रेलवे बोर्ड ने रेल कर्मचारियों और अधिकारियों के ड्यूटी के दौरान टी-शर्ट पहनने पर पाबंदी लगा दी है। आदेश में कहा गया है कि ड्यूटी के दौरान आधी और पूरी बाजू की शर्ट पैंट के अंदर होनी चाहिए। फिलहाल ड्यूटी पर अपनी असली वर्दी पहनकर पहुंचें।
रेलवे बोर्ड की ओर से जारी आदेश को डिवीजन के विभिन्न ब्रांच अधिकारियों को पत्र जारी कर आदेश की पालना करने को कहा गया है। इसके अलावा यदि कोई हेडक्वार्टर या रेलवे बोर्ड का अधिकारी इंस्पेक्शन करने आता है तो अधिकारी पूरी बाजू की कमीज पहनकर ड्यूटी पर पहुंचें। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार हेडक्वार्टर अधिकारियों के निरीक्षण दौरान देखा गया कि कई रेलकर्मी व अधिकारी बगैर कॉलर की टी-शर्ट पहनकर ड्यूटी पर तैनात थे, जिससे आम जनता रेल कर्मचारी और अधिकारी को नहीं पहचान सकती। लाइन, स्टेशन व अन्य स्टॉफ अपनी असली वर्दी में ड्यूटी पर तैनात होना चाहिए। इसीलिए रेलवे बोर्ड ने यह आदेश जारी कर ड्यूटी के दौरान टी-शर्ट पहनने पर पाबंदी लगा दी है।
इधर, कई रेलकर्मियों का कहना है कि कर्मचारी अपनी असली वर्दी की बजाय खुद अपनी ओर से बाजार से बढ़िया कपड़ा लेकर वर्दी सिलाते हैं। ऐसी वर्दी पहनने वाला कर्मचारी अधिकारी लगता है। वहीं, रेल अधिकारी का कहना है कि कर्मचारी और अधिकारी अपनी 'प्रॉपर' वर्दी पहनें। गर्मी में कई कर्मचारी ब्रांडेड कंपनियों की बगैर कॉलर की टी-शर्ट पहनकर नौकरी करने दफ्तर पहुंचते हैं, जो नियम के विपरीत है।
31 October, 2008
30 October, 2008
अगले दस दिन में आपकी नौकरी जा सकती है!
देश के प्रमुख वाणिज्य उघोग मंडल ASSOCHAM ने एक आकलन किया है कि सीमेंट, इस्पात, निर्माण, अचल संपत्ति, उड्डयन, सूचना आधारित और वित्त सेवा क्षेत्र के कर्मचारियों को सतर्क होना चाहिए क्योंकि आने वाले चंद दिनों में इन क्षेत्रों में बडे़ पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी किए जाने की संभावना है। एसोचैम ने अनुमान व्यक्त किया है कि संभवत: इस क्षेत्र में 25 से 30 प्रतिशत कर्मचारी हटाए जाएंगे।
संगठन का कहना है कि आर्थिक वित्त संकट के दौर में सिकुड़ते मार्जिन को देखते हुए इन क्षेत्रों की कंपनियां लागत को कम करने के उपायों के तहत अगले दस दिन में नौकरियों पर कैंची चला सकती है। एसोचैम ने कहा है कि पिछले दो तिमाही से विस्तार की गति थमी है। देश के सकल घरेलू उत्पाद की बृद्धि दर पिछले चार साल में आठ प्रतिशत से नीचे आने की संभावना है। वित्त संकट को देखते हुए ऊंची ब्याज दरों के कारण मांग प्रभावित हुई है।
रिजर्व बैंक ने 24 अक्टूबर को जारी चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही की मौद्रिक एवं ऋण नीति की समीझा में देश की विकास दर के अनुमान को पहले के आठ प्रतिशत की तुलना में 2008-09 में घटाकर 7.5 से 8 प्रतिशत कर दिया है। समाप्त वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद में नौ प्रतिशत की जोरदार वृद्धि हुई थी।
एसोचैम ने कहा है नियोक्ता के पास अपनी कंपनी रणनीति के तहत परिचालन को बनाए रखने के लिए इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है। घटते मार्जिन में कंपनियां पहले ही लागत कम करने के लिए पहले ही कई कदम उठा चुकी है। टाटा स्टील हाल ही में अनुबंध में रखे गए अपने सैकड़ों कर्मचारियों को हटा चुका है। इससे पहले निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एअरवेज ने 1900 कर्मचारियों को हटाने के फैसले से काफी बवाल मचा था और इसके बाद कंपनी को अपना यह फैसला वापस लेना पड़ा था। पिछले सप्ताह रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनी पार्श्वनाथ ने भी पिछले सप्ताह कहा है कि वह अपने कर्मचारियों की संख्या को तर्क संगत बनाएगी।
संगठन का कहना है कि आर्थिक वित्त संकट के दौर में सिकुड़ते मार्जिन को देखते हुए इन क्षेत्रों की कंपनियां लागत को कम करने के उपायों के तहत अगले दस दिन में नौकरियों पर कैंची चला सकती है। एसोचैम ने कहा है कि पिछले दो तिमाही से विस्तार की गति थमी है। देश के सकल घरेलू उत्पाद की बृद्धि दर पिछले चार साल में आठ प्रतिशत से नीचे आने की संभावना है। वित्त संकट को देखते हुए ऊंची ब्याज दरों के कारण मांग प्रभावित हुई है।
रिजर्व बैंक ने 24 अक्टूबर को जारी चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही की मौद्रिक एवं ऋण नीति की समीझा में देश की विकास दर के अनुमान को पहले के आठ प्रतिशत की तुलना में 2008-09 में घटाकर 7.5 से 8 प्रतिशत कर दिया है। समाप्त वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद में नौ प्रतिशत की जोरदार वृद्धि हुई थी।
एसोचैम ने कहा है नियोक्ता के पास अपनी कंपनी रणनीति के तहत परिचालन को बनाए रखने के लिए इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है। घटते मार्जिन में कंपनियां पहले ही लागत कम करने के लिए पहले ही कई कदम उठा चुकी है। टाटा स्टील हाल ही में अनुबंध में रखे गए अपने सैकड़ों कर्मचारियों को हटा चुका है। इससे पहले निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एअरवेज ने 1900 कर्मचारियों को हटाने के फैसले से काफी बवाल मचा था और इसके बाद कंपनी को अपना यह फैसला वापस लेना पड़ा था। पिछले सप्ताह रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनी पार्श्वनाथ ने भी पिछले सप्ताह कहा है कि वह अपने कर्मचारियों की संख्या को तर्क संगत बनाएगी।
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27 October, 2008
हरियाणा के बिजली कर्मचारियों को 8.33 फीसदी बोनस
