930 को 16390 कर दिया गया है लेकिन इससे अधिक के वेतनमानों को कम कर दिया गया है। 16450 को 16390, 16970 को 16800 तथा 17490 को घटाकर 17270 कर दिया गया है। यहां पर स्पष्टीकरण है यह कि इस समूह के लोग कैप्टन, लेफ्टिनेंट और फ्लाइंग लेफ्टिनेंट हो जाएंगे। उन्हें 18490 का वेतनमान मिलना था जो अब बढ़ाकर 19190 कर किया गया है। मेजर, लेफ्टिनेंट कमांडर और स्क्वाड्रन लीडर के वेतनमान 23540 को बढ़ाकर 24540 रूपए कर दिया गया है।
सीएसएस एसोसिएशन ने बड़ी यूनियनबाजी से अपनी तनख्वाह और वेतनमान बढ़वाया था लेकिन छठे वेतन आयोग ने उसे बराबर कर दिया था। इससे सीएसएस वाले नाराज थे और वे आंदोलन की धमकी दे रहे थे। वित्त मंत्रालय ने उनकी विसंगतियों को दूर कर दिया है। अब जो सेक्शन ऑफिसर चार साल का कार्यकाल पूरा करेंगे, उन्हें 5400 का पे-बैंड मिलेगा। यह पहले 4800 किया हुआ था। यह लाभ इसी स्केल पर काम कर रहे दूसरी सेवा के अधिकारियों को नहीं मिलेगा। भारतीय सूचना सेवा के ग्रुप बी के अधिकारी इसी स्केल पर थे लेकिन अब वे नीचे आ गए हैं।
आयोग ने पुलिस को मिलने वाली वर्दी की शुरूआती ग्रांट को 13000 रूपए से बढ़ाकर 14000 रूपए कर दिया है। प्रत्येक तीन साल में मिलने वाली रिन्यूअल ग्रांट को छह हजार से कम कर तीन हजार किया गया है। वेतन आयोग ने स्पष्ट किया है कि पे-बैंड-1 में डी समूह के वही लोग जाएंगे जो न्यूनतम योग्यता रखतें हों अन्यथा वे तब तक पुराने समूह में बने रहेंगे जब तक कि योग्यता हासिल न कर लें।
इसके अलावा रात को ड्यूटी करने करने वाले रेलवे कर्मचारियों का भत्ता बढ़ाया जाएगा। इस बाबत विचार विमर्श जारी है।
वेतन आयोग की मार, अब बच्चों की शिक्षा पर
फेडरेशन ऑफ पब्लिक स्कूल के चेयरमैन आर. पी. मलिक का कहना है कि जितनी लोगों की तनख्वाह बढ़ेगी, उसी हिसाब से महंगाई भी बढ़ेगी और इसका असर स्कूल, शिक्षकों और पालकों पर भी पड़ेगा। उनका कहना है कि इस बार छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हो रही हैं, इसलिए सभी स्कूलों ने छात्रों की फीस 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला किया है।
कुछ स्कूलों ने 40 प्रतिशत तक फीस बढ़ा दी है। बाकी बढ़ाने वाले हैं। वैसे भी हर साल स्कूलों में 8 से 10 प्रतिशत तक फीस बढ़ती है। इस बार छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक सैलरी पैकेज काफी बढ़ाना पड़ेगा। ऐसे में बढ़े हुए खर्चों को निकालने के लिए बच्चों की फीस बढ़ानी पड़ेगी। बढ़ोतरी कितने प्रतिशत होगी इस बारे में स्केल का पता लग जाए तभी कुछ कहा जा सकता है।
डीपीएस, आर के पुरम की प्रिंसिपल श्यामा चोना कहती हैं कि वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक तनख्वाह बढेगी , तो फीस बढ़ेगी ही। मगर अभी हमारे पास इस संबंध में सीधी कोई सूचना नहीं आई है, इसलिए अभी कुछ कह नहीं सकते हैं, मगर फर्क तो जरूर पड़ेगा।
डॉन बॉस्को पब्लिक स्कूल, अलकनंदा में ग्यारहवीं में पढ़ने वाले एक स्टूडेंट की मां का कहना था कि इस बार तीन महीने की फीस और दो माह का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज मिलाकर उन्हें 10 हजार रुपये स्कूल में जमा कराने पड़े हैं, जबकि इससे पहले तक ग्यारहवीं क्लास के बच्चों को आठ हजार रुपये भुगतान करना पड़ता था। एक पब्लिक स्कूल में प्री प्राइमरी में पढ़ रही एक स्टूडेंट के पिता के अनुसार, उन्हें इस बार तीन महीने के लिए 3990 रुपये और ट्रांसपोर्टेशन के 600 रुपये जमा कराने पड़े हैं, जबकि पिछले सेशन में इस क्लास की फीस इतनी नहीं थी।
04 April, 2008
सेना की नाराजगी, वेतन आयोग के लिए
