छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से पड़ने वाले संभावित वित्तीय बोझ के लिए देश के सबसे बड़े रोजगारदाता रेलवे ने पहले ही इंतजाम कर लिया है। इसके लिए वह 2008-09 के रेल बजट में अपने 25 हजार करोड़ रुपए के सालाना वेतन बिल की एक तिहाई से ज्यादा की राशि का प्रावधान कर रहा है।
रेलवे बजट की प्रक्रिया से जुड़े कुछ अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर दैनिक हिन्दुस्तान को बताया कि इसके लिए बजट में 9 हजार करोड़ रुपए रखे जा रहे हैं। इससे बकाए का भुगतान भी किया जाएगा। रेलवे ने इस समूची राशि का अनुमान वित्त मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श करके अपने आंतरिक आकलन के आधार पर किया है।
रेलवे बोर्ड के सदस्य (ट्रेफिक) वी.एन. माथुर ने कहा, "वेतन आयोग की सिफारिश से पड़ने वाले अतिरिक्त वित्तीय बोझ का सटीक आकलन सिफारिशों की घोषणा के बाद ही किया जा सकेगा।" रेल मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक ये सिफारिशें रेलवे के सालाना वेतन बिल में तकरीबन 3 हजार करोड़ रुपए का इजाफा करेंगी।
रेलवे में 14 लाख कर्मचारी हैं, जो 90 के दशक की शुरुआत के 16 लाख कर्मचारियों से कम हैं। पिछले साल लाभांश समेत लागत को निकालने के बाद रेलवे के पास अतिरिक्त नकद राशि 16 हजार करोड़ रुपए के आस-पास थी। इस साल भाड़े के मामले में प्रदर्शन के लक्ष्य को हासिल करने के अनुमान के साथ यह अतिरिक्त राशि 2008-09 में 21 हजार करोड़ रुपए जा पहुंचेगी।
अधिकारियों का कहना है कि इसे देखते हुए रेलवे वेतन आयोग की सिफारिशों से पड़ने वाले अतिरिक्त वित्तीय बोझ को वहन करने की स्थिति में होगा।
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