हरियाणा के बिजली कर्मचारियों को मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने दीपावली के तोहफे के तौर पर 8.33 फीसदी बोनस देने का ऐलान किया है। कर्मचारियों को बोनस के लिए 3.88 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा। बोनस का लाभ उन कर्मचारियों को दिया जाएगा, जिनका वेतन 10 हजार रुपए महीने से ज्यादा नहीं है।
श्री हुड्डा का कहना है, दीपावाली उपहार के रूप में बिजली कर्मचारियों को 525 रुपए की राशि नकद दी जाएगी। कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार करते हुए हुड्डा ने घोषणा की कि राज्य के बिजली उपक्रमों के कर्मचारियों को रिटायर होने पर अब एक के बजाय दो हजार रुपए का उपहार दिया जाएगा।
छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को जल्द लागू करने के लिए हुड्डा ने बिजली उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारियों की एक कमेटी गठित करने की जानकारी देते हुए कहा, यह कमेटी उन्हें दिए जाने वाले विभिन्न भत्तों को देखेगी। हरियाणा पावर जनरेशन कॉरपोरेशन अपने कर्मचारियों के लिए पहले ही उत्पादन प्रोत्साहन योजना घोषित कर चुका है। इसके लिए 4.18 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
श्री हुड्डा का कहना है, दीपावाली उपहार के रूप में बिजली कर्मचारियों को 525 रुपए की राशि नकद दी जाएगी। कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार करते हुए हुड्डा ने घोषणा की कि राज्य के बिजली उपक्रमों के कर्मचारियों को रिटायर होने पर अब एक के बजाय दो हजार रुपए का उपहार दिया जाएगा।
छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को जल्द लागू करने के लिए हुड्डा ने बिजली उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारियों की एक कमेटी गठित करने की जानकारी देते हुए कहा, यह कमेटी उन्हें दिए जाने वाले विभिन्न भत्तों को देखेगी। हरियाणा पावर जनरेशन कॉरपोरेशन अपने कर्मचारियों के लिए पहले ही उत्पादन प्रोत्साहन योजना घोषित कर चुका है। इसके लिए 4.18 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
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राजस्थान के कर्मचारियों को दीपावली के अवसर पर बोनस की अनुमति
केन्द्रीय चुनाव आयोग ने राजस्थान के राज्य कर्मचारियों को दीपावली के अवसर पर बोनस बांटे जाने की अनुमति दे दी है। आयोग से 25 अक्टूबर को ही इस संबंध में राज्य निर्वाचन विभाग को सूचना मिली। निर्वाचन विभाग ने बोनस बांटने के संबंध में सभी संबंधित विभागों को सूचित कर दिया है। इससे राज्य सरकार के करीब 4.50 लाख कर्मचारियों को बोनस मिल सकेगा। राजस्थान रोडवेज, हाउसिंग बोर्ड और स्पिनफैड सहित कई विभाग पहले ही कर्मचारियों को बोनस देने का फैसला कर चुके हैं। ये भी केन्द्रीय चुनाव आयोग की हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे थे।
राज्य सरकार ने 5 दिन पहले ही वित्त विभाग के माध्यम से चुनाव आयोग को बोनस का प्रस्ताव बनाकर भिजवाया था। सरकार का तर्क था कि कर्मचारियों को हर साल बोनस दिया जाता रहा है, इसलिए इस बार भी कर्मचारियों को बोनस बांटा जाना है, इसलिए बोनस बांटने में आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं है। इससे पहले सरकार ने राज्य कर्मचारियों को केन्द्रीय छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत अधिकतम 3500 रुपए बोनस देने का फैसला किया था। वित्त विभाग के अनुसार 30 दिन के हिसाब से कर्मचारियों को करीब 3387 रुपए का बोनस मिलेगा। वित्त विभाग का कहना है कि कर्मचारियों को सोमवार से बोनस का भुगतान शुरू हो जाएगा। इस संबंध में वित्त विभाग की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं। ज्यादातर विभागों में बोनस के बिल पहले से ही तैयार कर लिए गए हैं।
राज्य सरकार ने 5 दिन पहले ही वित्त विभाग के माध्यम से चुनाव आयोग को बोनस का प्रस्ताव बनाकर भिजवाया था। सरकार का तर्क था कि कर्मचारियों को हर साल बोनस दिया जाता रहा है, इसलिए इस बार भी कर्मचारियों को बोनस बांटा जाना है, इसलिए बोनस बांटने में आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं है। इससे पहले सरकार ने राज्य कर्मचारियों को केन्द्रीय छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत अधिकतम 3500 रुपए बोनस देने का फैसला किया था। वित्त विभाग के अनुसार 30 दिन के हिसाब से कर्मचारियों को करीब 3387 रुपए का बोनस मिलेगा। वित्त विभाग का कहना है कि कर्मचारियों को सोमवार से बोनस का भुगतान शुरू हो जाएगा। इस संबंध में वित्त विभाग की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं। ज्यादातर विभागों में बोनस के बिल पहले से ही तैयार कर लिए गए हैं।
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24 October, 2008
टाटा मोटर्स ने और 400 कर्मचारियों को हटाया
दुनिया भर में छाए वित्तीय संकट के कारण जारी छंटनी के दौर के बीच देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स ने उत्पादन में गिरावट के चलते अपने और चार सौ अस्थायी कर्मियों को 23 अक्टूबर से काम से हटा दिया। इससे पूर्व कंपनी ने 20 अक्टूबर को भी अपने लगभग तीन सौ कर्मियों को काम से हटा दिया था। टाटा मोटर्स के जमशेदपुर स्थित भारी वाहन संयंत्र के इन अस्थायी कर्मियों को बुधवार को नोटिस देकर बृहस्पतिवार से काम पर न आने को कहा गया है। संयंत्र के श्रमिक संगठन टेल्को वर्कर्स यूनियन के महासचिव चंद्रभान प्रसाद ने लगभग तीन सौ अस्थायी कर्मियों को बृहस्पतिवार से काम पर न आने का नोटिस मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि ये कर्मी विभिन्न विभागों से जुड़े थे।
