05 November, 2007

वेतन आयोग: कर्मियों को छका सकता है केंद्र

छठे वेतन आयोग के पिटारे की ओर बेसब्री से टकटकी लगाए चालीस लाख से भी ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों को सरकार लंबा इंतजार करा सकती है। आयोग की रिपोर्ट निर्धारित समय से पहले ही मांग चुकी संप्रग सरकार वेतन संबंधी अनुशंसा को लागू करने में जल्दबाजी दिखाने के पक्ष में नहीं है। यानी मध्यावधि चुनाव की संभावना के मद्देनजर वेतन आयोग की सिफारिशों के जल्द अमल में आने की उम्मीदें बांधे सरकारी कर्मचारियों को निराश होना पड़ सकता है

मध्यावधि चुनाव के मद्देनजर एक-एक करके लुभावने फैसलों को सामने लाकर आम आदमी का दिल जीतने में लगी केंद्र सरकार ने वेतन आयोग को लेकर कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ा दी थीं। लेकिन अब सरकार का मूड बदल रहा है।

सूत्रों की माने तो सरकारी रणनीतिकार चाहते हैं कि अगर मध्यावधि चुनाव की संभावना बनती है तो वेतन आयोग की सिफारिशों को चुनाव बाद ही लागू करना चाहिए, ताकि इन सिफारिशों को अमली जामा पहनाने का आश्वासन कांग्रेस के घोषणा पत्र का अहम हिस्सा बन सके। अत: वेतन वृद्धि के लिए सरकारी कर्मियों का इंतजार लंबा हो सकता है।

सरकार के राजनीतिक प्रबंधकों का मानना है कि ऐसी रणनीति पर अमल करने से कर्मचारियों के रूप में भारी वोट बैंक तक पहुंचना आसान हो जाएगा। इस लिहाज से सरकार को वेतन आयोग से सिफारिशें जल्द से जल्द मंगा लेने की सलाह दी गई है।

बताया जा रहा है कि हाल ही में वित्त मंत्री और वेतन आयोग के अधिकारियों के बीच हुई मंत्रणा के दौरान इस रणनीति पर गंभीरता से विचार हुआ है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने वेतन आयोग को जल्द ही अपना काम खत्म करने को कह दिया गया है। आयोग के अधिकारियों ने भी सरकार को जल्द ही सिफारिशें सौंप देने का आश्वासन दिया है।

एक अधिकारी ने बताया 'आयोग अपनी रिपोर्ट जल्द ही तैयार कर लेगा। सरकार से इसके लिए निर्धारित समय से ज्यादा मांगा भी नहीं गया है।' गौरतलब है कि गठित होने के बाद छठे वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट पूरी कर लेने के लिए 18 महीने का समय दिया गया था। इस हिसाब से आयोग को अपनी सिफारिशें अगले वर्ष अप्रैल तक दे देनी होंगी। संकेत साफ हैं कि मध्यावधि चुनाव की संभावना भांप रही सरकार केंद्रीय कर्मियों के वेतन संबंधी सिफारिशों को लागू करने को लेकर समय का हिसाब-किताब लगाने में लग गई है। वैसे, कर्मियों को रिझाने में दिन रात एक कर रही सरकार की कोशिश है कि वेतन आयोग उन पर मेहरबान ही रहे। इसके लिए यह भी कोशिश की जा रही है कि वेतन अयोग के गुलदस्ते में फूल ही हों, न कि कांटे। इस लिहाज से भी हाल की वित्त मंत्रालय में हुई बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। इसमें आयोग को उन सुझावों पर फिर से विचार करने को कहा गया जो कर्मचारियों के गले बिल्कुल भी नहीं उतरेंगी। इसमें प्रदर्शन आधारित वेतन से संबंधित सुझाव तो पहले ही विवादास्पद होने लगा है। माकपा के श्रम संगठन सीटू ने इसका जमकर विरोध किया है। सीटू नेताओं ने श्रम मंत्री को अपना विरोध पत्र भेज भी दिया था। सरकार नहीं चाहती कि आयोग की किसी भी सिफारिश को वामदलों के दबाव में वापस लेने की नौबत आए। दरअसल कर्मचारियों की जमात में कामरेडों को अपनी पीठ थपथपाने का मौका सरकार बिल्कुल भी नहीं देना चाहती। ऐसे में आयोग को भी फूंक-फूंक कर कदम रखने को कहा गया है।

-जागरण की एक खबर

1 comment:

  1. बहुत ही विचार करने योग्य है आप की बात,

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