30 September, 2008
रेल कर्मियों को इस साल 72 दिन का बोनस
27 September, 2008
वेतन विसंगतियों पर IPS भी खफा
नए वेतनमान स्वीकाने से फौज का इनकार!?
बोनस राशि कम देने पर श्रमिक संगठनों में उबाल
मालूम हो कि पिछले वर्ष कर्मियों को 7000 रुपये का भुगतान किया गया था। लेकिन इस वर्ष 6500 रुपये बोनस निर्धारित करने से पांचों यूनियनों में खलबली मच गयी है। इतनी कम बोनस की राशि के निर्धारित होने से ही इंटक, एचएमएस, सीटू, एटक एवं बीएमएस के बैनर तले श्रमिकों ने आईएसपी के मुख्यालय में भारी संख्या में उपस्थित होकर आईएसपी के जीएम मिहिर कुमार राउत को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान मांग की गयी कि इस वर्ष की बोनस की राशि को बढ़ा कर 7300 किया जाय। इस संबंध में एचएमएस के बर्नपुर शाखा महासचिव मुमताज अहमद ने बताया कि विगत वर्ष कर्मचारियों की बोनस राशि 7000 थी। मगर उसे तीन किश्तों में दिया गया था। पहले 5400 रुपये उसके बाद उसी माह में ही 800 रुपये तथा दूसरे महीने में 800 रुपये दिये गये थे। मगर आईएसपी प्रबंधन के भूल के कारण सिर्फ 6200 रुपये का ही रिकार्ड SAIL के पास भेजा गया था। श्री अहमद ने कहा कि SAIL द्वारा इस वर्ष सभी इस्पात संयंत्र को 300 रुपये बढ़ा कर दिये गये है। श्री अहमद ने कहा कि हमारी मांगों के समर्थन में जो ज्ञापन सौंपा गया है। उसे प्रबंधन ने स्वीकार कर लिया है। इस मुद्दे पर सकारात्मक कदम उठा कर लिया है और फिर से नया रिकार्ड भेजने का आश्वासन दिया है। ज्ञापन सौंपे जाने के दौरान सीटू के महासचिव विमल दत्ता, इंटक के महासचिव हरजीत सिंह, बीएमएस के महासचिव रामहिलिस राय, एचएमएस के मुमताज अहमद, एटक के उत्पल सिन्हा ने भी मौजूद होकर कम बोनस की राशि का विरोध किया एवं इसे बढ़ाने की मांग की।
25 September, 2008
सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतनमान पर राव समिति की रिपोर्ट मंजूर नहीं
24 September, 2008
छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों और पेंशनरों को अंतरिम राहत का आदेश
अंतरिम वेतन की राशि का समायोजन पुनरीक्षित वेतनमान के एरियर्स से किया जाएगा। पेंशनरों को सितम्बर 2008 की पेंशन जो अक्टूबर में देय है उसमें मूल पेंशन और महंगाई पेंशन की 10 प्रतिशत राशि अंतरिम राहत में रूप में दी जाएगी।
17 September, 2008
केंद्र सरकार ने महिला कर्मचारियों को दोहरा तोहफा दिया
कुछ ख़ास बातें हैं:
- महिला कर्मचारियों को 2 बच्चों के लिए 135 दिनों की जगह 180 दिनों की मैटरनिटी अवकाश मिलेगा।
- बच्चों की देख-भाल के लिए पूरे सेवाकाल में कभी भी दो साल (730 दिन) की सवेतन अवकाश ले सकेंगी।
- शिशु लालन-पालन अवकाश में कर्मचारी की वरिष्ठता भी प्रभावित नहीं होगी।
- एक बच्चा हो तो भी ले सकते हैं दो साल की छुट्टी। खास बात यह कि ये छुट्टियां मैटरनिटी अवकाश से अलग होंगी।
- इस तरह अगर दोनों छुट्टियां साथ ली जाएं, तो एक साथ ढाई साल तक बच्चों के साथ रह सकती हैं।
- महिलाएं ये छुट्टियां बच्चों के 18 साल के होने तक कभी भी ले सकेंगी। वजह कोई भी हो सकती है, बच्चों के इम्तिहान हों या उनकी बीमारी।
16 September, 2008
सितम्बर के वेतन के साथ अंतरिम राहत
आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि अंतरिम राहत की यह राशि न तो वेतन के रूप में समझी जाएगी और न ही भत्ते या मजदूरी के रूप में। यह राशि किसी भी सेवा लाभ अर्थात मकान किराया भत्ता, प्रतिपूर्ति भत्तों, वेतन नियमन, अवकाश नदगीकरण, पेंशन एवं ग्रेच्युटी आदि की संगणना करने के लिए नहीं गिनी जाएगी। अंतरिम राहत की राशि का समायोजन पुनरीक्षित वेतनमान के एरियर से दिया जाएगा। यह राशि वेतन मद से विकलनीय होगी।
13 September, 2008
एरियर पर आयकर में कमी संभव!
