सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि समान काम के लिए समान वेतन का सिद्धांत केवल उन्हीं व्यक्तियों पर लागू होता है जो हर दृष्टि से समान पद पर कार्यरत हों। कोर्ट ने कहा कि हर पहलू पर गौर करने के बाद वेतन आयोग द्वारा तय किए गए वेतनमान को चुनौती नहीं दी जा सकती।
न्यायमूर्ति एसबी सिन्हा और हरजीत सिंह बेदी की पीठ ने कहा कि वेतन पुनरीक्षण आयोग द्वारा तय किए गए वेतनमान के बारे में वेतन विसंगति की शिकायत कर्मचारी नहीं कर सकते। राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा की कर्मचारी से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने यह व्यवस्था दी।
केंद्र की ओर से दाखिल अपील पर न्यायालय ने कहा कि अगर किसी विशेषज्ञ संस्था ने शिक्षा और अन्य संबंधित तथ्यों के मद्देनजर उच्चतर वेतनमान तय किया है तो इससे किसी को छूट नहीं दी जा सकती।
केंद्र सरकार ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के फैसले के खिलाफ अपील की थी। कैट ने दीर्घा में सहायक लायब्रेरियन और सूचना सहायक के पद पर कार्यरत महजबीन अख्तर के वेतनमान पर पुनर्विचार के लिए केंद्र से कहा था। महजबीन ने केंद्रीय हिंदी निदेशालय और केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान में कार्यरत अनुसंधान सहायक के बराबर वेतन की मांग की थी। उसने कहा था कि पांचवें वेतन आयोग ने उसकी श्रेणी के कर्मचारियों को अन्य संस्थानों के अनुसंधान सहायकों से निचली वेतन श्रेणी में रखा है।
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