28 November, 2007
नई पेंशन का पैसा बाजार में लगेगा
पहली जनवरी 2004 से लागू इस योजना का करीब 2000 रुपए का कोष इस समय केंद्र सरकार के खाते में पड़ा है जिस पर कर्मचारियों को आठ प्रतिशत की वार्षिक दर से ब्याज मिलता है जो बाजार में निवेश पर मिलने वाले संभावित प्रतिफल से कम बताई जा रही है।
नई पेंशन योजना के पैसे को बाजार में निवेश करने की व्यवस्था बनाने और कर्मचारियों के रिकॉर्ड रखने के लिए पीएफआरडीए ने राष्ट्रीय प्रतिभूति डिपाजिटरी लि. (एनएसडीएल) को केंद्रीय अभिलेख संरक्षक एजेंसी (सीआरए) के साथ कल एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
पीएफआरडीए मे अध्यक्ष डी स्वरूप और एनएसडीएल के प्रमुख सीबी भावे ने उम्मीद जताई की सीआरए पहली जून से केंद्र सरकार के कर्मचारियों के कोष के संबंध में अपना काम शुरू कर सकती है। उन्होंने कहा कि उसके साथ ही उनके पेंशन कोष के निवेश के पूरे प्रबंध कर लिए जाने की उम्मीद है।
बोनस पात्रता विधेयक पारित
इससे पहले बोनस अधिनियम 1965 में संशोधन करने वाले इस विधेयक पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री ऑस्कर फर्नांडीस ने कहा कि सरकार भी भवन निर्माण में लगे कामगारों के साथ-साथ खेतिहर मजदूरों एवं असंगठित क्षेत्र के अन्य कर्मियों को इसके दायरे में लाने को प्रतिबद्ध है।
मंत्री का कहना था कि उनके अस्थायी चरित्र के नियोजन के कारण उनकी पहचान सुनिश्चित करने में व्यावहारिक बाधाएँ हैं और सरकार नहीं चाहती कि उनकी पहचान का एक तंत्र बनाए बिना उन्हें बोनस कानून के दायरे में लाने की कागजी खानापूर्ति कर ली जाए।
बोनस की पात्रता के लिए साढ़े सात हजार रुपए या इससे कम मूल मासिक वेतन की दूसरे श्रम आयोग की शर्त को बढ़ाकर दस हजार रुपए कर देने की अपनी पहल को उन्होंने कामगारों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया।
20 November, 2007
भारतीय कर्मचारियों सबसे ज्यादा टैक्स देते हैं
इंटरनैशनल एचआर कंसल्टेंसी फर्म मर्सर ने दुनिया के 32 देशों में इंडिविजुअल टैक्स की तुलना करके सोमवार को रिपोर्ट जारी की। इसके लिए पर्सनल टैक्स स्ट्रक्चर, ऐवरेज सैलरी और मैरिटल स्टेटस को प्रमुखता से आंका गया। सर्वे से पता चला कि कुंआरे कर्मचारियों के मुकाबले शादीशुदा कर्मचारी कम टैक्स देते हैं। लेकिन सभी देशों में यह स्थिति नहीं है। भारत, ब्राजील और तुर्की में शादीशुदा कर्मचारियों को उतना ही टैक्स देना पड़ता है, जितना कुंआरे कर्मचारियों को।
नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार दुनिया में कुंआरे कर्मचारियों से सबसे कम टैक्स लेने वालों में सऊदी अरब के बाद रूस (13 % ), हांगकांग (14.2 % ), ताइवान (14.6 % ) और सिंगापुर (16.4 % ) हैं। एशिया की लिस्ट में भारत का नंबर सबसे नीचे है यानी बाकी एशिया देशों के मुकाबले भारत में कर्मचारी ज्यादा टैक्स देते हैं। ग्लोबल लिस्ट में भारत के कुंआरे एम्प्लॉई 14वें नंबर पर, शादीशुदा (बिना बच्चे वाले) 20वें नंबर पर और दो बच्चे वाले शादीशुदा कर्मचारी 22वें नंबर पर हैं। हंगरी (30वां नंबर) में 48.5 % , डेनमार्क (31वां नंबर) में 48.6 % और बेल्जियम (32वां नंबर) में 50.5 % टैक्स और सामाजिक सुरक्षा योगदान ग्रॉस इनकम से वसूला जाता है।
16 November, 2007
रिटायर होने की उम्र बढ़ाने की तैयारी में सरकार!
