केन्द्र सरकार के लाखों कर्मचारियों के लिए इंतजार की घड़ियां अब खत्म होने वाली हैं क्योंकि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल की तैयारी जोरों पर है। आयोग की रिपोर्ट इसी महीने के अंत तक आएगी। कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर जल्दी ही आ सकती है। केन्द्र सरकार अपने कर्मचारियों की तनख्वाह में 33 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकती है। यह बढ़ोतरी छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर होगी।
मीडिया मैं आयी खबरों के मुताबिक केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन में 25-33 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह बढ़ोतरी पहली जनवरी 2006 से प्रभावी मानी जाएगी। हालांकि अंतरिम राहत मिलने के कोई आसार नहीं हैं।
वेतन आयोग की सिफारिशें ऐसे समय में लागू करने की बात की जा रही है जब पहले से ही किसानों को कर्ज माफी की घोषणा और सामाजिक योजनाओं पर भारी खर्च का प्रावधान है। केन्द्र सरकार यह कहकर सरकारी खजाने पर दबाव की आशंका को खारिज कर सकती है कि कर से आमदनी लक्ष्य से कहीं ज्यादा है। साथ ही वित्तीय घाटे भी नियंत्रण में हैं। लेकिन जानकारों की मानें तो पांचवे वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल से सरकारी खजाने पर जो दबाव पड़ा था उससे उबरने में केन्द्र को कई साल लगे।
ध्यान रहे कि वेतन आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने पहले ही अपने बजट में अतिरिक्त खर्च का प्रावधान कर दिया है जबकि बाकी विभागों के लिए केन्द्र सरकार बाद में संसद में मंजूरी मांग सकती है। मोटे तौर पर केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सालाना वेतन बिल 13 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ सकता है। वहीं ढाई साल से ज्यादा बकाए के मद में भुगतान करने के लिए 35 से 40 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त इंतजाम 2008-09 में करना पड़ सकता है। सरकार बकाए वेतन का भुगतान किस्तों में करने का विकल्प दे सकती है। इससे एक ही बार में खजाने पर बोझ नहीं बढ़ेगा।
हालांकि राज्य सरकारें केन्द्र के वेतन आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने के लिए बाध्य नहीं है। लेकिन जानकारों का कहना है कि राज्य सरकारों को अपने कर्मचारियों के वेतन में केन्द्र के बराबर बढ़ोतरी करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
14 March, 2008
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