केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय ने गत 26 फरवरी को यह आदेश जारी किया था कि सार्वजनिक क्षेत्र के अतंर्गत लाभ कमाने वाली कंपनियां अपने अधिकारियों को 50 फीसदी डीए मर्जर को लागू कर सकती हैं, लेकिन इसके लिए बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की मंजूरी लेनी होगी।
मंत्रालय ने यह शर्त भी जोड़ दी थी कि इसके लिए केंद्र सरकार कोई बजटरी सपोर्ट नहीं करेगी। मंत्रालय के आदेश जारी किए जाने के बाद कोल इंडिया के अधिकारी इसको लागू करने के लिए लगातार दबाव बना रहे थे। कोल माइंस आफिसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के केंद्रीय महासचिव केपी सिंह ने बताया कि कोल इंडिया ने इसे लागू कर अधिकारियों के हित में काफी अच्छा काम किया है। इसका लाभ अधिकारियों को सभी प्रकार की सुविधाओं में मिलेगा। बोर्ड ने इसे पहली जनवरी 2007 से लागू करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा परक्यूजिट टैक्स को लेकर भी कर्मचारी तथा अधिकारी लगातार कोल इंडिया पर दबाव बनाए हुए थे।
परक्यूजिट टैक्स कर्मियों के आवासों पर लगने वाला कर है, जिसे बोलचाल की भाषा मैं हाउस पर्क कहा जाता है। कोल इंडिया इसे स्वयं वहन करेगी। साथ ही अधिकारियों की चिकित्सा सुविधा में निर्णय लेते हुए बोर्ड ने कहा है कि अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के बाद कंपनी पांच लाख रुपये तक चिकित्सा सुविधा प्रदान करेगी। इसके साथ ही सामान्य रूप से होने वाली बीमारियों में मिलने वाले पेंशन की समतुल्य राशि का वहन करेगी, लेकिन इसके लिए अधिकारियों को सेवानिवृत्त होने के बाद 40 हजार रुपये जमा करने होंगे। श्री सिंह ने बताया कि यह कोयला उद्योग के कर्मचारियों के लिए काफी लाभकारी है। सेवानिवृत्त होने के बाद अधिकारी किसी भी अस्पताल में इलाज करवा सकते हैं। इस सुविधा के लिए लंबे समय से लड़ाई लड़ी जा रही थी, लेकिन अब जाकर यह यह सपना साकार हुआ है।
परक्यूजिट टैक्स कर्मियों के आवासों पर लगने वाला कर है, जिसे बोलचाल की भाषा मैं हाउस पर्क कहा जाता है। कोल इंडिया इसे स्वयं वहन करेगी। साथ ही अधिकारियों की चिकित्सा सुविधा में निर्णय लेते हुए बोर्ड ने कहा है कि अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के बाद कंपनी पांच लाख रुपये तक चिकित्सा सुविधा प्रदान करेगी। इसके साथ ही सामान्य रूप से होने वाली बीमारियों में मिलने वाले पेंशन की समतुल्य राशि का वहन करेगी, लेकिन इसके लिए अधिकारियों को सेवानिवृत्त होने के बाद 40 हजार रुपये जमा करने होंगे। श्री सिंह ने बताया कि यह कोयला उद्योग के कर्मचारियों के लिए काफी लाभकारी है। सेवानिवृत्त होने के बाद अधिकारी किसी भी अस्पताल में इलाज करवा सकते हैं। इस सुविधा के लिए लंबे समय से लड़ाई लड़ी जा रही थी, लेकिन अब जाकर यह यह सपना साकार हुआ है।
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