वहीं दूसरी ओर चालू वित्त वर्ष के दौरान पूरे अथवा 40 फीसदी एरियर पर टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) को लेकर आयकर विभाग को वर्ष 1999 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी एक फैसला हाथ लगा है। इस फैसले के जरिए पूरे एरियर को टैक्स के दायरे में लाने का पक्ष लिया गया है। जहां तक एरियर के मामले में टैक्स बोझ हल्का करने की बात है, उसके लिए धारा 89-1 का विकल्प सामने है। इसके तहत चालू वित्त वर्ष सहित पिछले तीन वित्त वर्ष के दौरान बगैर एरियर और एरियर सहित आयकर बोझ निकाला जाएगा।
इन सभी सालों के लिए एरियर सहित टैक्स बोझ में एरियर रहित टैक्स बोझ को घटा दिया जाएगा। चालू वित्त वर्ष के दौरान हासिल अंतर में पिछले तीन सालों के अंतर को जोड़कर घटा दिया जाएगा। इससे प्राप्त राशि को चालू वित्त वर्ष में देय समग्र टैक्स में घटाया जाएगा। यही देय टैक्स होगा।
यह रास्ता इसलिए अपनाया जा रहा है क्योंकि बीते सालों में सरकारी नहीं अदा की गई देय राशि पर ब्याज लागू न किया जाए, अन्यथा इसे कर्मचारियों के साथ अन्याय माना जाएगा। इस प्रकार की गणना से बहुत से कर्मचारी आयकर दर के ऊंचे स्लैब में जाने और अधिभार यानी सरचार्ज देने से बचने की संभावना बनेगी।
वहीं दूसरी ओर आयकर विभाग के हाथ सुप्रीम कोर्ट की ओर से 26 अक्टूबर, 1999 को जारी एक फैसला हाथ लगा है। इसके मुताबिक पेबल यानी देय राशि की व्याख्या आयकर कानून की मंशा के मुताबिक ही की गई है। मतलब यह एरियर चाहे वह किसी खास वर्ष में अदा किया गया हो अथवा नहीं, उसी खास वर्ष के दौरान ही कर दायरे में ही आएगा।
(दैनिक हिन्दुस्तान में विकास द्विवेदी की शब्दश: रिपोर्ट)
11 September, 2008
दिल्ली नगर निगम, छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर रहा
श्री गुप्ता ने बताया कि ये सिफारिशें एक जनवरी 2006 से लागू होगी लेकिन इस साल बकाया राशि का 40 फीसद ही दिया जाएगा। जबकि अगले साल बाकी रकम दी जाएगी।
10 September, 2008
फिलहाल 20 प्रतिशत अंतरिम राहत
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कर्मचारियों को छठा वेतनमान देने का मामला आनन फानन में एक्स एजेंडा के रूप में लाया गया। छठे वेतनमान के संबंध में राज्य सरकार की पूरी तैयारी न होने के कारण एक मुश्त बीस फीसदी अंतरिम राहत देने का निर्णय लिया गया।
08 September, 2008
निजी स्कूलों ने 20 से 30 प्रतिशत तक फीस बढ़ाने की तैयारी कर ली
