सरकार चाहती है कि छठे पे-कमिशन की सिफारिशों का लाभ केंद्रीय कर्मचारियों के साथ राज्य कर्मचारियों को मिलने में समय न लगे। उसने सभी राज्यों से कह दिया है कि पे-कमिशन की सिफारिशों को लागू करने के लिए वे धन का इंतजाम इस बार वार्षिक योजना में करें। केंद्र सरकार के इस कदम से यह साफ है कि पे-कमीशन का लाभ शीघ्र ही केंद्र व राज्यों के कर्मचारियों को मिलने वाला है।
नवभारत टाइम्स में आयी एक ख़बर की मानें तो, वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार छठे कमीशन की सिफारिशों को लागू करने के लिए इस बार के आम बजट में करीब 24,000 करोड़ रुपये का इंतजाम किया जा रहा है। रेलवे विभाग के लिये अलग से 9000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार को डर है कि कमीशन की सिफारिशों को लागू करने के लिए अगर राज्य सरकारों ने धन मांगा तो मामला गड़बड़ा जाएगा। राज्य सरकारों को ज्यादा वित्तीय सहायता देने की अब गुंजाइश नहीं है। उल्लेखनीय है, पांचवें पे कमीशन की सिफारिशों पर अमल में कई राज्यों ने बहुत विलंब कर दिया था। कुछ सरकारें तो तकरीबन दीवालिया हो गई थीं।
केंद्र की इस पहल का राज्य सरकारों ने स्वागत किया है। दिल्ली समेत अन्य राज्यों ने जबाव भेजा है कि वे शीघ्र ही बैठक कर कर्मचारियों के बढ़े हुए वेतन से बढ़ने वाले खर्चे का ब्यौरा बनाएंगे। इसके बाद वार्षिक योजना में धन का प्रावधान किया जाएगा। पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने छठे-पे कमीशन की सिफारिशों को लागू करने के लिए क्रमश : एक हजार करोड़ और 300 करोड़ रुपये का ब्यौरा केंद्र को भेज दिया है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार चाहती है कि वह बजट में छठे पे-कमीशन की रिपोर्ट को लागू किए जाने के संबंध में ठोस घोषणा हो। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया का कहना है कि तेल कीमतों में वृद्धि और छठे पे कमिशन की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्र के साथ राज्य सरकारों पर भारी बोझ पड़ना तय है। बेहतर है कि इसकी तैयारी पहले ही कर ली जाए, वरना देश की अर्थव्यवस्था इससे प्रभावित हो सकती है।
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