केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने कहा है कि समान कर्मचारियों के बीच भेदभाव करने वाले मनमाने नीतिगत निर्णय की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।
न्यायमूर्ति शंकर राजू की अध्यक्षता वाली न्यायाधिकरण की पीठ ने कहा है कि समान लोगों के बीच भेदभाव करने वाली कोई भी नीति न्यायिक समीक्षा में टिक नहीं सकती। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ है। पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के एक विभागीय आदेश को दरकिनार कर दिया। इस आदेश में विशेष प्रतिनियुक्ति भत्ता केवल मुख्यालय में पदस्थ कर्मचारियों तक ही सीमित कर दिया गया है। फील्ड आफिस में कार्यरत कर्मचारियों को इससे वंचित कर दिया गया है। निर्णय में कहा कि यदि याचिकाकर्ता को पूर्व में इससे वंचित किया गया तो कैग उन्हें बकाये भत्ते का भुगतान करे।
एस मनोज कुमार, आर एस राठी, वीरेंद्र और आरएम शर्मा सहित 40 कैग कर्मचारियों द्वारा दायर याचिका में विभाग द्वारा छह अक्टूबर को जारी आदेश को चुनौती दी गई थी।
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