28 March, 2008

काफी नहीं है सरकारी नौकरशाहों का वेतन

छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को यदि नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि पैसे कमाना हो तो नौकरशाह की बजाय उद्यमी होना ज्यादा अच्छा है। आधिकारिक आयोग द्वारा सचिवों और मंत्रिमंडल सचिव के वेतनमान में जितनी बढ़ोतरी के सुझाव दिए गए हैं, वह मध्यम आकार की निजी क्षेत्र कंपनी के निदेशक को मिलने वाले वेतन के मुकाबले कुछ भी नहीं है। किसी कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी के समकक्ष आने वाले मंत्रिमंडल सचिव को 90000 रुपये प्रति माह का वेतनमान [सालाना करीब 10 लाख रुपये] देने की सिफारिश की गई है, जबकि अन्य सचिवों को वेतनमानों में भारी बढ़ोतरी के सुझाव के बावजूद 10 लाख रुपये से कम ही मिलेगा।

सचिव स्तर को अधिकारियों को 80000 रुपये प्रति माह का निर्धारित वेतन देने की सिफारिश की गई है और अन्य अधिकारियों को वेतन उनसे भी कम है, जिससे उनके और निजी क्षेत्र के हाई प्रोफाइल मुख्य कार्याधिकारियों के वेतनमानों बीच का फासला स्पष्ट होता है। कई पूर्व सरकारी अधिकारियों को अपनी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज में नौकरी देने वाले मुकेश अंबानी 25 करोड़ रुपये का वेतन सालाना लेते हैं, जबकि मीडिया मैग्नेट सन टीवी के कलानिधि मारन करीब 23 करोड़ रुपये सालाना कमाते हैं। सन टीवी की ही संयुक्त प्रबंध निदेशक कावेरी कलानिधि को 23 करोड़ रुपये का वेतन मिलता है। सुनील भारती मित्तल को करीब 15 करोड़ रुपये का वेतन मिलता है, जबकि प्रमुख फार्मा कंपनी डा रेड्डीज लैब्स के कार्यकारी अध्यक्ष अंजी रेड्डी को वेतन के तौर पर 14 करोड़ रुपये से थोड़ा ज्यादा मिलता है। निजी क्षेत्र की करीब 300 कार्यकारियों को एक करोड़ रुपये सालाना से ज्यादा का वेतन मिलता है और यह संख्या आने वाले दिनों बढ़ती हुई ही दिखती है।

भारत का निजी क्षेत्र भारी-भरकम वेतन [करोड़ों रुपये] पाने वाले उद्योगपतियों की सूची से भरा पड़ा है लेकिन सरकारी क्षेत्र की बात करें तो मंत्रिमंडल सचिव और समकक्ष थल, जल और वायु सेना प्रमुखों के अलावा कोई भी अधिकारी 10 लाख रुपये के स्तर को भी पार नहीं कर पाएगा।
साभार: जागरण

1 comment:

  1. हम आप से पूर्णत्या सहमत है जी।

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