लोकसभा ने बोनस के लिए पात्रता तथा बोनस राशि की सीमा बढ़ाने के प्रावधान वाले विधेयक २८ नवम्बर को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
इससे पहले बोनस अधिनियम 1965 में संशोधन करने वाले इस विधेयक पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री ऑस्कर फर्नांडीस ने कहा कि सरकार भी भवन निर्माण में लगे कामगारों के साथ-साथ खेतिहर मजदूरों एवं असंगठित क्षेत्र के अन्य कर्मियों को इसके दायरे में लाने को प्रतिबद्ध है।
मंत्री का कहना था कि उनके अस्थायी चरित्र के नियोजन के कारण उनकी पहचान सुनिश्चित करने में व्यावहारिक बाधाएँ हैं और सरकार नहीं चाहती कि उनकी पहचान का एक तंत्र बनाए बिना उन्हें बोनस कानून के दायरे में लाने की कागजी खानापूर्ति कर ली जाए।
बोनस की पात्रता के लिए साढ़े सात हजार रुपए या इससे कम मूल मासिक वेतन की दूसरे श्रम आयोग की शर्त को बढ़ाकर दस हजार रुपए कर देने की अपनी पहल को उन्होंने कामगारों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया।
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