25 March, 2008

वेतन आयोग की रिपोर्ट: कुछ और तथ्य

वेतन आयोग की ६५८ पृष्ठ की रिपोर्ट यहाँ से लें। ३४० पृष्ठ का अनुलग्नक यहाँ से प्राप्त करें।

छठे
वेतन आयोग ने केंद्रीय कर्मचारियों के भत्तों में बहुत कुछ दिया है तो विशेष भत्ते की सुविधा वापस लेने की सिफारिश कर दी है। आयोग की नजर में एलटीसी के दौरान मिलने वाला दैनिक भत्ता भी खत्म कर दिया जाना चाहिए। वैसे आयोग ने शिक्षा, परिवहन, चिकित्सा आदि से जुड़े भत्तों में जबर्दस्त वृद्धि का सुझाव दिया है। डाकिये का साइकिल भत्ता दो गुना किया गया है तो बड़े बाबुओं के ट्रांसपोर्ट भत्ते में चार गुना की वृद्धि की गई है।

आयोग की राय है कि 'बी-1 और बी-2' श्रेणी के शहरों में नियुक्त कर्मचारियों को 20 फीसदी की दर से आवासीय भत्ता मिलना चाहिए जबकि बाकी शहरों व कस्बों के कर्मचारियों का आवासीय भत्ता 10 प्रतिशत की दर से मिलेगा। ए श्रेणी के कर्मचारियों के लिए आवास भत्ते में कोई बदलाव नहीं किया गया है। छोटे कर्मचारियों का साइकिल भत्ता, वाशिंग भत्ता, कैश हैंडलिंग भत्ता और रात्रि सेवा भत्ता को दोगुना करने की सिफारिश है।

सभी छोटे-बड़े कर्मचारियों के अवकाश यात्रा [एलटीसी] के दौरान मिलने वाले भत्ते पर आयोग ने नजर टेढ़ी की है। रिपोर्ट के मुताबिक इन कर्मचारियों को उनके वेतनमान व पद के अनुसार जो यात्रा भत्ता मिलता है, वही एलटीसी में भी मिलेगा, लेकिन दैनिक भत्ता अब नहीं दिया जाएगा। कर्मचारियों को विशेष ड्यूटी के नाम पर दिया जाने वाला विशेष भत्ता सुविधा खत्म करने की राय दी गई है।

केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों की फीस के रूप में जहां सिर्फ 50 रुपये मासिक प्रति बच्चा मिलता था, उसे अब बढ़ाकर एक हजार रुपये करने की सिफारिश की गई है। लेकिन यह सुविधा अब सिर्फ दो बच्चों पर ही मिल पाएगी। इसी तरह हास्टल में रहने वाले छात्रों के लिए प्रति माह मिलने वाली तीन सौ रुपये की राशि को बढ़ाकर तीन हजार रुपये करने का सुझाव है।

आयोग ने अपनी सिफारिश में साफ कर दिया है कि इन भत्तों पर मुद्रास्फीति की दर बढ़ने का कोई असर नहीं होगा। मुद्रास्फीति की दर में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि होने पर इनमें स्वाभाविक बढ़त हो जाया करेगी। आयोग ने कर्मचारियों को ट्रांसपोर्ट भत्ते का पूरा लाभ दिया है। चार गुना की वृद्धि के साथ इसे महंगाई की दर से सीधे जोड़ दिया है।

रिपोर्ट में डाक्टरों के नान प्रैक्टिस भत्ते [एनपीए] में पर्याप्त बढ़ोतरी की गई है। एनपीए मूल वेतन का 25 प्रतिशत की जगह पूरे वेतन का 25 प्रतिशत होगा, जबकि कुल अधिकतम वेतन 85 हजार रुपये तय किया गया है। जोखिम भत्ता [आरए] जो अब तक 20 रुपये से दो सौ रुपये मासिक था, उसकी जगह अब पांच, सात व 10 लाख रुपये का बीमा का लाभ दिया जाएगा। ऐसे कर्मचारियों के बेहतर स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

सरकारी दफ्तरों में बेहतर कार्य संस्कृति के लिए वेतन आयोग ने प्रदर्शन प्रोत्साहन योजना की सिफारिश की है। इस स्कीम को बोनस, मानदेय राशि और ओवरटाइम भत्ते के विकल्प के तौर पर लागू किए जाने का सुझाव दिया गया है। प्रदर्शन आधारित सालाना वेतन वृद्धि के लिए समूह ए पे बैंड-3 निर्धारित किया गया है। मेहनत से ड्यूटी करने वालों लिए इसमें 3.5 फीसदी तक की बढ़ोतरी का प्रावधान होगा।