हाल के दिनों में विभिन्न मुद्दों पर यूपीए-लेफ्ट रिश्तों में खटास आती रही है। इनमें भारत-अमेरिका परमाणु करार का मसला भी शामिल रहा है। रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने के तरीके को लागू करने पर अभी कार्मिक और वित्त मंत्रालय में काम चल रहा है। इसकी औपचारिक घोषणा बजट में किए जाने की संभावना है। नवभारत टाइम्स में छ्पी खबर के अनुसार अगर इसे लागू किया गया, तो इसका फायदा सभी सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा। रेलवे और पोस्टल जैसे डिपार्टमेंट के कर्मचारियों के अलावा पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को भी इसका फायदा मिल सकता है।
11 November, 2007
दफ्तर में हंसी-मजाक से सुधरती है परफॉरमेंस
अमेरिकी रिसर्चरों के मुताबिक दफ्तर और काम की अन्य जगहों पर हल्के- फुल्के हंसी-मजाक से न सिर्फ कर्मचारियों के बीच तालमेल और अच्छे रिश्ते विकसित होते हैं, बल्कि उनकी परफॉरमेंस पर भी इसका पॉजिटिव असर होता है।
कोलंबिया की मिजौरी यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने साइकॉलजी, सोशियॉलजी, एंथ्रपॉलजी, फिलॉसफी और कम्यूनिकेशन्स के क्षेत्र में की गईं सैकड़ों स्टडीज के आधार पर इंसानी इमोशन, ह्यूमर, मूड से जुड़े सिद्धांतों का विश्लेषण किया। 'द केस फॉर डिवेलपिंग न्यू रिसर्च ऑन ह्यूमर एंड कल्चर इन ऑर्गनाइजेशन्स' नामक स्टडी के नतीजों में कहा गया कि ह्यूमर को परखने, हंसने और दूसरों को हंसाने की काबिलियत का शरीर पर मनोवैज्ञानिक असर होता है। यह लोगों को एक-दूसरे से जुड़ने में मदद करता है।
स्टडी की अगुआई करने वाले मनोवैज्ञानिक क्रिस रॉबर्ट के मुताबिक रोजमर्रा की जिंदगी में अपने जोक से दूसरों को हंसाना असल में एक गंभीर बात है। दफ्तर में हल्के-फुल्के मजाक से काम करने वालों की क्रिएटिविटी बढ़ती है। कर्मचारियों के बीच टीम की भावना विकसित होती है और संगठन का कुल मिलाकर परफॉरमेंस बेहतर होता है। क्रिस के मुताबिक कर्मचारियों पर सबसे ज्यादा पॉजिटिव असर उन लतीफों का होता है, जो दफ्तर के कामकाज या कल्चर पर आधारित होते हैं।
स्टडी के दौरान रिसर्चरों ने यह भी पाया कि विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच हंसना-हंसाना ज्यादा मुश्किल होता है। ऐसा मल्टीनैशनल कंपनियों में अक्सर देखने में आता है। यह पता करना कठिन हो जाता है कि कौन सी बात सबके लिए फनी होगी। यानी जरूरी नहीं कि जिस बात पर कोई अमेरिकी ठहाके लगाकर हंसता हो, उस पर कोई भारतीय या चीनी भी हंसे। ऐसे में कुछ लोग जोक या हंसी मजाक से परहेज करने की सलाह देते हैं। लेकिन रिसर्चरों ने इस सुझाव को खारिज करते हुए कहा कि मल्टी कल्चरल माहौल में भी हंसी-मजाक की न सिर्फ गुंजाइश होती है, बल्कि बहुत पॉजिटिव असर होता है।
रिसर्चरों के मुताबिक ह्यूमर की सबसे स्वीकार्य थ्योरी यह है कि लोग किसी चीज को तब फनी पाते हैं, जब आप दो चीजों को ऐसे जोड़ें कि जिसकी किसी ने उम्मीद न की हो। यानी हंसने-हंसाने में कॉमन एक्सपेक्टेशन की काफी अहमियत होती है। मल्टी कल्चरल माहौल में काम करने वाले लोग कई मायनों में कॉमन उद्देश्य और साझा उम्मीदों से जुड़े जाते हैं। इन चीजों पर आधारित लतीफे बेशक उन सभी को गुदगुदाते हैं।
पूंजी बाजार में निवेश हो सकता है ईपीएफ का पैसा