इस बीच संयंत्र के प्रवक्ता कैप्टन पी जे सिंह ने भी अस्थायी कर्मियों को फिलहाल काम पर नहीं आने का नोटिस दिए जाने की पुष्टि की हालांकि उन्होंने कहा कि वह यह नहीं बता सकते कि यह संख्या तीन सौ है या उससे कुछ कम। उन्होंने कहा कि विभिन्न कारणों से उत्पादन में आई गिरावट के कारण यह कदम उठाया जा रहा है।
ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व गत 20 अक्टूबर को भी जमशेदपुर संयंत्र के ट्रक डिवीजन लगभग एक सौ तथा कैब एंड क्वायल डिवीजन के दो सौ अस्थायी कर्मियों को काम से हटा दिया गया था। समझा जाता है कि वैश्विक मंदी के कारण उत्पादन में लगातार हो रही गिरावट के कारण यह कदम उठाया गया है। हर साल बरसात के बाद उत्पादन और मांग बढ़ने पर कंपनी और अस्थायी कर्मियों को काम पर बुलाती थी। पर इस बार पहले से कार्यरत लगभग पौने दो हजार अस्थायी कर्मियों में से भी लगभग छह सौ को हटाया जा रहा है। संयंत्र के कुल अस्थायी कर्मियों की संख्या साढ़े तीन हजार तक है।
इस बीच संयंत्र के प्रवक्ता कैप्टन पी जे सिंह ने भी अस्थायी कर्मियों को फिलहाल काम पर नहीं आने का नोटिस दिए जाने की पुष्टि की हालांकि उन्होंने कहा कि वह यह नहीं बता सकते कि यह संख्या तीन सौ है या उससे कुछ कम। उन्होंने कहा कि विभिन्न कारणों से उत्पादन में आई गिरावट के कारण यह कदम उठाया जा रहा है।
ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व गत 20 अक्टूबर को भी जमशेदपुर संयंत्र के ट्रक डिवीजन लगभग एक सौ तथा कैब एंड क्वायल डिवीजन के दो सौ अस्थायी कर्मियों को काम से हटा दिया गया था। समझा जाता है कि वैश्विक मंदी के कारण उत्पादन में लगातार हो रही गिरावट के कारण यह कदम उठाया गया है। हर साल बरसात के बाद उत्पादन और मांग बढ़ने पर कंपनी और अस्थायी कर्मियों को काम पर बुलाती थी। पर इस बार पहले से कार्यरत लगभग पौने दो हजार अस्थायी कर्मियों में से भी लगभग छह सौ को हटाया जा रहा है। संयंत्र के कुल अस्थायी कर्मियों की संख्या साढ़े तीन हजार तक है।
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22 October, 2008
उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों को बोनस देने का शासनादेश जारी
उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों को बोनस देने का शासनादेश जारी हो गया है। शासनादेश में कहा गया है कि समस्त पूर्णकालिक अराजपत्रित कर्मचारियों, राज्य निधि से सहायता प्राप्त शिक्षण, प्राविधिक संस्थाओं, स्थानीय निकायों, जिला पंचायतों के ऐसे कर्मचारियों, जिनके वेतन अधिकतम 10,500 रुपये तक हैं, को तदर्थ बोनस के रूप में 30 दिन की परिलब्धियों की स्वीकृत प्रदान की गयी है। वेतनमान 6500-10500 तक के पद पर कार्यरत ऐसे अराजपत्रित कर्मचारियों को, जिन्हें उक्त वेतनमान से उच्चतर वेतनमान व्यैक्तिक प्रोन्नति, अगला वेतनमान के रूप में अनुमन्य हुआ है और उसके स्टेटस में परिवर्तन नहीं हुआ है को भी तदर्थ बोनस अनुमन्य होगा।
ऐसे कर्मचारी जिन्होंने 1-1-96 से लागू पुनरीक्षित वेतनमानों के बजाय पूर्ववर्ती वेतनमान में ही बने रहने का विकल्प दिया हो, के सम्बंध में भी वेतनमान का अधिकतम 3500 रुपये तक माना जायेगा। शासनादेश में कहा गया है कि तदर्थ बोनस की अधिकतम देय धनराशि 3500 रुपये प्रतिमाह की परिलब्धियां पाने वाले कर्मचारियों के लिए स्वीकार्य राशि तक सीमित रहेगी अर्थात जिन कर्मचारियों की परिलब्धियां 3500 रुपये से अधिक थीं, उनके लिए तदर्थ बोनस का आगणन इस प्रकार किया जाएगा मानो उनकी परिलब्धियां 3500 रुपये हों।
बोनस उन्हीं कर्मचारियों को मिलेगा, जिन्होंने 31 मार्च 08 तक निरंतर एक वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो।
ऐसे कर्मचारी जिन्होंने 1-1-96 से लागू पुनरीक्षित वेतनमानों के बजाय पूर्ववर्ती वेतनमान में ही बने रहने का विकल्प दिया हो, के सम्बंध में भी वेतनमान का अधिकतम 3500 रुपये तक माना जायेगा। शासनादेश में कहा गया है कि तदर्थ बोनस की अधिकतम देय धनराशि 3500 रुपये प्रतिमाह की परिलब्धियां पाने वाले कर्मचारियों के लिए स्वीकार्य राशि तक सीमित रहेगी अर्थात जिन कर्मचारियों की परिलब्धियां 3500 रुपये से अधिक थीं, उनके लिए तदर्थ बोनस का आगणन इस प्रकार किया जाएगा मानो उनकी परिलब्धियां 3500 रुपये हों।
बोनस उन्हीं कर्मचारियों को मिलेगा, जिन्होंने 31 मार्च 08 तक निरंतर एक वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो।
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20 October, 2008
अफसरों-कर्मियों की आय में अंतर बढ़ा
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के International Institute for Labor Studies की एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि मजबूत आर्थिक विकास से करोड़ों नई नौकरियों के सृजित होने के बावजूद दुनिया भर में आय विसंगति की खाई 1990 के दशक के बाद से लगातार बढ़ी है। । इंस्टीट्यूट के निदेशक रेमंड टोरस ने कहा कि रिपोर्ट का निष्कर्ष यही है कि धनी और निर्धनतम घरों में अंत 1990 के दशक से ही बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अगर दीर्घकालिक ढांचागत सुधार नहीं अपनाए जाते हैं तो मौजूदा वैश्विक वित्तीय संकट, स्थिति को बदतर ही करेगा।
संगठन (आईएलओ) द्वारा जारी इस अध्ययन में कहा गया है कि मौजूदा वित्तीय एवं आर्थिक संकट का अधिकतर बोझ उन करोड़ों लोगों का उठाना पड़ेगा जिन्हें पिछले आर्थिक विकास का लाभ नहीं मिला था। इसमें कहा गया है कि 1990 के दशक से 2007 के बीच अर्थव्यवस्थाओंके विस्तार से वैश्विक रोजगार में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई। लेकिन इसके साथ ही आय में अंतर भी बढ़ा है। अध्ययन के अनुसार अत्यधिक आय विसंगति को उच्च अपराध दर, निम्न जीवन प्रत्याशा से जोड़ा जा सकता है। इसमें कहा गया है कि पहले ही अनेक देशों में यह धारणा है कि वैश्वीकरण आबादी के अधिकतर हिस्से के लाभ के लिए काम नहीं कर रहा है।