रक्षा मंत्री एके एंटनी द्वारा बुलाई गई इस बैठक में वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल फली होमी मेजर व थलसेना के डिप्टी चीफ समेत तमाम अधिकारियों का कहना था कि सैन्य अधिकारियों को सिविल व पुलिस अधिकारियों के मुकाबले कम करके आंका गया है जबकि इनका कार्य ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है। इसके अलावा कम अधिकारी ही ऊंचे स्तर पर पहुंच पाते हैं। इसके जवाब में आयोग का कहना था कि उन्होंने रैंक वेतन में ऐसी व्यवस्था की है कि पदोन्नत न होने के बावजूद वेतन बढ़ता रहे। इसके अलावा निचले स्तर पर सैनिकों को एक समय के बाद अर्द्धसैनिक बलों में भेजने की भी सिफारिश की है। आयोग का कहना था कि अगर अलग-अलग सेवाएं समान पदों को लेकर इस तरह से तुलना करेंगी तो दिक्कत खड़ी हो जाएगी।
आयोग के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने पहली हार मिलिट्री सर्विस पे को मंजूरी दी है। इसे न केवल वेतन का भाग माना जाएगा बल्कि पेंशन तय करते हुए भी इसे आधार बनाया जाएगा। सैन्य अधिकारियों ने कहा कि सैनिकों के लिए यह कम से कम तीन हजार किया जाना चाहिए। आयोग ने सैनिकों के लिए एक हजार तो अधिकारियों के लिए छह हजार रुपये मिलिट्री सर्विस पे तय की है।
एंटनी ने बैठक में कहा कि आयोग के सदस्यों व सैन्य अधिकारियों के आमने-सामने अपनी बात रखने से अब स्थिति साफ हो रही है। अब आयोग की सिफारिशों में सुधार को लेकर जो संशोधन भेजे जाने हैं वह रक्षा मंत्रालय तैयार करके वित्त मंत्रालय के पास भेज देगा। माना जा रहा है कि वित्त मंत्रालय आयोग की सिफारिशों में कुछ सुधारों को स्वीकार कर सकता है।
02 April, 2008
इलाज पर ज्यादा खर्च किया तो भुगतान नहीं
मामले के अनुसार कर्नाटक के टैक्स विभाग और राजस्थान के न्यायिक विभाग के दो कर्मचारियों ने क्रमश्र: दिल और गुर्दे की बीमारी का इलाज निजी अस्पतालों में करवाया। दिल के मरीज के बाइपास सर्जरी पर खर्च 150,600 रुपये आया। लेकिन रिइंबर्समेंट पर सरकार ने उसे 39,207 रुपये ही दिए। इसी प्रकार दिल्ली के बत्रा अस्पताल में गुर्दा बदलवाने का खर्च आया 2.11 लाख रुपये लेकिन राज्य सरकार ने भुगतान किया सिर्फ 50,000 रुपये। गुर्दे के मरीज को एम्स में रेफर किया गया था लेकिन बिस्तर उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्होंने इमरजेंसी में बत्रा अस्पताल में इलाज करवाया। कम भुगतान मिलने के खिलाफ दोनों कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में रिट दायर की। कर्नाटक और दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाएं स्वीकार कर लीं और सरकारों को आदेश दिया कि कर्मचारियों को इलाज पर आए वास्तविक खर्च का भुगतान किया जाए। इस आदेश का राज्य सरकारों ने चुनौती दी थी।
छठवें वेतन आयोग से वन सेवा के अधिकारी नाराज
आईएफएस एसोसिएशन के महासचिव एस.के. चड़ढा ने बताया कि 18-20 साल की सेवा पूरी कर आईएफएस अफसर वन संरक्षक बनता है। इस पद का सुपरटाइम स्केल अभी 16400 से शुरू होता है। लेकिन आयोग ने इस स्केल को घटाकर 15600 करने की सिफारिश की है। जबकि 14 साल की सेवा पूरी करने के बाद आईएएस अधिकारी का सुपरटाइम स्केल अभी 18400 है जिसे बढ़ाकर 39200 रुपये करने की सिफारिश की गई है। इससे दोनों सेवाओं के अफसरों के वेतन स्केल में दोगुने से भी ज्यादा का अन्तर हो गया है।
इसी तरह प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फारेस्ट (पीसीसीएफ) का मौजूदा स्केल 24050-26000 है। इस पद पर आईएफएस अफसर अपने कार्यकाल के अंतिम चार-पांच सालों में पहुंचते हैं। 2-3 साल की सेवा के बाद अफसर 26 हजार रुपये के स्केल तक पहुंच जाते हैं जो अभी भारत सरकार के सचिव के बराबर का स्केल है। लेकिन नई सिफारिशों में इस स्केल को बढ़ाकर 39200-67000 में रखा गया है तथा १३००० के पे ग्रेड का प्रावधान किया गया है। लेकिन 13 हजार के पे ग्रेड को पाने में अफसरों को कम से कम 12 साल इस पद पर कार्य करना होगा। जबकि जो अफसर इस पद पर पहुंचते हैं उनकी सर्विस के सिर्फ 4-5 साल ही बचे होते हैं। इसका परिणाम यह होगा कि इस सेवा के अफसर भविष्य में सचिवों की भांति 80 हजार रुपये तक का वेतनमान नहीं हासिल कर पाएंगे। जबकि अभी वे इस पद पर आने के बाद 3 साल के भीतर सचिव के बराबर वेतन पाने में सफल रहते हैं। एसोसिएशन का कहना है कि छठे वेतन आयोग ने सिर्फ आईएएस अफसरों का ध्यान रखा है।