अब सरकारी शिक्षक न तो ट्यूशन पढ़ा सकेंगे और न ही निजी स्कूलों में पार्ट टाइम काम कर सकेंगे। 8 अक्टूबर की शाम मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह के निवास पर हुई मंत्री समूह की बैठक में ‘बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार- विधेयक 2008’ के प्रारूप को मंजूरी दे दी गई है। यह बिल संसद के अगले सत्र में पारित किया जाएगा।
प्रस्तावित विधेयक में अन्य बातों के अलावा कुछ खास बातें भी हैं। विधेयक के अध्याय तीन की धारा 28 के मुताबिक कोई भी शिक्षक ट्यूशन नहीं दे सकता और न ही अपने को किसी निजी स्कूल के साथ बांध सकता है। शिक्षक की नौकरी डॉक्टर की तरह 24 घंटे की तरह मानी जाएगी। अभी शिक्षक स्कूलों में कम और अपने घरों या ट्यूटोरियल में ज्यादा पढ़ा रहे हैं। कुछ शिक्षक निजी स्कूलों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान किया जा रहा है।
10 October, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
असरकारी कैसे बने यह सरकारी तन्त्र.
ReplyDeleteहार गये सब ढूंढ कर, ऐसा प्यारा मन्त्र.
ऐसा कोई मन्त्र,प्राण भर दे मुर्दे में
नहीं शेष कोई शक्ति इसके गुर्दे में
कह साधक कवि,पथ में बाधा है सरकारी.
कैसे बन सकता है, सोचो अ-सरकारी .