कई निजी स्कूल अपने शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकार के समान वेतन देते हैं। इन स्कूलों का तर्क है कि नया वेतन आयोग लागू होते ही इन्हें अपने शिक्षकों को भी नया वेतनमान देना होगा। कई स्कूलों ने इसी आधार पर सत्र के बीच ही फीस बढ़ाने का नोटिस अभिभावकों को थमा दिया है। सरकार के हिसाब से वेतनमान देने वाले निजी स्कूल मुट्ठी भर हैं, लेकिन फीस बढ़ाने में कोई भी स्कूल पीछे नहीं रहने वाला है। निजी स्कूलों में फीस वृद्धि पर राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्थगनादेश दे रखा है। निजी स्कूल इसी का फायदा उठा कर फीस में वृद्धि कर लेना चाहते हैं। वैसे इन स्कूलों को दस प्रतिशत तक प्रतिवर्ष फीस बढ़ाने की छूट मिली हुई है।
फीस वृद्धि की सबसे बड़ी मार निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों पर पड़ेगी। सरकारी कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ मिल रहा है, इसलिए वे इसे सहन कर लेंगे, लेकिन इन छह लाख सरकारी कर्मचारियों को छोड़ दें तो अन्य सभी लोग निजी क्षेत्र मे काम कर रहे हैं, जिनके लिए कोई वेतन आयोग नहीं है। फीस में यह वृद्धि सिर्फ स्कूलों में ही नहीं निजी कॉलेजों में भी होगी, क्योंकि अनुदानित कॉलेजों को तो सरकार के हिसाब से वेतनमान देना होता है, गैर अनुदानित कॉलेजों पर भी यूजीसी वेतनमान देने की बंदिश होती है। अनुदानित कॉलेजों के लिए सरकार ने पहले ही अनुदान में कटौती की हुई है।
05 September, 2008
कर्मचारियों को एक बच्चे की पढाई पर अब 1000 रुपये महीना भत्ता
पति, पत्नी दोंनों सरकारी कर्मचारी होने की स्थिति में किसी एक को ही बच्चों के शिक्षा भत्ते का लाभ मिलेगा। पढाई के दौरान बच्चों की हास्टल सुविधा के मामले में अधिकतम 3000 रुपये हास्टल सहायता दी जायेगी। यह सुविधा भी दो बच्चों के लिये ही होगी1 लेकिन हास्टल सुविधा के साथ शिक्षा भत्ता नहीं मिलेगा। नये आदेश के मुताबिक नये वेतन ढांचे में जब जब महंगाई भत्ता बढकर 50 प्रतिशत तक पहुंच जायेगा शिक्षा शुल्क भत्ते में अपने आप ही 25 प्रतिशत वृद्धि हो जायेगी। शिक्षा भत्ता पाने के लिये कर्मचारी को शिक्षा खर्च की स्वप्रमाणित मूल रसीद कार्यालय में देनी होगी उसी के आधार पर राशि जारी कर दी जायेगी।
योजना के तहत बच्चों की ट्यूशन फीस, दाखिला खर्च, प्रयोगशाला, कृषि, इलेक्ट्रानिक्स, संगीत तथा किसी अन्य विषय के लिये मांगी गई विशेष फीस का भी भुगतान शामिल होगा। किसी एक कक्षा के लिये पुस्तक और कापियों का एक सेट, वर्दी के दो सेट, एक जोडी जूते सभी कुछ इस शिक्षा भत्ते योजना के तहत मिलेगा। यह सब एक बच्चे के लिये अधिकतम सालाना 12000 रुपये की सीमा में ही होगा। योजना के तहत कर्मचारी हर तीन महीने में रकम पाने के लिये अपना दावा कर सकेंगे। प्रत्येक तिमाही में 3000 रुपये से अधिक अथवा कम राशि का दावा किया जा सकता है लेकिन सालभर में यह राशि 12000 रुपये से अधिक नहीं होगा।
04 September, 2008
नए वेतनमान के एरियर्स की कुल राशि पर, इसी साल ही टैक्स कट जायेगा!
