माना जा रहा है कि सैन्य बलों के तीनों प्रमुखों ने रक्षा मंत्री एके एंटनी से कहा है कि ऐसी सिफारिशों से सेना में अफ़सरों की कमी दूर नहीं होगी और इस बढ़ोत्तरी के अलावा 40 से 60 प्रतिशत की और बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए.
सैन्य प्रमुखों ने कहा है कि सेना में अफ़सरों की संख्या में कमी को देखते हुए यह बढोत्तरी ज़रूरी है.
इंडियन डिफ़ेंस रिव्यु के संपादक कैप्टन भरत वर्मा का मानना है कि वेतन आयोग में बैठे लोग सेना की ज़रूरतों को नहीं समझते हैं, तभी सेना की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी हैं। वे कहते हैं, "एक अजीब सी बात है कि डिफ़ेंस का कोई भी व्यक्ति छठें वेतन आयोग में नहीं है। पता नहीं वहाँ बैठे लोग सेना के लोगों की तन्ख्वाहें कैसे तय कर रहे हैं." भरत वर्मा कहते हैं कि वेतन आयोग की सिफारिशों से मध्य श्रेणी के अफ़सरों और जवानों के मुकाबले ऊंचे ओहदे पर बैठे सैन्य अफ़सरों को ज़्यादा फ़ायदा होगा।
वेतन आयोग की रिपोर्ट में जहां सेना के जवान के विशेष सेना सेवा वेतन में 1000 रुपए प्रतिमाह की बढ़ोत्तरी की गई है वहीं अधिकारियों के विशेष सेना सेवा वेतन में 6000 रुपए प्रतिमाह की बढ़ोत्तरी की गई है। रिटायर्ड मेजर जनरल योगेश्वर बहल कहते हैं, "यह कोशिश की गई है कि ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारियों को खुश कर दिया जाए. सेना में क़रीब 11000- 12000 अफ़सरों की कमी है. लेफ्टिनेंट कर्नल और कर्नल को मुश्किल से चार या पांच हज़ार रुपए ज्यादा मिलेंगे. पिछले कुछ दिनों से जब से छठें वेतन आयोग के बारे में खबरें आ रही थी, कई सैन्य अधिकारी जो सेना छोड़ना चाहते थे, वे रुके हुए थे, लेकिन अब आयोग की रिपोर्ट के बाद उनमें रोष है."
भरत वर्मा तो यह तक कहते हैं कि इस वेतन आयोग में सेना छोड़ने वाले जवानों के करियर की तरफ ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया है। यानी सेना को सरकार से उम्मीदें बहुत हैं। सेवानिवृत्त अधिकारियों का कहना है कि अगर ये उम्मीदें पूरी न हुईं, तो भविष्य में देश के लिए कुर्बानी देने और तकलीफें झेलने के लिए तैयार लोगों को ढूंढने में हमें और मुश्किलें का सामना करना पड़ेगा.
साभार: बीबीसीहिंदी.कॉम
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