रिपोर्ट में आय में बढ़ते अंतर को शीर्ष कार्यकारियों तथा आम कर्मचारी के वेतन में अंतर से भी जोड़ा गया है। उदाहरण के रूप में 2007 में अमेरिका की 15 शीर्ष कंपनियों के CEO की आय, आम कर्मचारी की तुलना में 520 गुना अधिक रही।
संगठन (आईएलओ) द्वारा जारी इस अध्ययन में कहा गया है कि मौजूदा वित्तीय एवं आर्थिक संकट का अधिकतर बोझ उन करोड़ों लोगों का उठाना पड़ेगा जिन्हें पिछले आर्थिक विकास का लाभ नहीं मिला था। इसमें कहा गया है कि 1990 के दशक से 2007 के बीच अर्थव्यवस्थाओंके विस्तार से वैश्विक रोजगार में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई। लेकिन इसके साथ ही आय में अंतर भी बढ़ा है। अध्ययन के अनुसार अत्यधिक आय विसंगति को उच्च अपराध दर, निम्न जीवन प्रत्याशा से जोड़ा जा सकता है। इसमें कहा गया है कि पहले ही अनेक देशों में यह धारणा है कि वैश्वीकरण आबादी के अधिकतर हिस्से के लाभ के लिए काम नहीं कर रहा है।
रिपोर्ट में आय में बढ़ते अंतर को शीर्ष कार्यकारियों तथा आम कर्मचारी के वेतन में अंतर से भी जोड़ा गया है। उदाहरण के रूप में 2007 में अमेरिका की 15 शीर्ष कंपनियों के CEO की आय, आम कर्मचारी की तुलना में 520 गुना अधिक रही।
SBI के कर्मचारियों ने 20 अक्टूबर से होने वाली हड़ताल वापस ली
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारियों ने 20 अक्टूबर से देश भर में होने वाली हड़ताल वापस ले ली है। ऐसा उन्होंने स्टेट बैंक प्रबंधन की अपील पर किया है।
स्टेट बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के जनरल सेक्रटरी जीडी नडफ ने इस फैसले की जानकारी दी। कर्मचारी यूनियनों ने हड़ताल पेंशन स्कीम में सुधार, पुराने समझौतों को लागू करने और स्टेट बैंक में दूसरे बैंकों को मिलाए जाने के खिलाफ बुलाई थी।
स्टेट बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के जनरल सेक्रटरी जीडी नडफ ने इस फैसले की जानकारी दी। कर्मचारी यूनियनों ने हड़ताल पेंशन स्कीम में सुधार, पुराने समझौतों को लागू करने और स्टेट बैंक में दूसरे बैंकों को मिलाए जाने के खिलाफ बुलाई थी।
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19 October, 2008
आचार संहिता के चलते बढ़े वेतन, भत्ते नहीं मिलेंगे
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर देश में पांच लाख कालेज शिक्षकों को दीपावली पर बढ़े हुए वेतन और भत्ते नहीं मिल सकेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने 17 अक्टूबर को कहा कि चुनाव की घोषणा के साथ आचार संहिता के लागू हो जाने के कारण इसे अंजाम देने में मुश्किलें आ रही हैं।
दैनिक हिन्दुस्तान में राजिव रंजन नाग के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि समिति की सिफारिशें मान लिये जाने के बावजूद सरकार इसे 4 दिसंबर (चुनाव संपन्न होने तक) तक लागू नहीं कर सकेगी। अगले महीने पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, इनमें राजधानी दिल्ली के अलावा राजस्थान, मिजोरम, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ शामिल हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा गठित प्रोफेसर जी.के. चढ्डा कमेटी ने पिछले दिनों कालेज शिक्षकों के वेतन-भत्ते में 70 फीसदी की वृद्धि और अकादमिक सुविधाओं की सिफारिश की थी। इसका लाभ केंद्रीय व राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों के पांच लाख से अधिक शिक्षकों को मिल सकेगा।
मंत्रालय सूत्रों ने कहा कि जून 2006 में उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी छात्रों को 27 फीसदी आरक्षण की घोषणा के कारण फजीहत झेल चुके अर्जुन सिंह इसकी पुनरावृत्ति नहीं चाहते हैं। तब तमिलनाडु, केरल, असम, पश्चिम बंगाल और पांडिचेरी में विधान सभा चुनाव के दौरान आरक्षण की घोषणा पर चुनाव आयोग ने गंभीर आपत्ति जताते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह को आयोग के दफ्तर में बुलाकर सफाई देने का निर्देश दिया था।
दैनिक हिन्दुस्तान में राजिव रंजन नाग के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि समिति की सिफारिशें मान लिये जाने के बावजूद सरकार इसे 4 दिसंबर (चुनाव संपन्न होने तक) तक लागू नहीं कर सकेगी। अगले महीने पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, इनमें राजधानी दिल्ली के अलावा राजस्थान, मिजोरम, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ शामिल हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा गठित प्रोफेसर जी.के. चढ्डा कमेटी ने पिछले दिनों कालेज शिक्षकों के वेतन-भत्ते में 70 फीसदी की वृद्धि और अकादमिक सुविधाओं की सिफारिश की थी। इसका लाभ केंद्रीय व राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों के पांच लाख से अधिक शिक्षकों को मिल सकेगा।
मंत्रालय सूत्रों ने कहा कि जून 2006 में उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी छात्रों को 27 फीसदी आरक्षण की घोषणा के कारण फजीहत झेल चुके अर्जुन सिंह इसकी पुनरावृत्ति नहीं चाहते हैं। तब तमिलनाडु, केरल, असम, पश्चिम बंगाल और पांडिचेरी में विधान सभा चुनाव के दौरान आरक्षण की घोषणा पर चुनाव आयोग ने गंभीर आपत्ति जताते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह को आयोग के दफ्तर में बुलाकर सफाई देने का निर्देश दिया था।
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किंगफिशर के प्रशिक्षु पायलटों का वेतन घटेगा
विश्व पर छाई मंदी का असर देश के उड्डयन क्षेत्र पर साफ दिखाई दे रहा है। पहले जेट एयरवेज तो अब किंगफिशर की बारी है। निजी विमानन कंपनी किंगफिशर ने शनिवार को घोषणा की कि वह 50 प्रशिक्षु सह-पायलटों के वेतन में कटौती करेगी।
