21 February, 2008

फिर बजट चर्चा, और क्या?

जब भी बजट आने वाला होता है, आम आदमी खासकर वेतन भोगी कर्मचारियों की बेताबी बढ़ जाती है। इनकी आय फिक्सड होने के कारण ये सोचते हैं कि वित्तमंत्री अवश्य ही आयकर छूट की सीमा में वृद्धि करेंगे जिससे उनकी सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी।


इस बार उम्मीद की जा रही है कि आयकर छूट की सीमा व्यक्तिगत कर दाता की दशा में 1,10000 रूपए से बढ़कर 1,25,000 रूपए हो जाएगी, 65 साल से कम उम्र की महिलाओं के मामले में यह सीमा 1,45,000 रूपए से बढ़कर 1,60,000 और सीनियर सिटिजन के मामले में 1,95,000 से बढ़कर 2,10,000 तक हो जाएगी। ऐसा होने से व्यक्तिगत आयकर दाता पुरूषों को 1500, महिलाओं को 2500 तथा सीनियर सिटिजन को 3000 रूपए तक का फायदा होगा। वेतन भोगियों को यह भी उम्मीद है कि वित्तमंत्री स्टैंडर्ड डिडक्शन को फिर से लागू कर उनके आयकर के बोझ को कम करेंगे। स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रावधान कर निर्धारण वर्ष 2006-07 से हटा दिया गया था। बढ़ते हुए मेडिकल खर्च को देखते हुए लोग मेडिक्लेम पालिसियों की आ॓र आकर्षित हुए हैं। सबको उम्मीद है कि आयकर अधिनियम की धारा 80 डी के अंतर्गत इन पालिसियों पर छूट की सीमा 15,000 रूपए से बढ़ाकर 25,000 रूपए कर दी जाएगी। ऐसा होने से 10,000 रूपए पर आयकर की अतिरिक्त छूट मिल जाएगी। एक और समस्या जो सबसे परेशान करती है बैंक से पैसे निकालने पर लगने वाला शुल्क। फाइनेंस एक्ट 2005 के अंतर्गत 1.6.2005 से बचत खाते के अलावा अन्य किसी खाते से एक दिन में 25,000 रूपए से अधिक निकालने पर ट्रांजेक्शन टैक्स देना पड़ता है। हर कोई इस बोझ से मुक्ति की उम्मीद कर रहा है। पांच लाख सालाना कमाने वाला वेतन भोगी कर्मचारी यदि आयकर छूट के लिए कोई भी निवेश नहीं करता है तो उसे 1,00,000 तक आयकर चुकाना पड़ता है यानि वह साल में दो महीने आठ दिन सिर्फ टैक्स चुकाने के लिए काम करता है। वित्तमंत्री से इस बार इस वर्ग के वेतन भोगियों की उम्मीद है कि वित्तमंत्री आयकर की दरों में परिवर्तन कर 30 फीसदी की दर को ढाई लाख से बढ़ाकर पांच लाख से ऊपर की आय पर लागू करेंगे।

1 comment:

  1. देखिए वित्तमंत्री आपकी उम्मीदें पूरी करते हैं या नहीं.

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