ट्रेड यूनियनों द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर उच्चतर ब्याज की जोरदार मांग किए जाने के कारण ईपीएफ बोर्ड इस महीने के अंत में हो रही बैठक में 2007-08 के लिए ब्याज दर पर निर्णय किए जाने से पहले पूंजी बाजार में निवेश के विकल्पों पर विचार करेगा।
सूत्रों ने बताया कि ईपीएफ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने 2006-07 के दौरान चार करोड़ ग्राहकों को 8.5 फीसदी ब्याज दर देने का फैसला किया था और चालू वित्त वर्ष के दौरान दी जाने वाली ब्याज दर पर चर्चा अगली बैठक में की जाएगी।
ट्रेड यूनियनें ईपीएफ पर बेहतर ब्याज दर की मांग ऐसे समय पर कर रही हैं जब बैंकों के फिक्स्ड डिपाजिट पर बेहतर दर मिल रही है। व्यावसायिक बैंक फिक्स्ड डिपाजिट पर 9.5 फीसदी की ब्याज देते हैं।
शेयर बाजार में उछाल को देखते हुए ईपीएफ बोर्ड कुल राशि का पांच फीसदी हिस्सा पूंजी बाजार में निवेश करने संबंधी प्रस्ताव पर विचार कर सकता है। यह प्रस्ताव ईपीएफ के न्यासी बोर्ड की जुलाई में हुई बैठक के दौरान आया था, लेकिन इसे सदस्यों की मंजूरी नहीं मिल पाई, क्योंकि उनमें ज्यादातर वामपंथी ट्रेड यूनियनों से संबद्ध थे जो पूंजी बाजार में निवेश का विरोध कर रहे थे। उनकी राय में पूंजी बाजार कभी भी गिर सकता है। लेकिन अब स्थिति अलग है और प्रस्ताव पर दुबारा विचार किया जा सकता है। बाजार का सकारात्मक रुख वामपंथी ट्रेड यूनियनों के पूंजी बाजार में निवेश न करने की दलील को झुठला सकता है।
सरकार देगी सोलर वाटर हीटर सिस्टम
जागरण में छपी एक खबर के मुताबिक, हरियाणा सरकार की ओर से, सामाजिक गतिविधियों में कार्यरत सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों को, निशुल्क सोलर वाटर हीटिंग सिस्टम उपलब्ध कराया जाएगा।
इस प्रकार के संस्थानों का तीन वर्ष से पंजीकरण होना अनिवार्य है। तीन वर्षो से कार्यरत धमार्थ संस्थानों को भी यह सिस्टम मुहैया करवाए जाएंगे। इन संस्थानों को पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर यह सिस्टम उपलब्ध कराया जाएगा। सिस्टम की कुल कीमत का 10 प्रतिशत राशि डिमांड ड्राफ्ट के रूप में हरियाणा रिनिवेबल एनर्जी डेवेलपमेंट एजेंसी को मरम्मत व रख-रखाव के लिए देना पड़ेगा। 'हरेडा' की ओर से महिला हास्टल, अनाथालयों, गूंगे-बहरों के केंद्रों, वृद्धाश्रमों, बाल गृह, नारी निकेतन, अनुसूचित जातियों व कमजोर वर्गों के खेल छात्रावासों में यह सिस्टम उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें भी अनुसूचित जाति की महिलाओं, विकलांगों, निराश्रयों व अभावग्रस्त बच्चों एवं समाज के अन्य कमजोर वर्ग के कल्याण में लगी संस्थाओं को इस योजना के तहत प्राथमिकता दी जाएगी।
सभी प्रदेशवासियों एवं स्वयं के या सरकारी आवासों में रह रहे सभी सरकारी कर्मचारी इस योजना का लाभ ले सकते है।
08 November, 2007
मोबाइल के बिना भारतीय महिलाओं को विदेशों में काम नहीं
सरकार गैरकानूनी तरीके से एजेंट के जरिए महिलाओं को रोजगार का लालच देकर विदेश ले जाने से रोकने के लिए इन उपायों पर अमल करने की योजना बना रही है। यह जानकारी प्रवासी भारतीय कार्य मंत्री वायलार रवि ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान दी। वह आगामी 7-9 जनवरी को नई दिल्ली में आयोजित किए जा रहे प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) के विषय में जानकारी दे रहे थे।
