ट्रेड यूनियनों द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर उच्चतर ब्याज की जोरदार मांग किए जाने के कारण ईपीएफ बोर्ड इस महीने के अंत में हो रही बैठक में 2007-08 के लिए ब्याज दर पर निर्णय किए जाने से पहले पूंजी बाजार में निवेश के विकल्पों पर विचार करेगा।
सूत्रों ने बताया कि ईपीएफ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने 2006-07 के दौरान चार करोड़ ग्राहकों को 8.5 फीसदी ब्याज दर देने का फैसला किया था और चालू वित्त वर्ष के दौरान दी जाने वाली ब्याज दर पर चर्चा अगली बैठक में की जाएगी।
ट्रेड यूनियनें ईपीएफ पर बेहतर ब्याज दर की मांग ऐसे समय पर कर रही हैं जब बैंकों के फिक्स्ड डिपाजिट पर बेहतर दर मिल रही है। व्यावसायिक बैंक फिक्स्ड डिपाजिट पर 9.5 फीसदी की ब्याज देते हैं।
शेयर बाजार में उछाल को देखते हुए ईपीएफ बोर्ड कुल राशि का पांच फीसदी हिस्सा पूंजी बाजार में निवेश करने संबंधी प्रस्ताव पर विचार कर सकता है। यह प्रस्ताव ईपीएफ के न्यासी बोर्ड की जुलाई में हुई बैठक के दौरान आया था, लेकिन इसे सदस्यों की मंजूरी नहीं मिल पाई, क्योंकि उनमें ज्यादातर वामपंथी ट्रेड यूनियनों से संबद्ध थे जो पूंजी बाजार में निवेश का विरोध कर रहे थे। उनकी राय में पूंजी बाजार कभी भी गिर सकता है। लेकिन अब स्थिति अलग है और प्रस्ताव पर दुबारा विचार किया जा सकता है। बाजार का सकारात्मक रुख वामपंथी ट्रेड यूनियनों के पूंजी बाजार में निवेश न करने की दलील को झुठला सकता है।
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