वेतनमान में सालाना बढ़ोतरी की भी सिफारिश की गई है। कर्मचारियों को 2.5 फीसदी सालाना वृद्धि दिए जाने का सुझाव देते हुए आयोग ने कहा है कि वेतन में इस वार्षिक वृद्धि के क्रियान्वयन की तारीख एक जुलाई होनी चाहिए। यह वृद्धि उन्हें मिलेगी जिन्हें बेहतर काम करने वालों की श्रेणी में नहीं रखा गया है।

पेंशन की दर में आयोग ने कोई बढ़ोतरी नहीं सुझाई है लेकिन ग्रेच्युटी की सीमा 3.5 लाख रूपये कर दी है। पेंशन के लिए 33 साल तक नौकरी करने की शर्त भी खत्म करने की सिफारिश आयोग की रिपोर्ट में है। पेंशन के मामले में खास सिफारिश उन कर्मचारियों के लिए हैं जिनकी आयु 80 वर्ष और उससे ऊपर है। इन्हें अतिरिक्त पेंशन मिलेगी। फैमिली पेंशन और चिकित्सा लाभों में बेटियों के साथ होने वाला भेदभाव खत्म किया गया है।
वेतन आयोग ने कहा है कि चालू वेतनमानों और श्रेणियों के मामले में रक्षा बलों को असैनिक कर्मचारियों के बराबर माना जाएगा। लेकिन सेना में काम करने वालों को एक विशेष वेतन मिलेगा। जिसे मिलिट्री सर्विस पे कहा जाएगा। यह अलग-अलग पदों पर एक हजार, चार हजार दो सौ रुपये और छह हजार रुपये होगी। ब्रिगेडियर पद तक या इसके बराबर के पद वाले अधिकारियों को छह हजार रुपये प्रति माह से ज्यादा दिया जाएगा।

गर्भवती महिलाओं के लिए आयोग ने अवकाश की अवधि बढ़ाकर 180 दिन करने की राय दी है। एक नई स्वास्थ्य बीमा योजना भी आएगी जो मौजूदा सरकारी कर्मचारियों और पेंशन भोगियों के लिए तो यह ऐच्छिक होगी लेकिन नए कर्मचारियों के लिए यह योजना अनिवार्य होगी।

सरकार की कार्य क्षमता बढ़ाने और बेहतर काम के लिए छठे वेतन आयोग ने उपलब्ध प्रतिभावान लोगों को सीधे भर्ती में लिए जाने का सुझाव दिया है। आयोग का मानना है हाई डिमांड के पदों पर इस तरह की भर्ती करने से सरकार को उस क्षेत्र में उपलब्ध योग्यतम प्रतिभाओं का लाभ मिल सकेगा। सेवानिवृत्ति आयु सीमा बढ़ाने से इनकार करते हुए आयोग ने युवा प्रतिभाओं का लाभ उठाने का सुझाव दिया है।

आयोग की रिपोर्ट में प्रतिभा को खरीदने की खुले बाजार की होड़ में सरकार को भी शरीक होकर योग्यतम प्रतिभा लाने की सलाह दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तकनीकी अथवा विशेषज्ञता वाले हाईडिमांड के सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड व हायर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड के पदों को चिह्नित किया जाए। इसके बाद इन पदों पर सरकार के भीतर अथवा बाहर से लाए गए योग्य लोगों की भर्ती की जाए। इन पदों पर यूपीएससी के जरिये प्रतिनियुक्ति की जा सकती है। इससे फर्क नहीं पड़ेगा कि वह व्यक्ति सरकारी कर्मचारी है या बाहर का।

यदि कोई सरकारी कर्मचारी इस पद लिए आवेदन करता है तो उसे आवेदन करते समय विकल्प चुनना होगा कि क्या वह सामान्य वेतनमान में ही काम करता रहेगा और प्रतिनियुक्ति की अवधि पूरी होने के बाद वापस अपने मूल कैडर में लौट जाएगा अथवा उसे बाजार भाव के मुताबिक वेतन चाहिए। यदि सरकारी कर्मचारी बाजार भाव से वेतन लेना चाहता है तो उसे आवेदन करने से पहले सरकार से अपने सारे नाते तोड़ने होंगे। या तो उसे नौकरी से इस्तीफा देना होगा अथवा सेवानिवृत्ति लेनी होगी और एक बाहरी व्यक्ति की तरह आवेदन करना पड़ेगा। बाहरी व्यक्ति की नियुक्ति निश्चित अवधि के लिए ठेके पर की जाएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे उपलब्ध प्रतिभावान लोगों की उच्च पदों पर नियुक्ति हो सकेगी और उन लोगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा जो योग्य हैं व इसमें आना चाहते हैं।

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