भारतीय कर्मचारी अपनी सैलरी पर एशिया में सबसे ज्यादा टैक्स देते हैं। इंडियन एम्प्लॉईज की ग्रॉस सैलरी का 29.1 परसेंट हिस्सा टैक्स और सोशल सिक्युरिटी कॉन्स्ट्रिब्यूशन के रूप में सरकारी खजाने में चला जाता है। एशिया में सैलरी पर सबसे कम टैक्स सऊदी अरब में लगता है। वहां सिर्फ 5 परसेंट टैक्स लिया जाता है। वह भी इनकम टैक्स नहीं, सोशल सिक्युरिटी के रूप में। दुनिया में बेल्जियम में सबसे ज्यादा 50.5 परसेंट टैक्स काटा जाता है।
इंटरनैशनल एचआर कंसल्टेंसी फर्म मर्सर ने दुनिया के 32 देशों में इंडिविजुअल टैक्स की तुलना करके सोमवार को रिपोर्ट जारी की। इसके लिए पर्सनल टैक्स स्ट्रक्चर, ऐवरेज सैलरी और मैरिटल स्टेटस को प्रमुखता से आंका गया। सर्वे से पता चला कि कुंआरे कर्मचारियों के मुकाबले शादीशुदा कर्मचारी कम टैक्स देते हैं। लेकिन सभी देशों में यह स्थिति नहीं है। भारत, ब्राजील और तुर्की में शादीशुदा कर्मचारियों को उतना ही टैक्स देना पड़ता है, जितना कुंआरे कर्मचारियों को।
नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार दुनिया में कुंआरे कर्मचारियों से सबसे कम टैक्स लेने वालों में सऊदी अरब के बाद रूस (13 % ), हांगकांग (14.2 % ), ताइवान (14.6 % ) और सिंगापुर (16.4 % ) हैं। एशिया की लिस्ट में भारत का नंबर सबसे नीचे है यानी बाकी एशिया देशों के मुकाबले भारत में कर्मचारी ज्यादा टैक्स देते हैं। ग्लोबल लिस्ट में भारत के कुंआरे एम्प्लॉई 14वें नंबर पर, शादीशुदा (बिना बच्चे वाले) 20वें नंबर पर और दो बच्चे वाले शादीशुदा कर्मचारी 22वें नंबर पर हैं। हंगरी (30वां नंबर) में 48.5 % , डेनमार्क (31वां नंबर) में 48.6 % और बेल्जियम (32वां नंबर) में 50.5 % टैक्स और सामाजिक सुरक्षा योगदान ग्रॉस इनकम से वसूला जाता है।
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