वायलार ने बताया कि इस बार के पीबीडी का मुख्य मुद्दा ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक दृष्टिकोण से आत्मनिर्भर बनाना होगा। साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा पर भी विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसी योजनाएं तैयार की जा रही हैं कि प्रवासी भारतीय इन क्षेत्रों के विकास के लिए सीधे तौर पर जुड़ सकें।
इस मौके पर भारतीय औद्योगिक परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल ने कहा कि जल्द ही 'ग्लोबल मोबाइल मनी ट्रांसफर' पर काम पूरा किया जाएगा। इस सुविधा के तहत विदेशों से मोबाइल का इस्तेमाल कर भारत में पैसे भेजे जा सकेंगे। यह सुविधा प्रवासी भारतीयों के लिए भी विशेष रूप से सहायक होगी जो देश में अपना पैसा भेजना चाहते हैं।
07 November, 2007
समान पद पर कार्यरत व्यक्तियों पर लागू होता है समान वेतन का सिद्धांत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि समान काम के लिए समान वेतन का सिद्धांत केवल उन्हीं व्यक्तियों पर लागू होता है जो हर दृष्टि से समान पद पर कार्यरत हों। कोर्ट ने कहा कि हर पहलू पर गौर करने के बाद वेतन आयोग द्वारा तय किए गए वेतनमान को चुनौती नहीं दी जा सकती।
न्यायमूर्ति एसबी सिन्हा और हरजीत सिंह बेदी की पीठ ने कहा कि वेतन पुनरीक्षण आयोग द्वारा तय किए गए वेतनमान के बारे में वेतन विसंगति की शिकायत कर्मचारी नहीं कर सकते। राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा की कर्मचारी से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने यह व्यवस्था दी।
केंद्र की ओर से दाखिल अपील पर न्यायालय ने कहा कि अगर किसी विशेषज्ञ संस्था ने शिक्षा और अन्य संबंधित तथ्यों के मद्देनजर उच्चतर वेतनमान तय किया है तो इससे किसी को छूट नहीं दी जा सकती।
केंद्र सरकार ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के फैसले के खिलाफ अपील की थी। कैट ने दीर्घा में सहायक लायब्रेरियन और सूचना सहायक के पद पर कार्यरत महजबीन अख्तर के वेतनमान पर पुनर्विचार के लिए केंद्र से कहा था। महजबीन ने केंद्रीय हिंदी निदेशालय और केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान में कार्यरत अनुसंधान सहायक के बराबर वेतन की मांग की थी। उसने कहा था कि पांचवें वेतन आयोग ने उसकी श्रेणी के कर्मचारियों को अन्य संस्थानों के अनुसंधान सहायकों से निचली वेतन श्रेणी में रखा है।
05 November, 2007
वेतन आयोग: कर्मियों को छका सकता है केंद्र
छठे वेतन आयोग के पिटारे की ओर बेसब्री से टकटकी लगाए चालीस लाख से भी ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों को सरकार लंबा इंतजार करा सकती है। आयोग की रिपोर्ट निर्धारित समय से पहले ही मांग चुकी संप्रग सरकार वेतन संबंधी अनुशंसा को लागू करने में जल्दबाजी दिखाने के पक्ष में नहीं है। यानी मध्यावधि चुनाव की संभावना के मद्देनजर वेतन आयोग की सिफारिशों के जल्द अमल में आने की उम्मीदें बांधे सरकारी कर्मचारियों को निराश होना पड़ सकता है
मध्यावधि चुनाव के मद्देनजर एक-एक करके लुभावने फैसलों को सामने लाकर आम आदमी का दिल जीतने में लगी केंद्र सरकार ने वेतन आयोग को लेकर कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ा दी थीं। लेकिन अब सरकार का मूड बदल रहा है।
सूत्रों की माने तो सरकारी रणनीतिकार चाहते हैं कि अगर मध्यावधि चुनाव की संभावना बनती है तो वेतन आयोग की सिफारिशों को चुनाव बाद ही लागू करना चाहिए, ताकि इन सिफारिशों को अमली जामा पहनाने का आश्वासन कांग्रेस के घोषणा पत्र का अहम हिस्सा बन सके। अत: वेतन वृद्धि के लिए सरकारी कर्मियों का इंतजार लंबा हो सकता है।