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, "देश के उड्डयन क्षेत्र में अस्थायित्व की वजह से कंपनी ने 50 प्रशिक्षु सह-पायलटों के वेतन में कटौती का फैसला किया है। वे कंपनी में कार्य करते रहेंगे और उन्हें अन्य सभी सुविधाएं मिलती रहेंगी। "
गौरतलब है कि इससे पहले जेट एयरवेज़ ने अपने 800 कर्मचारियों को काम से निकाला दिया था और बाद में राजनीतिक दबाव के कारण उन्हें वापस रख लिया । इंडियन एयरलाईन ने भी घाटे को कम करने के लिए अपने 15,000 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजने की बात कही थी। इससे पहले 15 अक्टूबर को कंपनी के चेयरमैन विजय माल्या ने कहा था कि उनकी कंपनी किसी भी कर्मचारी को काम से नहीं हटाएगी।
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, "देश के उड्डयन क्षेत्र में अस्थायित्व की वजह से कंपनी ने 50 प्रशिक्षु सह-पायलटों के वेतन में कटौती का फैसला किया है। वे कंपनी में कार्य करते रहेंगे और उन्हें अन्य सभी सुविधाएं मिलती रहेंगी। "
गौरतलब है कि इससे पहले जेट एयरवेज़ ने अपने 800 कर्मचारियों को काम से निकाला दिया था और बाद में राजनीतिक दबाव के कारण उन्हें वापस रख लिया । इंडियन एयरलाईन ने भी घाटे को कम करने के लिए अपने 15,000 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजने की बात कही थी। इससे पहले 15 अक्टूबर को कंपनी के चेयरमैन विजय माल्या ने कहा था कि उनकी कंपनी किसी भी कर्मचारी को काम से नहीं हटाएगी।
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रिजर्व बैंक में 21 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश
भारतीय रिजर्वं बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों ने पेंशन के मुददे पर 21 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय लिया है। उधर रिजर्व बैंक ने अधिकारियों और कर्मचारियों के इस कदम को अवैध बताया है क्योंकि इसकी पहले सूचना नहीं दी गयी है। युनाइटेड फोरम आफ रिजर्व बैंक आफिसर्स एंड एम्प्लाइजेज ने अपने सदस्यों से 21 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश पर जाने का आह्वान किया है। आरबीआई प्रति पांच वर्ष के बाद अपने अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतनमान संशोधित किया जाता है। लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि पेंशन के मामले में ऐसा नहीं है।
इस बीच रिजर्व बैंक ने कहा है कि कर्मचारियों के इस कदम से सामान्य कामकाज बाधित होगा। बैंक ने आम जनता को सलाह दी है कि अपने काम 20 अक्टूबर तक निपटा ले।
इस बीच रिजर्व बैंक ने कहा है कि कर्मचारियों के इस कदम से सामान्य कामकाज बाधित होगा। बैंक ने आम जनता को सलाह दी है कि अपने काम 20 अक्टूबर तक निपटा ले।
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कर्मचारियों को लगा झटका ,नहीं मिलेगा एरियर
राजस्थान में छठा वेतन आयोग लागू होने से पैदा हुई वेतन विसंगतियों के बाद राज्य कर्मचारियों को दूसरा बड़ा झटका लगा है। सरकार ने उन्हे मिलने वाले पिछले बीस महीने के एरियर में मकान किराया भत्ता (एचआरए) का एरियर नहीं देने का ऐलान किया है। इसका असर सबसे ज्यादा उन कर्मचारियों पर पड़ेगा जो 5000 से 8000, 5500 से 90000 और 6500 से कम 10,500 की वेतन श्रृंखला में थे। राजस्थान में इनकी संख्या लगभग 4।50 लाख है।
छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद फिक्सेशन, एरियर और अन्य विषयों के संबंध में राज्य कर्मचारियों की ओर से मांगे गए स्पष्टीकरण में वित्त विभाग ने यह खुलासा किया है। वित्त विभाग के प्रमुख सचिव सुभाष गर्ग का कहना है कि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद दिए जाने वाले एरियर के रूप में कभी भी मकान किराया भत्ता (एचआरए) देने की परंपरा नही रही है। इसलिए राज्य कर्मचारियों को इस बार भी मकान किराया भत्ते का एरियर नहीं दिया जाएगा, लेकिन मौजूदा नए वेतन पर यह एरियर नियमानुसार मिलेगा।
एचआरए के पुराने आदेशों के बारे में गर्ग का कहना है कि हो सकता है उस समय वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद मकान किराया भत्ता देर से दिया हो, इसलिए बाद में आदेश जारी किए गए हों। सरकार के इस फैसले के राज्य कर्मचारियों में भारी निराशा है। कर्मचारियों का कहना है कि पाचवें वेतन आयोग के समय तत्कालीन भैरोंसिंह शेखावत सरकार ने तो केवल 12 महीने का ही एचआरए का एरियर नहीं दिया था, लेकिन इस सरकार ने पूरे 20 महीने के एरियर को ही नहीं दिया है। इधर, छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से वेतन विसंगतियों को लेकर बनी कर्मचारी एकता समिति ने केंद्र के समान वेतनमान देने को लेकर संघर्ष करने की रणनीति बनाई है। समिति के केंद्र के समान वेतनमान देने को लेकर संघर्ष करने की रणनीति बनाई है।
छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद फिक्सेशन, एरियर और अन्य विषयों के संबंध में राज्य कर्मचारियों की ओर से मांगे गए स्पष्टीकरण में वित्त विभाग ने यह खुलासा किया है। वित्त विभाग के प्रमुख सचिव सुभाष गर्ग का कहना है कि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद दिए जाने वाले एरियर के रूप में कभी भी मकान किराया भत्ता (एचआरए) देने की परंपरा नही रही है। इसलिए राज्य कर्मचारियों को इस बार भी मकान किराया भत्ते का एरियर नहीं दिया जाएगा, लेकिन मौजूदा नए वेतन पर यह एरियर नियमानुसार मिलेगा।
