छठे वेतन आयोग की एक और सिफारिश सरकार के लिए मुसीबत बन सकती है। सेवा निवृत्ति से पहले नौकरी छोड़ना केंद्रीय कर्मचारियों के लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन, इससे सरकारी कम्पनियों में काम करने वाले कर्मचारी मुश्किल से ही बचेंगे। छठे वेतन आयोग का सुझाव है कि 15 साल से ज्यादा लेकिन 20 साल से कम की सेवा के बाद खुद सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मचारियों को आखिरी वेतन का 80 गुना सेवानिवृत्ति लाभ के तौर पर दिया जाए। साथ ही उन्हें ‘सेवा आनुतोषिक’ (सर्विस ग्रैच्युटी) और ‘मृत्यु और सेवानिवृत्ति आनुतोषिक’ (डेथ-कम-रिटायरमेंट ग्रैच्युटी) जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी।
इसके साथ ही 20 साल की सेवा पूरी करके नौकरी छोड़ने वालों को आखिरी तनख्वाह का 50 फीसदी पेंशन मिलेगा। पहले इसके लिए 33 साल नौकरी करने की शर्त थी। जानकारों का मानना है कि इन सुविधाओं के चलते मध्यस्तरीय सरकारी कर्मचारी नौकरियां छोड़ेंगे। कुछ जानकार ऐसे भी हैं जिनकी राय में अब प्रतिभाशाली सरकारी कर्मचारी निजी नौकरियों की तरफ भागेंगे।
इस बात की काफी संभावना है कि वीआरएस और पेंशन से जुड़े वेतन आयोग के सुझाव मान लिए जाएंगे क्योंकि इससे कर्मचारी भी खुश होंगे और सरकारी क्षेत्र से लोगों को कम करने का सरकार का मकसद भी पूरा होगा। वैसे भी वेतन आयोग ने सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाकर 62 साल करने की मांग खारिज कर दी है।
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