सरकार के राजनीतिक प्रबंधकों का मानना है कि ऐसी रणनीति पर अमल करने से कर्मचारियों के रूप में भारी वोट बैंक तक पहुंचना आसान हो जाएगा। इस लिहाज से सरकार को वेतन आयोग से सिफारिशें जल्द से जल्द मंगा लेने की सलाह दी गई है।
बताया जा रहा है कि हाल ही में वित्त मंत्री और वेतन आयोग के अधिकारियों के बीच हुई मंत्रणा के दौरान इस रणनीति पर गंभीरता से विचार हुआ है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने वेतन आयोग को जल्द ही अपना काम खत्म करने को कह दिया गया है। आयोग के अधिकारियों ने भी सरकार को जल्द ही सिफारिशें सौंप देने का आश्वासन दिया है।
एक अधिकारी ने बताया 'आयोग अपनी रिपोर्ट जल्द ही तैयार कर लेगा। सरकार से इसके लिए निर्धारित समय से ज्यादा मांगा भी नहीं गया है।' गौरतलब है कि गठित होने के बाद छठे वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट पूरी कर लेने के लिए 18 महीने का समय दिया गया था। इस हिसाब से आयोग को अपनी सिफारिशें अगले वर्ष अप्रैल तक दे देनी होंगी। संकेत साफ हैं कि मध्यावधि चुनाव की संभावना भांप रही सरकार केंद्रीय कर्मियों के वेतन संबंधी सिफारिशों को लागू करने को लेकर समय का हिसाब-किताब लगाने में लग गई है। वैसे, कर्मियों को रिझाने में दिन रात एक कर रही सरकार की कोशिश है कि वेतन आयोग उन पर मेहरबान ही रहे। इसके लिए यह भी कोशिश की जा रही है कि वेतन अयोग के गुलदस्ते में फूल ही हों, न कि कांटे। इस लिहाज से भी हाल की वित्त मंत्रालय में हुई बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। इसमें आयोग को उन सुझावों पर फिर से विचार करने को कहा गया जो कर्मचारियों के गले बिल्कुल भी नहीं उतरेंगी। इसमें प्रदर्शन आधारित वेतन से संबंधित सुझाव तो पहले ही विवादास्पद होने लगा है। माकपा के श्रम संगठन सीटू ने इसका जमकर विरोध किया है। सीटू नेताओं ने श्रम मंत्री को अपना विरोध पत्र भेज भी दिया था। सरकार नहीं चाहती कि आयोग की किसी भी सिफारिश को वामदलों के दबाव में वापस लेने की नौबत आए। दरअसल कर्मचारियों की जमात में कामरेडों को अपनी पीठ थपथपाने का मौका सरकार बिल्कुल भी नहीं देना चाहती। ऐसे में आयोग को भी फूंक-फूंक कर कदम रखने को कहा गया है।
छुट्टी पर अधिकार के रूप में विचार नहीं
न्यायाधीश मीरा छिब्बर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि प्रेमलता स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की भी हकदार नहीं हैं, क्याेंकि उन्हाेंने 20 साल की सेवा पूरी नहीं की है। याचिकाकर्ता ने पोस्टिंग वाली जगह ज्वाइन करने की बजाए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन दिया था। याचिका के अनुसार आगरा स्थित केंद्रीय विद्यालय की शिक्षिका प्रेमलता घई ने विदेश में रह रहे अपने पति से मिलने के लिए छह महीने की छुट्टी के लिए आवेदन दिया था। बहरहाल, उन्हें केवल तीन महीने की छुट्टी दी गई जो 10 नवंबर 1989 से प्रभावी हुई थी। याचिका में कहा गया है कि प्रेमलता ने आठ फरवरी 1990 को डयूटी ज्वाइन किया, लेकिन वह बीमार पड़ गई और छुट्टी बढ़ाए जाने के संबंध में स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के साथ आवेदन दिया।
- दैनिक देशबंधु की खबर