25 February, 2008

वेतन आयोग की रिपोर्ट: सैनिकों की सुविधाओं और वेतन में आमूल चूल सुधार

छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय की मांग पर सैनिकों की सुविधाओं और उनके वेतन में आमूल चूल सुधार किया गया है। दुर्गम इलाकों में ड्यूटी निभा रहे सैनिकों को भी विशेष भत्ता देने की कवायद की जा रही है।

कुल मिलाकर यह कि छठा वेतन आयोग लागू होने के बाद सैनिकों की बल्ले-बल्ले हो जाएगी। रक्षा मंत्री ए।के। एंटनी ने साफ तौर पर सैनिकों को संकेत दिया है कि केन्द्र सरकार उनकी समस्याओं और सुविधाओं के प्रति संवेदनशील है। और उनके लिए बहुत कुछ किया जा रहा है। खुद रक्षा मंत्री देश के पर्वतीय, बर्फीली और रेगिस्तानी सीमाओं पर ड्यूटी कर रहे सैनिकों के बीच जाकर उनके सुख-दुख को स्वअनुभूति करने की कोशिश की है। चाहे वह सियाचीन का दुर्गम क्षेत्र हो या फिर राजस्थान का रेगिस्तानी इलाका उन्होंने देखा है कि किस तरह से हमारे सैनिक शून्य से भी नीचे तथा 50 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक तापमान में देश की सीमाओं की रक्षा में लगे हुए हैं। इसलिए छठे वेतन आयोग में रक्षा मंत्रालय ने सैनिकों का जीवन स्तर सुधारने के लिए जो सिफारिशें की थीं, उन पर आयोग ने अनुशंसा कर दी है।

सियाचीन में ड्यूटी कर रहे सैनिकों को जिस तरह से ‘विन्टर एलाउंस’ दिया जाता है, उसी तरह से राजस्थान की तपती रेत में कठिन ड्यूटी करने वाले सैनिकों के लिये ‘समर एलाउंस’ देने की मांग बराबर उठती रही है। यघपि इस मांग पर सरकार की तरफ से ऐसा कोई संकेत नहीं आया है कि यह मांग मान ली गई है। लेकिन सैनिकों की उम्मीद कायम है।

सैनिकों की सबसे बड़ी समस्या उनके आवास को लेकर है। आवास न होने के चलते वे अपने परिवार को साथ नहीं रख सकते। वैसे भी उनकी ड्यूटी इस तरह की है कि उन्हें परिवार से दूर ही रहना है। लेकिन इस समस्या से निपटने के लिये युद्धस्तर पर कवायद की जा रही है। तकरीबन एक लाख आवास पूरे देश में बनाए जा रहे हैं। छठे वेतन आयोग में देश की तीनों सेनाओं के अधिकारियों के वेतन में भी इस कदर सुधार करने की कोशिश की गई है कि उनका पलायन रूक सके। जिस तरह से वायुसेना से पायलटों, इंजीनियरों तथा सेना से इंजीनियरों का पलायन हो रहा है यह सरकार के लिए चिन्ता का विषय हो गया है। रक्षा मंत्रालय को उम्मीद है कि छठे वेतन आयोग के लागू होने के बाद उनका पलायन रूक सकेगा।

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