एचआरए के पुराने आदेशों के बारे में गर्ग का कहना है कि हो सकता है उस समय वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद मकान किराया भत्ता देर से दिया हो, इसलिए बाद में आदेश जारी किए गए हों। सरकार के इस फैसले के राज्य कर्मचारियों में भारी निराशा है। कर्मचारियों का कहना है कि पाचवें वेतन आयोग के समय तत्कालीन भैरोंसिंह शेखावत सरकार ने तो केवल 12 महीने का ही एचआरए का एरियर नहीं दिया था, लेकिन इस सरकार ने पूरे 20 महीने के एरियर को ही नहीं दिया है। इधर, छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से वेतन विसंगतियों को लेकर बनी कर्मचारी एकता समिति ने केंद्र के समान वेतनमान देने को लेकर संघर्ष करने की रणनीति बनाई है। समिति के केंद्र के समान वेतनमान देने को लेकर संघर्ष करने की रणनीति बनाई है।
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16 October, 2008
सैन्य बलों को संशोधित वेतन के बारे सप्ताह भर और इंतजार करना होगा
सैन्य बलों को संशोधित वेतन के बारे में खुशखबरी के लिए सप्ताह भर और इंतजार करना होगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आज हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सैन्य बलों का मुद्दा नहीं आया। बैठक में वित्त मंत्री पी चिदम्बरम दिल्ली से बाहर होने के कारण हिस्सा नहीं ले सके जो सैन्य बलों की वेतन विसंगतियों के समाधान के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति में शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने 25 सितम्बर को विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में यह समिति गठित की थी जिसमें रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी भी शामिल हैं। समझा जाता है कि एंटनी सैन्य बलों द्वारा उठाई गई चारों मांगों को स्वीकार किए जाने के लिए जोरदार पैरवी कर चुके हैं। आधिकारिक सूत्रों ने संकेत दिया कि अब सैन्यकर्मियों को वेतन की खुशखबरी दीवाली से तीन-चार दिन पहले सुनाई जाने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि कल से संसद का सत्र शुरू हो रहा है और 28 अक्टूबर को दीवाली से पहले केबिनेट की नियमित बैठक 23 अक्टूबर को होनी है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आज हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सैन्य बलों का मुद्दा नहीं आया। बैठक में वित्त मंत्री पी चिदम्बरम दिल्ली से बाहर होने के कारण हिस्सा नहीं ले सके जो सैन्य बलों की वेतन विसंगतियों के समाधान के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति में शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने 25 सितम्बर को विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में यह समिति गठित की थी जिसमें रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी भी शामिल हैं। समझा जाता है कि एंटनी सैन्य बलों द्वारा उठाई गई चारों मांगों को स्वीकार किए जाने के लिए जोरदार पैरवी कर चुके हैं। आधिकारिक सूत्रों ने संकेत दिया कि अब सैन्यकर्मियों को वेतन की खुशखबरी दीवाली से तीन-चार दिन पहले सुनाई जाने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि कल से संसद का सत्र शुरू हो रहा है और 28 अक्टूबर को दीवाली से पहले केबिनेट की नियमित बैठक 23 अक्टूबर को होनी है।
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सैन्य बलों की सभी मांगे मानने हेतु केबिनेट की मंजूरी आज!?
सैन्य बलों को दिवाली का तोहफा देते हुए छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट से उपजी चारों विसंगतियों को दूर करने की सम्भावनाओं के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल में आज इस आशय का प्रस्ताव पारित होने जा रहा है। सैन्य बलों ने जिन मामलों को सरकार के सामने उठाया था। मोटे तौर पर उन सभी का समाधान मुखर्जी समिति करने जा रही है। सूत्रों के अनुसार समिति ने सैन्य प्रमुखों की सभी मांगों का इस ढंग से समाधान करने का निर्णय लिया है कि उसके बाद कोई शिकायत बाकी नहीं रह जाए।
वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने संबंधी प्रस्ताव केबिनेट ने पारित किया था और उसमें तब्दीली भी अब केबिनेट ही कर सकती है। संसद का सत्र 17 अक्टूबर को शुरू होने से एक दिन पहले आज होने वाली केबिनेट की नियमित बैठक में सैन्य बलों की वेतन विसंगतियों को दूर करने के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
सैन्य प्रमुखों का ज्ञापन मिलने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गत 25 सितम्बर को विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी जिसमें वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के अलावा रक्षा मंत्री ए के एंटनी भी शामिल हैं। इस समिति की पहली बैठक 14 अक्टूबर को हुई, जिसमें लेफ्टीनेंट कर्नलों को वेतन बैंड चार में रखने, आफिसर से नीचे के रैंक के कर्मियों की पेंशन वेटेज 70 प्रतिशत तक बहाल करने लेफ्टिनेंट जनरलों को उच्चतर प्रशासनिक ग्रेड में रखने तथा असैन्य एवं अर्ध सैनिक बलों के साथ वेतन तुलनात्मक वेतन रखने की मांग पर विचार किया गया।
'वार्ता' की ख़बर है कि आसन्न आम चुनाव को देखते हुए राजनीतिक नेतृत्व 14 लाख सैन्यकर्मियों के नाराज होने की कोई गुंजाइश नहीं छोडना चाहता क्योंकि उनके प्रति व्यापक पैमाने पर जनता की सहानुभूति है। वायु सेना दिवस सैन्यकर्मियों के लिए राजनीतिक नेतृत्व के साथ खुलकर बातचीत करने का बढिया मौका लेकर आया था जिसमें वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल फली होमी मेजर के निवास पर आयोजित मिलन समारोह में प्रधानमंत्री. वित्त मंत्री और रझा मंत्री के साथ तीनों सेनाओं के प्रमुखों की अनौपचारिक बातचीत हुई। इस समारोह के बाद तीनों प्रमुखों के चेहरे पर संतोष और खुशी की झलक थी।
वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने संबंधी प्रस्ताव केबिनेट ने पारित किया था और उसमें तब्दीली भी अब केबिनेट ही कर सकती है। संसद का सत्र 17 अक्टूबर को शुरू होने से एक दिन पहले आज होने वाली केबिनेट की नियमित बैठक में सैन्य बलों की वेतन विसंगतियों को दूर करने के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
सैन्य प्रमुखों का ज्ञापन मिलने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गत 25 सितम्बर को विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी जिसमें वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के अलावा रक्षा मंत्री ए के एंटनी भी शामिल हैं। इस समिति की पहली बैठक 14 अक्टूबर को हुई, जिसमें लेफ्टीनेंट कर्नलों को वेतन बैंड चार में रखने, आफिसर से नीचे के रैंक के कर्मियों की पेंशन वेटेज 70 प्रतिशत तक बहाल करने लेफ्टिनेंट जनरलों को उच्चतर प्रशासनिक ग्रेड में रखने तथा असैन्य एवं अर्ध सैनिक बलों के साथ वेतन तुलनात्मक वेतन रखने की मांग पर विचार किया गया।
'वार्ता' की ख़बर है कि आसन्न आम चुनाव को देखते हुए राजनीतिक नेतृत्व 14 लाख सैन्यकर्मियों के नाराज होने की कोई गुंजाइश नहीं छोडना चाहता क्योंकि उनके प्रति व्यापक पैमाने पर जनता की सहानुभूति है। वायु सेना दिवस सैन्यकर्मियों के लिए राजनीतिक नेतृत्व के साथ खुलकर बातचीत करने का बढिया मौका लेकर आया था जिसमें वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल फली होमी मेजर के निवास पर आयोजित मिलन समारोह में प्रधानमंत्री. वित्त मंत्री और रझा मंत्री के साथ तीनों सेनाओं के प्रमुखों की अनौपचारिक बातचीत हुई। इस समारोह के बाद तीनों प्रमुखों के चेहरे पर संतोष और खुशी की झलक थी।
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10 October, 2008
अब ट्यूशन नहीं पढ़ा सकेंगे सरकारी शिक्षक
अब सरकारी शिक्षक न तो ट्यूशन पढ़ा सकेंगे और न ही निजी स्कूलों में पार्ट टाइम काम कर सकेंगे। 8 अक्टूबर की शाम मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह के निवास पर हुई मंत्री समूह की बैठक में ‘बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार- विधेयक 2008’ के प्रारूप को मंजूरी दे दी गई है। यह बिल संसद के अगले सत्र में पारित किया जाएगा।
प्रस्तावित विधेयक में अन्य बातों के अलावा कुछ खास बातें भी हैं। विधेयक के अध्याय तीन की धारा 28 के मुताबिक कोई भी शिक्षक ट्यूशन नहीं दे सकता और न ही अपने को किसी निजी स्कूल के साथ बांध सकता है। शिक्षक की नौकरी डॉक्टर की तरह 24 घंटे की तरह मानी जाएगी। अभी शिक्षक स्कूलों में कम और अपने घरों या ट्यूटोरियल में ज्यादा पढ़ा रहे हैं। कुछ शिक्षक निजी स्कूलों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान किया जा रहा है।
प्रस्तावित विधेयक में अन्य बातों के अलावा कुछ खास बातें भी हैं। विधेयक के अध्याय तीन की धारा 28 के मुताबिक कोई भी शिक्षक ट्यूशन नहीं दे सकता और न ही अपने को किसी निजी स्कूल के साथ बांध सकता है। शिक्षक की नौकरी डॉक्टर की तरह 24 घंटे की तरह मानी जाएगी। अभी शिक्षक स्कूलों में कम और अपने घरों या ट्यूटोरियल में ज्यादा पढ़ा रहे हैं। कुछ शिक्षक निजी स्कूलों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान किया जा रहा है।
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07 October, 2008
चुनाव में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों का बीमा होगा
चुनाव आयोग ने छत्तीसगढ़ में इस वर्ष के अन्त में होने वाले विधानसभा चुनावों में निर्वाचन डयूटी में लगाये जाने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों का पांच लाख रूपये का बीमा करवाने का निर्णय लिया है। उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आर।डी.दीवान ने पत्रकारों को आज यह बताया कि निर्वाचन डयूटी के दौरान अगर किसी अधिकारी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसके आश्रितों को पांच लाख रूपये की बीमे की राशि मुआवजे के रूप में मिलेगी जबकि स्थायी अपंगता की स्थिति में तीन लाख रूपये एवं अस्थायी अपंगता की स्थिति में एक लाख रूपये मिलेंगे।
उन्होंने बताया कि बीमा की अवधि चुनाव ड्यूटी शुरू होने तथा मतदान केन्द्रों से वापस आने के बीच होगी। बीमा कवर मतदान केन्द्र के लिये मशीनों को लेकर रवाना होने तथा मतदान के बाद उसे जमा करने के बीच माना जायेगा जो कि अधिकतम तीन दिन हो सकता है। भौगोलिक रूप से दुर्गम इलाकों के लिये यह अवधि ज्यादा हो सकती है।
दरअसल छत्तीसगढ़ के बस्तर एवं सरगुजा इलाके नक्सल प्रभावित हैं। डेढ़ दर्जन से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में नक्सलियों का काफी ज्यादा बोलबाला है। चुनाव पार्टियों पर हमले भी करते रहे है। इन इलाकों में संभावित खतरों के मद्देनजर बीमा काफी जरूरी माना जाता रहा है।
उन्होंने बताया कि बीमा की अवधि चुनाव ड्यूटी शुरू होने तथा मतदान केन्द्रों से वापस आने के बीच होगी। बीमा कवर मतदान केन्द्र के लिये मशीनों को लेकर रवाना होने तथा मतदान के बाद उसे जमा करने के बीच माना जायेगा जो कि अधिकतम तीन दिन हो सकता है। भौगोलिक रूप से दुर्गम इलाकों के लिये यह अवधि ज्यादा हो सकती है।
दरअसल छत्तीसगढ़ के बस्तर एवं सरगुजा इलाके नक्सल प्रभावित हैं। डेढ़ दर्जन से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में नक्सलियों का काफी ज्यादा बोलबाला है। चुनाव पार्टियों पर हमले भी करते रहे है। इन इलाकों में संभावित खतरों के मद्देनजर बीमा काफी जरूरी माना जाता रहा है।
06 October, 2008
आफिस से नियमित गायब रहने वाले व्यक्तियों की असमय मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है!?