सरकार के इस फैसले से ज्यादातर कर्मचारियों के 40 प्रतिशत बकाया की राशि टैक्स में ही कट जाएगी। इस फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान वरिष्ठ नौकरशाहों को होगा, क्योंकि उन्हें टैक्स के साथ सरचार्ज भी अदा करना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि सरचार्ज 10 लाख या इससे ज्यादा की आय पर लगता है।
अपडेट-1: नवभारत टाइम्स की ख़बर आयी है कि केंद्रीय कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी के बाद उनकी बकाया (एरियर) राशि पर पूरा इनकम टैक्स काटने पर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। प्रस्ताव है कि इसी साल पूरी बकाया राशि पर इनकम टैक्स लिया जाए। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के उच्चाधिकारी के अनुसार अभी इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है। उम्मीद है कि अगले महीने तक इस पर निर्णय ले लिया जाएगा। इसके बाद सीबीडीटी नोटिस जारी करेगी।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार कोशिश यह की जा रही है कि बकाया राशि की पहली किस्त दीपावली से पहले केंदीय कर्मचारियों को दे दी जाए। दूसरी किस्त अप्रैल या मई में दी जाए। पूरी बकाया राशि पर इनकम टैक्स काटने पर यह समस्या सामने आ रही है कि इनकम टैक्स की दर औसतन 30 फीसदी की होगी। अगर बकाया राशि में 30 फीसदी का इनकम टैक्स काट दिया जाए, तो कर्मचारियों पहली किस्त में अनुमान से काफी कम राशि मिलेगी।
इनकम टैक्स विशेषज्ञ रघु मारवाह का कहना है आयकर कानून के तहत सरकार चाहे तो बकाया राशि पर पूरा इनकम टैक्स ले सकती है। बेशक यह राशि एक साल या चार साल बाद कर्मचारियों को दी जाए।
अपडेट-2: दैनिक भास्कर की ख़बर है - केंद्र ने बुधवार को स्पष्ट कहा है कि छठे वेतन आयोग के तहत इस वित्त वर्ष में मिलने वाले 40 फीसदी एरियर पर ही आयकर काटा जाएगा। एक वर्ग पूरे एरियर पर आयकर काटे जाने की बात कर रहा था। इसलिए एरियर पर आयकर को लेकर कर्मचारियों में संशय की स्थिति बन गई थी। सरकार द्वारा पिछले माह जारी अधिसूचना के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में केंद्रीय कर्मचारियों को बकाया वेतन का 40 फीसदी भुगतान किया जाना है। बाकी राशि अगले वित्त वर्ष दी जाएगी।
03 September, 2008
सशस्त्र बल छठे केंद्रीय वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के इच्छुक नहीं
समाचारों में कहा गया है कि प्रस्तुतीकरण देखने के बाद रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सशस्त्र बलों को भरोसा दिलाया है कि वह ‘विसंगितयों’ को सरकार के समक्ष रखेंगे और उन्हें दूर करने के लिए विचार करेंगे। सीआ॓एससी के अध्यक्ष और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरेश मेहता की रक्षा मंत्री एके एंटनी के साथ गत शुक्रवार शाम हुई बैठक के चलते यह प्रस्तुतीकरण दिया गया। ‘विसंगतियां’ दूर नहीं होने के कारण सरकारी आदेश पर रोक चाहने के लिए सीपीसी की रिपोर्ट अधिसूचित किये जाने के कुछ ही घंटे पहले मेहता ने एंटनी से मुलाकात की थी।
01 September, 2008
संशोधित वेतन ढांचा लागू होते ही बच्चों के शिक्षा भत्तों में होगी बढ़ोत्तरी
बच्चों की पढ़ाई पर भारी खर्च का बोझ उठाते केंद्र सरकार कर्मचारियों को संशोधित वेतन ढांचा लागू होते ही काफी राहत मिल जाएगी। संशोधित वेतन ढांचा 1 सितम्बर से लागू होने जा रहा है। जहां एक ओर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन औसतन 21 फीसदी तक बढ़ जाएंगे, वहीं बच्चों का शिक्षा भत्ता और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। संशोधित वेतन ढांचे पर अधिसूचना जारी हो चुकी है। जारी अधिसूचना के मुताबिक केंद्र सरकार के कर्मचारी चिल्ड्रेन एजुकेशन एलाउंस के तहत प्रति माह हर बच्चे पर खर्च की गई अधिकतम 1000 रुपये की राशि ले सकेंगे। हालांकि यह अधिकतम दो बच्चों तक सीमित है। इसके अलावा प्रत्येक बच्चे पर हास्टल सब्सिडी की सीमा मौजूदा 300 रुपये से बढ़ाकर 3000 रुपये प्रति माह कर दी गई है।
अधिसूचना में कहा गया है कि इसके अलावा संशोधित वेतन ढांचे पर महंगाई भत्ता मूल वेतन का 50 फीसदी होते ही उक्त पुनर्भुगतान स्वत: ही 25 फीसदी तक बढ़ जाएंगे। मान लें कि एक कर्मचारी को 1000 रुपये मिल रहा है तो उसे प्रति बच्चा हर महीने 1250 रुपये मिलेगा और महंगाई भत्ता मूल वेतन का 50 फीसदी होते ही हास्टल सब्सिडी बढ़कर 3750 रुपये पहुंच जाएगी। संशोधित वेतन ढांचा 1 सितम्बर से लागू हो जाएगा जिसका मतलब है कि कर्मचारियों को सितंबर से बढ़ा हुआ वेतन मिलना शुरू हो जाएगा।
बकाया राशि का 40 फीसदी हिस्से का अगले महीने भुगतान कर दिया जाएगा। हालांकि यह संबंधित विभागों द्वारा बकाया राशि की गणना के लिए लगने वाले समय पर निर्भर करेगा।