बात थोड़ा हैरान, थोड़ा परेशान करने वाली है लेकिन सावधान! अगर आप बीमारी के नाम पर आफिस से जल्दी-जल्दी छुटि्टयां ले रहे हैं तो सचेत हो जाएं, क्योंकि एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि ऐसा करने वालों के दरवाजों पर समय से पहले, मौत खड़ी हो जाती है। एक ब्रिटिश जर्नल में यह शोध प्रकाशित हुआ है।
अनुसंधानकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि आफिस से नियमित गायब रहने वाले व्यक्तियों की असमय मृत्यु की संभावना 66 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। ऐसे कर्मचारी, जो मनोवैज्ञानिक परेशानियों की वजह से ऑफिस आने में असमर्थ रहते हैं, उनमें कैंसर से मौत का खतरा ढाई गुना तक बढ़ जाता है। ऐसे लोग जो संक्रामक बीमारियों के कारण आफिस नहीं आ पाते, अपने स्वस्थ सहयोगियों की अपेक्षा जल्दी मौत का शिकार हो जाते हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया इन लोगों में यह खतरा चार गुना ज्यादा पाया जाता है। हालांकि मांसपेशियों से संबंधित बीमारियों से ग्रसित कर्मचारियों में ऐसा खतरा नहीं बढ़ता। लंदन के यूनिवर्सिटी कालेज की खोज में ब्रिटिश सिविल सर्विसेज के कर्मचारियों का परीक्षण किया गया।
इस खोज की प्रमुख रहीं जेनी हेड के मुताबिक मनोवैज्ञानिक बीमारियों और कैंसर जैसे रोग का कारण अवसाद से ग्रस्त लोगों का समय पर अपने डॉक्टर के पास न जाना हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि हमने इसके कारणों पर शोध नहीं किया, लेकिन ऐसा लगता है कि ऐसे लोगों में डॉक्टरी सलाह लेने की प्रवृत्ति कम पाई जाती है।'
बीबीसी पर आया यह मूल समाचार मौज़ूद है।
अनुसंधानकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि आफिस से नियमित गायब रहने वाले व्यक्तियों की असमय मृत्यु की संभावना 66 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। ऐसे कर्मचारी, जो मनोवैज्ञानिक परेशानियों की वजह से ऑफिस आने में असमर्थ रहते हैं, उनमें कैंसर से मौत का खतरा ढाई गुना तक बढ़ जाता है। ऐसे लोग जो संक्रामक बीमारियों के कारण आफिस नहीं आ पाते, अपने स्वस्थ सहयोगियों की अपेक्षा जल्दी मौत का शिकार हो जाते हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया इन लोगों में यह खतरा चार गुना ज्यादा पाया जाता है। हालांकि मांसपेशियों से संबंधित बीमारियों से ग्रसित कर्मचारियों में ऐसा खतरा नहीं बढ़ता। लंदन के यूनिवर्सिटी कालेज की खोज में ब्रिटिश सिविल सर्विसेज के कर्मचारियों का परीक्षण किया गया।
इस खोज की प्रमुख रहीं जेनी हेड के मुताबिक मनोवैज्ञानिक बीमारियों और कैंसर जैसे रोग का कारण अवसाद से ग्रस्त लोगों का समय पर अपने डॉक्टर के पास न जाना हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि हमने इसके कारणों पर शोध नहीं किया, लेकिन ऐसा लगता है कि ऐसे लोगों में डॉक्टरी सलाह लेने की प्रवृत्ति कम पाई जाती है।'
बीबीसी पर आया यह मूल समाचार मौज़ूद है।
05 October, 2008
शिक्षक का वेतन IAS से अधिक होगा!
विश्वविद्यालयों और कॉलेज शिक्षकों के वेतनमान की समीक्षा के लिए बनी जी. के. चड्ढा समिति ने 3 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट यूजीसी के चेयरमैन प्रो. सुखदेव थोराट को सौंप दी। रिपोर्ट में टीचर कम्यूनिटी को एक 'शानदार तोहफा' देने की बात कहते हुए टीचरों के विभिन्न पदों के वेतनमान में डेढ़ गुने से भी अधिक की बढ़ोतरी का सुझाव रखा है। कमिटी ने रिपोर्ट की सिफारिशों को 1 जनवरी 2006 से लागू करने की बात कही है। मंहगाई भत्ते को छोड़कर अन्य सभी भत्तों को 1 सितंबर 2008 के आधार पर देने की सिफारिश की गई है।
चड्ढा ने रिपोर्ट देने के बाद मीडिया से कहा कि अतिरिक्त योग्यता के आधार पर दिए जाने वाले इन्क्रीमेंट को जोड़ दिया जाए तो कुल बढ़ोतरी औसतन 75 प्रतिशत से भी अधिक है। भत्तों के साथ कुछ पदों के लिए यह वृद्धि 75 से 90 प्रतिशत के बीच है। समिति ने अलग से 1500 रुपये का 'ऐकडेमिक अलाउंस' देने की भी सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि टीचरों को हर स्तर पर सम्मानजनक वेतनमान देने की सिफारिश की गई है।
देश भर के सभी कॉलेजों और राज्य विश्वविद्यालय के शिक्षकों को भी केंदीय विश्वविद्यालयों की ही तरह रिटायरमेंट आयु 65 साल करने और शिक्षकों को रिटायरमेंट के बाद भी रिक्तता के आधार पर कॉन्ट्रेक्ट पर 70 साल तक दोबारा रखे जाने की सिफारिश की गई है। नवभारत टाइम्स खबर देता है कि थोराट यह रिपोर्ट 7 अक्टूबर को होने जा रही कमिशन की बैठक में रखेंगे। कमिशन के अनुमोदन के बाद वह इसे मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह को सौंपेंगे।
नए स्केल में असिस्टेंट प्रोफेसर का स्केल 8000-275-13500 से बढ़कर 15600-39100 हो जाएगा। जबकि प्रोफेसर का स्केल 37400 से 67,000 हो जाएगा।
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अर्जुन सिंह,
असिस्टेंट प्रोफेसर,
चड्ढा समिति,
यूजीसी
01 October, 2008
Arrears का पूरा टैक्स एक साथ नहीं
केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद मिलने वाले बकाया की कुल रकम पर एक साथ टैक्स नहीं देना होगा। चालू कारोबारी साल में उन्हें बकाया की जो रकम मिलेगी, उस पर इस साल टैक्स लगेगा। फिर अगले कारोबारी साल में एरियर की जो रकम मिलेगी, उस पर अगले कारोबारी साल में टैक्स लगेगा।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने पहले कहा था कर्मचारियों को मिलने वाले एरियर की कुल रकम पर टैक्स इसी साल लगेगा। पर अब वित्त मंत्रालय ने एक परिपत्र जारी कर नई बात कही है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करते वक्त सरकार ने कहा था कि कर्मचारियों को चालू कारोबारी साल में एरियर की कुल रकम का 40 परसेंट दिया जाएगा और बाकी 60 फीसदी रकम अगले कारोबारी साल में दिया जाएगा।
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